उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों में हुई वित्तीय अनियमितताओं के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पिछले 5 दिन से संसद के दोनों सदनों को बाधित कर रही है। 17 मार्च को भी लोकसभा और राज्य सभा एक मिनट भी नहीं चल पाई। दोनों सदनों को 19 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। अब दोनों सदन 20 मार्च को प्रात: 11 बजे संचालित होंगे। कांग्रेस का आरोप है कि अडानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संरक्षण है। इसलिए अडानी की कंपनियां बेईमानी और लूट कर रही हैं। जो अडानी 8 साल अमीरी में 700वें नंबर पर थे वो आज पहले नंबर पर आ गए हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अडानी और मोदी के फोटो भी दिखा रहे हैं। सवाल उठता है कि जब अडानी इतने बेईमान और लुटेरे हैं तो फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार इतनी मेहरबान क्यों है? रिकॉर्ड बताता है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने अपने 4 वर्ष के कार्यकाल में अडानी की सोलर पावर कंपनियों को 85 हजार बीघा जमीन रियायती दरों पर दे दी और अब 74 हजार बीघा भूमि और देने के लिए फाइल पर सहमति दी जा रही है। अडानी की कंपनियां राजस्थान में बिजली भी सप्लाई करती हैं। गंभीर बात यह है कि अनुबंध में प्रति यूनिट दर तय हुई उससे अधिक दर पर बिजली खरीदी जा रही है। अडानी से महंगी बिजली खरीदने के कांग्रेस सरकार के पास सौ तर्क हैं। गत वर्ष सीएम गहलोत ने जो इन्वेस्टमेंट समिट की उसमें गौतम अडानी ही प्रमुख उद्योगपति थे। गहलोत ने अडानी को मंच पर अपने पास बिठाया और अपने भाषण में अडानी की उद्यमिता की जमकर प्रशंसा की। तब कांग्रेस के किसी भी नेता को अडानी बेईमान और लुटेरा नजर नहीं आए। गहलोत ने कहा कि अडानी की सभी औद्योगिक इकाइयों को राजस्थान का पूरा सहयोग मिलेगा। कांग्रेस नेता उस फोटो को मीडिया में बार-बार दिखाते हैं जिसमें अडानी के हवाई जहाज में नरेंद्र मोदी (गुजरात के सीएम रहते) बैठे हैं। लेकिन सब जानते हैं कि अडानी जयपुर का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मौजूदा सीएम गहलोत की मेहरबानी से ही चला रहे हैं। केंद्र सरकार से ठेके पर दिए गए इस हवाई अड्डे पर गौतम अडानी से ज्यादा अशोक गहलोत की चलती है। हवाई अड्डा परिसर में गहलोत को मोस्ट वीवीआईपी का दर्जा मिला हुआ है। यदि राजस्थान में अडानी की कंपनियों को सरकारी संरक्षण की जांच कराई जाए तो कई सनसनीखेज तथ्य उजागर हो सकते हैं। राहुल गांधी और कांग्रेस दिल्ली में अडानी पर जेपीसी की मांग कर रही है, लेकिन राजस्थान में अपनी सरकार के साथ अडानी की मिलीभगत है पर चुप है। ऐसे कैसे हो सकता है कि कांग्रेस को दिल्ली में तो अडानी लुटेरे नजर आते हैं, जबकि राजस्थान में एक सफल उद्योगपति। यदि कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर नहीं है तो सबसे पहले राजस्थान में अनुबंध को रद्द किया जाना चाहिए जो पिछले 4 वर्षों में गहलोत सरकार ने किए है। राहुल गांधी यदि अपनी ही पार्टी की सरकार वाले अनुबंध रद्द नहीं करवा सकते तो फिर कांग्रेस को जेपीसी की मांग करने का नैतिक अधिकार भी नहीं है। जेपीसी की मांग को लेकर बेवजह संसद की कार्यवाही बाधित की जा रही है
गहलोत तो विरोध प्रदर्शन में भी शामिल नहीं:
अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस ने 13 मार्च को राष्ट्रव्यापी आह्वान के अंतर्गत राजभवन का घेराव किया। जयपुर में कांग्रेस की ओर से विरोध प्रदर्शन हुआ, लेकिन इस प्रदर्शन में सीएम गहलोत शामिल नहीं हुए। गहलोत ने अभी तक अडानी के विरोध में कुछ भी नहीं कहा है। इससे प्रतीत होता है कि अडानी के मुद्दे पर सीएम गहलोत अपनी पार्टी के रुख से सहमत नहीं है। वैसे भी जब सरकार ने इतनी मेहरबानी कर रखी है, तब सीएम गहलोत अडानी का विरोध कैसे कर सकते हैं?
गहलोत तो विरोध प्रदर्शन में भी शामिल नहीं:
अडानी के मुद्दे पर कांग्रेस ने 13 मार्च को राष्ट्रव्यापी आह्वान के अंतर्गत राजभवन का घेराव किया। जयपुर में कांग्रेस की ओर से विरोध प्रदर्शन हुआ, लेकिन इस प्रदर्शन में सीएम गहलोत शामिल नहीं हुए। गहलोत ने अभी तक अडानी के विरोध में कुछ भी नहीं कहा है। इससे प्रतीत होता है कि अडानी के मुद्दे पर सीएम गहलोत अपनी पार्टी के रुख से सहमत नहीं है। वैसे भी जब सरकार ने इतनी मेहरबानी कर रखी है, तब सीएम गहलोत अडानी का विरोध कैसे कर सकते हैं?
S.P.MITTAL BLOGGER (17-03-2023)
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