7 मार्च को जब देश भर में होली पर्व का उत्साह और उमंग था, तब सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी देने के प्रकरण में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और 10 हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले में दिल्ली के पूर्व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया से ईडी ने पूछताछ की। कुछ लोग कह सकते हैं कि कम से कम होली पर्व पर तो ऐसी कार्यवाही नहीं करनी चाहिए। हालांकि इसका जवाब जांच एजेंसियां ही देंगी, लेकिन यदि राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाना है तो जांच एजेंसियों को ऐसी सख्त कार्यवाही करनी ही होगी, ताकि कोई भी राजनेता सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार नहीं कर सके। लालू यादव जब केंद्रीय मंत्री मंत्री थे, तब उन्होंने दिल्ली से लेकर पटना तक लोगों से जमीन ली और रेलवे में नौकरी दे दी। पहले ऐसी जमीन एक कंपनी के नाम खरीदी और फिर परिवार के सदस्य कंपनी के मालिक बन गए। जमीन मालिकों को नौकरी भी सीधे मंत्री के विशेषाधिकार से दी। जिन विपक्षी दलों को लालू से पूछताछ पर एतराज हो रहा है, वे यह बताएं कि योग्य प्रतिभागियों का अधिकार छीन कर लालू ने नौकरी क्यों दी? जो जमीन नौकरी के बदले ली आज वो अरबों रुपए की है। यह माना कि लालू हाल ही में किडनी ट्रांसप्लांट करवा कर आए हैं, लेकिन सब जानते हैं कि सिंगापुर से आते ही लालू पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हो गए। लालू जब राजनीति कर सकते हैं,तब सीबीआई के सवालों का जवाब क्यों नहीं दे सकते? बिहार के चारा घोटाले में तो लालू को सजा भी हो रखी है। लालू इलाज के लिए पैरोल पर बाहर हैं। 7 मार्च को ही दिल्ली की तिहाड़ जेल में दिल्ली सरकार के पूर्व आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया से ईडी ने पूछताछ की। 10 हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले में ईडी यह जानना चाहती है कि रुपयों का लेन देन किस प्रकार हुआ और रिश्वत की किन किन तक पहुंची। आरोप है कि आबकारी मंत्री रहते हुए सिसोदिया ने शराब नीति लीक कर शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। जांच एजेंसियों के पास आबकारी नीति को लीक करने के सबूत है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जवाब आबकारी नीति पर देना है, लेकिन वे दिल्ली के सरकारी स्कूलों पर बोल रहे हैं। क्या सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने की आड़ में 10 हजार करोड़ का शराब घोटाला किया जा सकता है? केजरीवाल माने या नहीं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने भी वही किया है जो अन्य राजनीतिक दल करते हैं।
आरोपी भाजपाइयों पर भी कार्यवाही हो:
विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी आदि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। हो सकता है कि विपक्ष का यह आरोप सही हो, लेकिन जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा के आरोपी नेताओं पर कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं? यदि केंद्र सरकार के अधीन सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी जैसी एजेंसियां है तो राज्यों में एसीबी, पुलिस लोकायुक्त जैसी एजेंसियां हैं जो भ्रष्टाचार पर सख्त कार्यवाही कर सकती हैं। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, केरल आदि राज्यों की गैर भाजपाई सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपी भाजपा नेताओं पर कार्यवाही करनी चाहिए। राजस्थान में अशोक गहलोत, जब विपक्ष में थे, तब भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के मामले उठाते थे। अब अशोक गहलोत साढ़े चार साल से कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हैं। सबल उठता है कि अशोक गहलोत भाजपा के भ्रष्टाचार की जांच क्यों नहीं करवाते हैं?
S.P.MITTAL BLOGGER (08-03-2023)
आरोपी भाजपाइयों पर भी कार्यवाही हो:
विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी आदि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। हो सकता है कि विपक्ष का यह आरोप सही हो, लेकिन जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहीं सत्तारूढ़ दल भाजपा के आरोपी नेताओं पर कार्यवाही क्यों नहीं करते हैं? यदि केंद्र सरकार के अधीन सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी जैसी एजेंसियां है तो राज्यों में एसीबी, पुलिस लोकायुक्त जैसी एजेंसियां हैं जो भ्रष्टाचार पर सख्त कार्यवाही कर सकती हैं। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, केरल आदि राज्यों की गैर भाजपाई सरकार को भ्रष्टाचार के आरोपी भाजपा नेताओं पर कार्यवाही करनी चाहिए। राजस्थान में अशोक गहलोत, जब विपक्ष में थे, तब भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के मामले उठाते थे। अब अशोक गहलोत साढ़े चार साल से कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हैं। सबल उठता है कि अशोक गहलोत भाजपा के भ्रष्टाचार की जांच क्यों नहीं करवाते हैं?
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