इसरो ने सूर्य के रहस्यों का पता लगाने के लिए जो यान 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया है, वह सूर्य से एक हजार 485 लाख किलोमीटर दूर रहेगा और इसी स्थान से सूर्य से निकलने वाली आग की लपटों का अध्ययन करेगा। इसरो का यान आदित्य एल वन पृथ्वी से मात्र 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। यह दूरी भी 120 दिन में तय होगी। अजमेर के गवर्नमेंट कॉलेज के प्राचार्य रहे और फिजिक्स के विशेषज्ञ प्रोफेसर दीपक मल्होत्रा ने बताया कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी डेढ़ हजार लाख किलोमीटर आंकी गई है। दिग् बार सर्यू के ताप को पृथ्वी पर सहन करने में भी परेशानी होती है, ऐसे में 15 लाख किलोमीटर पास जाकर सूर्य का अध्ययन करना भी चुनौतीपूर्ण काम है। लेकिन अब हमारे देश के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में लंबी और प्रभावी छलांग लगा रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के साथ ही सूर्य की ओर जाना, बहुत बड़ी उपलब्धि है। आदित्य एल वन को 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करने में भले ही 120 दिन लगेंगे, लेकिन सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर मात्र 8 मिनट में आ जाता है। सूर्य के प्रकाश की गति तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की मानी गई है। भारत पहला ऐसा देश है तो सूर्य के इतने निकट पहुंचा है। यह यान सूर्य की सबसे बाहरी परत पर ठहर कर अध्ययन करेगा। इस स्थान से सूर्य को बिना किसी रुकावट के देखा जा सकेगा।
हनुमान जी ने मुंह में रख लिया था:
प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर ही यह माना गया है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन गया है। भगवान राम के जीवन से ही हनुमान जी का जीवन जुड़ा हुआ है। सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाले मानते हैं कि बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुंह में रख लिया था। तब सब जगह अंधेरा हो गया था, लेकिन थोड़ी ही देर में हनुमानजी ने सूर्य को उगल दिया। कहा जा सकता है कि हनुमान जी पृथ्वी से डेढ़ हजार लाख किलोमीटर उड़े और सूर्य को मुंह में रख लिया। भले ही इसे सनातन संस्कृति को मानने वालों की आस्था ही कहा जाए, लेकिन वैज्ञानिकों को हनुमान जी के चरित्र और जीवन पर भी अध्ययन करना चाहिए। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों को वेदों का भी अध्ययन करना चाहिए।
हनुमान जी ने मुंह में रख लिया था:
प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर ही यह माना गया है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन गया है। भगवान राम के जीवन से ही हनुमान जी का जीवन जुड़ा हुआ है। सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाले मानते हैं कि बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुंह में रख लिया था। तब सब जगह अंधेरा हो गया था, लेकिन थोड़ी ही देर में हनुमानजी ने सूर्य को उगल दिया। कहा जा सकता है कि हनुमान जी पृथ्वी से डेढ़ हजार लाख किलोमीटर उड़े और सूर्य को मुंह में रख लिया। भले ही इसे सनातन संस्कृति को मानने वालों की आस्था ही कहा जाए, लेकिन वैज्ञानिकों को हनुमान जी के चरित्र और जीवन पर भी अध्ययन करना चाहिए। इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों को वेदों का भी अध्ययन करना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-09-2023)
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