Wednesday 8 March 2023

वीरांगनाओं के मुद्दे पर सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को करारा जवाब दिया।

शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है! जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या? भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं। यह कभी भी राजस्थान की परम्परा नहीं रही है। मैं इसकी निंदा करता हूं।
हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम शहीदों एवं उनके परिवारों का उच्चतम सम्मान करें। राजस्थान का हर नागरिक शहीदों के सम्मान का अपना कर्तव्य निभाता है परन्तु भाजपा के कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए शहीदों की वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर उनका अनादर कर रहे हैं। यह कभी भी राजस्थान की परम्परा नहीं रही है। मैं इसकी निंदा करता हूं। शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी मूर्ति एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय सांगोद के प्रांगण तथा उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी है। ऐसी मांग अन्य शहीद परिवारों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है। शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकम्पा नियुक्ति मांग रही हैं। यदि आज शहीद लांबा के भाई को नौकरी दे दी जाती है तो आगे सभी वीरांगनाओं के परिजन अथवा रिश्तेदार उनके एवं उनके बच्चे के हक की नौकरी अन्य परिजन को देने का अनुचित सामाजिक एवं पारिवारिक दबाव डालने लग सकते हैं। क्या हमें वीरांगनाओं के सामने एक ऐसी मुश्किल परिस्थिति खड़ी करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान में बनाए गए नियम पूर्व के अनुभवों के आधार पर ही बनाए गए हैं। शहीदों के बच्चों का हक मारकर किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना कैसे उचित ठहराया जा सकता है? जब शहीद के बच्चे बालिग होंगे तो उन बच्चों का क्या होगा? उनका हक मारना उचित है क्या?
वर्ष 1999 में मुख्यमंत्री के रूप में मेरे पहले कार्यकाल के दौरान शहीदों के आश्रितों हेतु राज्य सरकार ने कारगिल पैकेज जारी किया एवं समय.समय पर इसमें बढ़ोत्तरी कर इसे और प्रभावशाली बनाया गया है। कारगिल पैकेज में शहीदों की पत्नी को पच्चीस लाख रुपये और 25 बीघा भूमि या हाउसिंग बोर्ड का मकान (भूमि या मकान ना लेने पर 25 लाख रुपये अतिरिक्त) मासिक आय योजना में शहीद के माता-पिता को 5 लाख रुपये सावधि जमा, एक सार्वजनिक स्थान का नामकरण शहीद के नाम पर एवं शहीद की पत्नी या उसके पुत्र-पुत्री को नौकरी दी जाती है। राजस्थान सरकार ने प्रावधान किया है कि यदि शहादत के वक्त वीरांगना गर्भवती है एवं वो नौकरी नहीं करना चाहे तो गर्भस्थ शिशु के लिए नौकरी सुरक्षित रखी जाएगी जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके। इस पैकेज के नियमानुसार पुलवामा शहीदों के आश्रितों को मदद दी जा चुकी है। शहीद परिवारों के लिए ऐसा पैकेज संभवत: अन्य किसी राज्य में नहीं है। राजस्थान वीरों की भूमि है जहां के हजारों सैनिकों ने मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया है। यहां की जनता एवं सरकार शहीदों का सबसे अधिक सम्मान करती है। कारगिल युद्ध के दौरान में स्वयं राजस्थान के 56 शहीदों के घर जाकर उनके परिवार के दुख में शामिल हुआ। ये मेरे भाव जो मैं आपके समक्ष रख रहा हूं वही मैंने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के साथ भी साझा किए हैं।

पायलट के आवास पर धरना:
शहीदों के परिवार के सदस्यों को नौकरी देने, शहीद की प्रतिमा लगाने, सड़क का नामकरण करने आदि की मांगों को लेकर 8 मार्च को भी भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा। इसी क्रम में पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के जयपुर स्थित सरकारी आवास पर वीरांगनाओं के साथ धरना दिया गया। डॉ. मीणा का कहना है कि जब तक राज्य सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-03-2023)
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