Sunday 22 January 2023

एएसपी दिव्या मित्तल पर कार्यवाही हुई तो अशोक गहलोत की सरकार पर संकट आ जाएगा।जिन पुलिस अफसरों ने गहलोत सरकार को बचाया, उन्हीं की मेहरबानी दिव्या पर रही।एसीबी के पास दिव्या के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं। जमानत पर 24 को सुनवाई।

राजस्थान पुलिस की जाबाज अधिकारी दिव्या मित्तल इन दिनों अजमेर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। प्रदेश में भ्रष्ट कार्मिकों को पकड़ने वाली एजेंसी एसीबी का दावा है कि दिव्या ने नशीली दवा बनाने वाली हरिद्वार की एक कंपनी के मालिक से दो करोड़ रुपए की मांग की थी। दिव्या को रिश्वत लेते रंगे हाथों नहीं पकड़ा गया। एसीबी के पास सबूत के तौर पर कंपनी के मालिक की शिकायत और दिव्या का एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग है। दिव्या की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान पुलिस में बवाल हो गया है। दिव्या अजमेर में एसओजी की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थीं। लेकिन दिव्या के पास अजमेर रेंज के अलावा भी दूसरी रेंज के जिलों के मुकदमों की जांच भी आती रही। जब कोई फरियादी पुलिस महानिदेशक अथवा एसओजी के एडीजी के पास निष्पक्ष जांच के लिए गुहार लगाता तो उसका मुकदमा पुलिस की जांबाज अफसर दिव्या मित्तल को सौंप दिया जाता। एक माह पहले तक पुलिस महानिदेशक रहे एमएल लाठर और एसओजी के मौजूदा एडीजी अशोक राठौड़ तो दिव्या को ही प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ अफसर मानते हैं। लाठर और राठौड़ उन होनहार और वफादार अफसरों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोरोना काल में लाठर कानून व्यवस्था के प्रभारी थे, तब अगस्त 2020 में गहलोत सरकार के विरुद्ध कांग्रेस के 19 विधायक दिल्ली चले गए और विधायक दिल्ली न भाग जाएं, इसके लिए लाठर ने ही प्रदेश की सीमाओं को सील करने का आदेश निकाला था। हालांकि यह आदेश कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए था। इस आदेश में राजस्थान से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई, जबकि दूसरे राज्यों से आने पर कोई रोक नहीं गाई। अब यह गृह मंत्री अशोक गहलोत और लाठर ही बता सकते हैं कि दूसरे राज्यों से लोगों के आते रहने पर कोरोना के संक्रमण को कैसे रोका जाएगा? कायदे से तो आने वालों को रोकना चाहिए था, लेकिन लाठर ने जाने वालों पर रोक लगाई। यदि लाठर ऐसा आदेश जारी नहीं करते तो कांग्रेस के 10-15 विधायक और दिल्ली पहुंच जाते। तब अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद का क्या होता, यह सब जानते हैं। कोरोना काल में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए सीएम गहलोत ने पांच आईपीएस की वरिष्ठता को लांघ कर लाठर को पुलिस महानिदेशक नियुक्त कर दिया। अब यदि पुलिस महानिदेशक के पद पर रहते हुए महत्वपूर्ण और जमीनों से जुड़े मुकदमों की जांच एसओजी को दी तो कौन सा गुनाह हो गया? जहां तक एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ का सवाल है तो विधायकों की खरीद फरोख्त से लेकर पेपर लीक तक के मामलों की जांच उन्हीं के अधीन हो रही है। गृहमंत्री के नाते अशोक गहलोत के साथ राठौड़ का अच्छा तालमेल है। ऐसे में यदि अजमेर रेंज के अलावा उदयपुर और अन्य जिलों के मुकदमों की जांच दिव्या मित्तल को सौंप दी तो क्या एतराज है? आखिर दिव्या राजस्थान पुलिस की जांबाज अफसर है। यदि एसीबी नहीं पकड़ती तो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिव्या को पुलिस पदक से सम्मानित किया जाता। सम्मानित करने के आदेश भी जारी हो गए थे। दिव्या से ईर्ष्या रखने वाले पुलिस अफसर अखबारों में कुछ भी छपवा लें, लेकिन ऐसे किस्से मनोहर कहानियां ही साबित होंगे। यदि मनोहर कहानियों के आधार पर दिव्या के खिलाफ कार्यवाही होती है तो गहलोत सरकार पर संकट आ सकता है, क्योंकि दिव्या पर उन्हीं अफसरों की मेहरबानी रही, जिन्होंने गहलोत सरकार बचाई। किसी मामले को कैसे फुस्स किया जाता है, यह सीएम गहलोत को अच्छी तरह आता है। वैसे भी 24 जनवरी को दिव्या के जमानत के प्रार्थना पत्र पर अदालत में सुनवाई होनी है। एसीबी ने भले ही दिव्या को जेल भिजवा दिया हो, लेकिन एसीबी के पास दिव्या के खिलाफ ठोस सबूत नहीं है। दिव्या ने अपना वकील पूर्व एडीजे प्रीतम सिंह सोनी को किया है। एसीबी ने जिन कार्मिको को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है, उन कार्मिकों की जमानत भी करवाने में प्रीतम सिंह सोनी सफल रहे हैं। जबकि दिव्या मित्तल से तो रिश्वत की राशि तक बरामद नहीं हुई है। किसी भी मुकदमे में एसीबी के पास सबसे बड़ा सबूत कार्मिकों को रिश्वत की राशि के साथ पकड़ना होता है। दिव्या के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं है। मनोहर कहानियों के तहत दिव्या की संपत्तियों की जो जानकारी अखबारों में दी गई,वे भी गलत निकली है। एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी तो चाहते ही नहीं है कि अदालत में चालान पेश करने से पहले आरोपी की संपत्तियां सार्वजनिक की जाएं। प्रियदर्शी तो रंगे हाथों पकड़े जाने पर भी आरोपी की पहचान उजागर करने के पक्ष में नहीं थे। यदि प्रियदर्शी का आदेश वापस नहीं होता तो दिव्या का नाम और फोटो भी अखबारों में देखने को नहीं मिलता। कोई माने या नहीं लेकिन दिव्या का निलंबन भी अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते रद्द हो जाएगा।

S.P.MITTAL BLOGGER (22-01-2023)
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