6 जनवरी को सुबह राजस्थान के जयपुर में सांगानेर स्थित संघी मंदिर में जैन मुनि समर्थ सागर महाराज ने भी अपने प्राण त्याग दिए। 3 जनवरी को भी जैन मुनि सुज्ञेय सागर ने अपने प्राण त्याग दिए थे। झारखंड स्थित जैन समाज के तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में दोनों जैन मुनियों ने अन्न जल का त्याग कर दिया था। सुज्ञेय सागर 9 दिन और समर्थ सागर 5 दिन अनशन पर रहे। तीन दिन में दो जैन मुनियों ने अपने सर्वोच्च धार्मिक स्थल को बचाने के लिए प्राण त्यागे हैं। लेकिन अब जैन समाज को अपने देशव्यापी आंदोलन और जैन मुनियों को आमरण अनशन से बचना चाहिए। क्योंकि झारखंड सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को वन्य जीव अभ्यारण घोषित करने वाली अधिसूना को वापस ले लिया है। यानी अब सम्मेद शिखर पर्यटन स्थल नहीं बनेगा। राज्य और केंद्र सरकार की इस कार्यवाही के बाद आंदोलन की जरूरत नहीं है। दोनों ही सरकारों ने जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का आदर किया है। जो कुछ मुद्दे रहे हैं उन्हें आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है। समाज में जैन मुनियों की आवश्यकता है। जैन मुनि भी भारत की सनातन संस्कृति के संरक्षक हैं। ऐसे में जैन मुनियों का जीवन सर्व समाज के लिए महत्व रखता है। जैन समाज के प्रतिनिधियों को भी अपने मुनियों से आग्रह करना चाहिए कि अब वे आमरण अनशन नहीं करे। जैन समाज और मुनियों के जीवन के महत्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी समझा है।
भाजपा जिम्मेदार-रलावता:
राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह रलावता ने आरोप लगाया है कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करवाने के लिए भाजपा जिम्मेदार है। रलावता ने बताया कि 2018 में ब झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब सम्मे शिखर से जुड़े वन क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर ही 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार संबंधित क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण घोषित करने की अधिसूचना जारी की। इसी के बाद सम्मेद शिखर क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है। भाजपा अपनी बुराई को छिपाने के लिए झारखंड की मौजूदा गठबंधन सरकार को जिम्मेदार बता रही है। रलावता ने माना कि अभी कांग्रेस के समर्थन से झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार चल रही है, लेकिन सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करवाने में गठबंधन सरकार की कोई भूमिका नहीं है। भाजपा ने जिस तरीके से जैन समाज के आंदोलन को हवा दी, उससे भाजपा और उनके नेताओं का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है। रलावता ने कहा कि 5 जनवरी को जब केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने 2019 वाली अपनी अधिसूचना को वापस लिया तो झारखंड की सरकार ने भी पर्यटन स्थल वाला आदेश वापस ले लिया है। कांग्रेस पूरी तरह जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का आदर करती है। जैन मुनिओं को जैन समाज के आंदोलन में शामिल भाजपा नेताओं से पूछना चाहिए कि 2018 में जब राज्य सरकार ने पर्यटन स्थल वाला प्रस्ताव स्वीकृत किया, तब झारखंड में किस दल की सरकार थी। रलावता ने कहा कि भाजपा सरकार वाला प्रस्ताव और केंद्र सरकार की अधिसूचना वाले सभी दस्तावेज उनके पास है। चाहे तो भाजपा नेता भी ऐसे दस्तावेज देख सकते हैं। रलावता ने आरोप लगाया कि मीडिया के माध्यम से झारखंड की गठबंधन सरकार की छवि खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब अधिसूचना वापस लेने का श्रेय भी भाजपा ले रही है, जबकि भाजपा तो सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करवाने के लिए खुद जिम्मेदार है। रलावता ने कहा कि मोबाइल नंबर 9414497073 पर संवाद कर सम्मेद शिखर से संबंधित दस्तावेज देखे जा सकते हैं।
भाजपा जिम्मेदार-रलावता:
राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह रलावता ने आरोप लगाया है कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करवाने के लिए भाजपा जिम्मेदार है। रलावता ने बताया कि 2018 में ब झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब सम्मे शिखर से जुड़े वन क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर ही 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार संबंधित क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण घोषित करने की अधिसूचना जारी की। इसी के बाद सम्मेद शिखर क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है। भाजपा अपनी बुराई को छिपाने के लिए झारखंड की मौजूदा गठबंधन सरकार को जिम्मेदार बता रही है। रलावता ने माना कि अभी कांग्रेस के समर्थन से झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार चल रही है, लेकिन सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करवाने में गठबंधन सरकार की कोई भूमिका नहीं है। भाजपा ने जिस तरीके से जैन समाज के आंदोलन को हवा दी, उससे भाजपा और उनके नेताओं का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है। रलावता ने कहा कि 5 जनवरी को जब केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने 2019 वाली अपनी अधिसूचना को वापस लिया तो झारखंड की सरकार ने भी पर्यटन स्थल वाला आदेश वापस ले लिया है। कांग्रेस पूरी तरह जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का आदर करती है। जैन मुनिओं को जैन समाज के आंदोलन में शामिल भाजपा नेताओं से पूछना चाहिए कि 2018 में जब राज्य सरकार ने पर्यटन स्थल वाला प्रस्ताव स्वीकृत किया, तब झारखंड में किस दल की सरकार थी। रलावता ने कहा कि भाजपा सरकार वाला प्रस्ताव और केंद्र सरकार की अधिसूचना वाले सभी दस्तावेज उनके पास है। चाहे तो भाजपा नेता भी ऐसे दस्तावेज देख सकते हैं। रलावता ने आरोप लगाया कि मीडिया के माध्यम से झारखंड की गठबंधन सरकार की छवि खराब करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब अधिसूचना वापस लेने का श्रेय भी भाजपा ले रही है, जबकि भाजपा तो सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करवाने के लिए खुद जिम्मेदार है। रलावता ने कहा कि मोबाइल नंबर 9414497073 पर संवाद कर सम्मेद शिखर से संबंधित दस्तावेज देखे जा सकते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-01-2023)
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