यूं तो प्रोफेशनल फोटोग्राफर जंगलों में जाकर खूंखार जानवरों के वीडियो बनाते हैं। लेकिन तब उनके पास सुरक्षा के पर्याप्त उपाय होते हैं। हिंसक जानवर के हमले पर भी ऐसे फोटोग्राफर अपनी जान बचा लेते हैं। लेकिन फिर भी ऐसे फोटोग्राफरों की हिम्मत की दाद दी जाती है। लेकिन राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण के फोटो जर्नलिस्ट जय मखीजा ने 3 जनवरी की रात को कमाल ही कर दिया। अक्सर अखबारों में छपता रहा कि अजमेर शहर से जुड़े पुष्कर घाटी क्षेत्र की नाग पहाड़ी पर पैंथर परिवार का आवागमन होता है। कई बार घाटी से गुजरने वाले लोगों ने दूर खड़े होकर पैंथर के वीडियो भी बनाए। पैंथर परिवार की सूचना के मद्दे नजर ही पत्रिका के फोटो जर्नलिस्ट जय माखीजा 3 जनवरी की रात को भरी सर्दी में अपना कैमरा लेकर पुष्कर घाटी के डियर पार्क में पहुंच गए। कार को पार्क की दीवार के सहारे लगाकर माखीजा पैंथर का इंतजार करने लगे। तब उनका मानना रहा कि यदि आज रात पैंथर नहीं आता है तो वे कल फिर आएंगे। लेकिन कोई दो घंटे के इंतजार के बाद माखीजा का सामना पैंथर से हो ही गया। एक बार तो पैंथर को सामने देखकर माखीजा की सांसें थम गई, क्योंकि पैंथर कार की ओर ही आ रहा था, इसलिए माखीजा ने कार की खिड़की बंद कर ली ताकि हमला होने पर स्वयं का बचाव किया जा सके। माखीजा को तब थोड़ी राहत मिली जब पैंथर 50 मीटर की दूरी पर ही एक स्थान पर बैठ गया। माखीजा ने शीशे चढ़ी कार से ही पैंथर के कुछ फोटो खींचे, लेकिन तब भी पैंथर अपने स्थान पर बैठा रहा। माखीजा को ऐसा लगा कि अब पेंथर स्वयं अपना फोटो खिंचवाने को उत्सुक है। इस पर माखीजा ने कांच के शीशे नीचे कर पैंथर के फोटो बड़े आराम से ली। माखीजा का कहना है कि पैंथर का फोटो मात्र 50 मीटर की दूरी से लेना उनके लिए जोखिम भरा था। यह फोटो उनके जीवन का सबसे सर्वश्रेष्ठ फोटो है। जय माखीजा की दिलेरी पर अजमेर संस्कार के संपादक अनिल केले ने भी बधाई दी है। जय माखीजा के पेंथर वाले फोटो 4 जनवरी को पत्रिका में प्रमुखता के साथ प्रकाशित भी हुए है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जय माखीजा ने अपनी जान जोखिम में डालकर खूंखार पैंथर के फोटो लिए हैं। वन विभाग ने भी फोटो के प्रकाशन के बाद पैंथर के आवागमन पर चिंता जताई है। चूंकि पुष्कर घाटी शहरी सीमा से लगी हुई है इसलिए माना जा रहा है कि पैंथर आबादी क्षेत्र में आ सकता है। मोबाइल नंबर 9057531558 जय माखीजा को उनकी दिलेरी के लिए हौसला अफजाई की जा सकती है।
पुतले जलना शुरू:
विधानसभा चुनाव में अभी 10 माह शेष है, लेकिन कांग्रेस में अजमेर जिले के सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले केकड़ी के विधायक रघु शर्मा के पुतले जलना शुरू हो गए हैं। 4 जनवरी को जिला परिषद के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ही रघु शर्मा का पुतला जलाया। नाराज कांग्रेसियों का आरोप है कि रघु शर्मा अपने प्रभाव से देहात के एक नेता को अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। चूंकि रघु शर्मा का सरकार और संगठन में दखल है, इसलिए माना जा रहा है कि शहर और देहात के संगठन में रघु शर्मा की राय को प्राथमिकता दी जाएगी। पूर्व में भी रघु शर्मा ने अपने चहेतों को ही सरकार और संगठन में एडजस्ट करवाया है। इससे कांग्रेस का आम कार्यकर्ता नाराज है। यह नाराजगी शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में भी देखी जा रही है। केकड़ी से लेकर अजमेर शहर तक रघु का विरोध हो रहा है। नाराज कांग्रेसियों का कहना है कि अभी तो शुरुआत हुई है। आने वाले दिनों में और नाराजगी देखने को मिलेगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि रघु शर्मा जब प्रदेश के चिकित्सा मंत्री थे, तब भी लोगों की नाराजगी सामने आई थी। कोई एक वर्ष पहले रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाया गया था, लेकिन गुजरात के चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक हार हुई, इसके बाद रघु ने प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि अभी रघु का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।
पुतले जलना शुरू:
विधानसभा चुनाव में अभी 10 माह शेष है, लेकिन कांग्रेस में अजमेर जिले के सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले केकड़ी के विधायक रघु शर्मा के पुतले जलना शुरू हो गए हैं। 4 जनवरी को जिला परिषद के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ही रघु शर्मा का पुतला जलाया। नाराज कांग्रेसियों का आरोप है कि रघु शर्मा अपने प्रभाव से देहात के एक नेता को अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। चूंकि रघु शर्मा का सरकार और संगठन में दखल है, इसलिए माना जा रहा है कि शहर और देहात के संगठन में रघु शर्मा की राय को प्राथमिकता दी जाएगी। पूर्व में भी रघु शर्मा ने अपने चहेतों को ही सरकार और संगठन में एडजस्ट करवाया है। इससे कांग्रेस का आम कार्यकर्ता नाराज है। यह नाराजगी शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में भी देखी जा रही है। केकड़ी से लेकर अजमेर शहर तक रघु का विरोध हो रहा है। नाराज कांग्रेसियों का कहना है कि अभी तो शुरुआत हुई है। आने वाले दिनों में और नाराजगी देखने को मिलेगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि रघु शर्मा जब प्रदेश के चिकित्सा मंत्री थे, तब भी लोगों की नाराजगी सामने आई थी। कोई एक वर्ष पहले रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाया गया था, लेकिन गुजरात के चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक हार हुई, इसके बाद रघु ने प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि अभी रघु का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-01-2023)
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