राजस्थान में विधानसभा चुनाव जब सिर पर हैं तब पूर्व डिप्टी सीएम और सात वर्ष तक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे सचिन पायलट प्रदेशभर में किसान सम्मेलन कर रहे हैं। पायलट की उपस्थिति के कारण इन सम्मेलनों में भीड़ भी आ रही है। हालांकि सम्मेलनों में महंगाई, बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की जाती है, लेकिन मुख्य निशाना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही होते हैं। 17 जनवरी को हनुमानगढ़ के पीलीबंगा में आयोजित सम्मेलन में पूर्व विधायक सुचित्रा आर्य ने कहा कि सचिन पायलट से दगाबाजी कर अशोक गहलोत ने सत्ता हथियाई है। इसी सम्मेलन में स्वयं पायलट ने कहा कि 2013 में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस का पतीला मांज दिया था। इतनी बुरी हार के बाद मुझे प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। मैंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के दम पर पांच वर्ष तक भाजपा शासन में संघर्ष किया और कांग्रेस की सरकार बनवाई। 18 जनवरी को झुंझुनू के गुढ़ा में आयोजित सम्मेलन में प्रदेश के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा ने कहा कि 2013 में कांग्रेस को 21 सीट मिली, लेकिन 2018 में पायलट के नेतृत्व में चुनाव लड़ा तो कांग्रेस को 100 सीटें मिली। लेकिन अशोक गहलोत ने फिर भी पायलट को नकारा और निकम्मा कहा। गुढा ने कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट ही कांग्रेस को जीत दिला सकते हैं। 16 जनवरी को परबतसर (नागौर) के सम्मेलन में वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने गहलोत की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि वे नहीं हटेंगे तो युवा वर्ग धक्के मार कर हटा देगा। इसी सम्मेलन में पायलट ने पेपर लीक में सरगनाओं को पकड़ने की बात कही। इस पर सीएम गहलोत ने कहा कि हमने सरगनाओं को ही पकड़ा है। पेपर लीक में कोई अधिकारी व नेता शामिल नहीं है। 18 जनवरी को गुढा में हुए सम्मेलन में पायलट ने कहा कि यदि अधिकारी और नेता शामिल नहीं हैं तो तिजोरी से पेपर निकलना जादूगरी ही है। मालूम हो कि गहलोत स्वयं को जादूगर होने का दावा करते हैं। किसान सम्मेलनों में सरकार के मंत्री और कांग्रेस के नेता ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। जो काम विपक्ष को करना चाहिए वो काम कांग्रेस के नेता और सरकार के मंत्री ही कर रहे हैं। मंत्री ही जब अशोक गहलोत की आलोचना कर रहे हैं, तब उनके मुख्यमंत्री होने पर भी सवाल उठता है, एक ओर गहलोत अगले चुनाव में सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं, वहीं उन्हीं की पार्टी के नेता और मंत्री खुला विरोध जता रहे हैं। एक दो नहीं बल्कि कई मंत्री गहलोत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। क्या मंत्रियों और विधायकों की बयानबाजी का असर गहलोत पर नहीं होता? सवाल यह भी है कि आखिर अपने ही लोगों से अशोक गहलोत इतना अपमान क्यों सहन कर रहे हैं? जहां तक कांग्रेस आलाकमान का सवाल है तो सचिन पायलट के ताजा बयानों से गहलोत को इशारा समझ लेना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (19-01-2023)
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