प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने एक सितंबर को जयपुर में जो छापामार कार्यवाही की उस में राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी के करीबी भू कारोबारी संजय बडाया भी फंस गए हैं। जल जीवन मिशन में हुए 20 हजार करोड़ रुपए के घोटाले में जो कार्यवाही एसीबी ने नहीं की, उसे ईडी ने अंजाम दिया। संजय बडाया पर हुई कार्यवाही के बाद जलदाय मंत्री महेश जोशी और विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल की भूमिका की भी जांच होगी। इतना बड़ा घोटाला उच्च प्रशासनिक एवं राजनीतिक संरक्षण के बगैर नहीं हो सकता। एक सितंबर की छापामार कार्यवाही में ईडी ने जलदाय मंत्री जोशी के करीबी संजय बडाया और जलदाय विभाग के इंजीनियरों के घर से दो करोड़ 50 लाख रुपए नकद तथा एक किलो की सोने की ईंट जब्त की है। शिकायतकर्ता राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का आरोप है कि जल जीवन मिशन में मंत्री महेश जोशी की छूट के कारण 20 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। नल से जल केंद्र सरकार की योजना में गरीबों को पानी पिलाने के बजाए इंजीनियरों, दलालों और ठेकेदारों ने एक एक किलो वाली सोने की ईंट खरीद लीं। आज भी करोड़ों रुपया घरों में छिपा कर रखा है। गंभीर बात तो यह है कि ठेकों की सरकारी फाइलें और जरूरी दस्तावेज दलालों के घरों से बरामद हुए हैं। जानकारों की माने तो जलदाय विभाग में चीफ इंजीनियरों की नियुक्ति भी संजय बडाया जैसे दलाल प्रवृत्ति के लोगों की सिफारिश पर होती थी। जलदाय विभाग में जो भ्रष्टाचार उजागर हुआ उससे प्रतीत होता है कि मंत्री महेश जोशी ब्याज सहित वसूलने में लगे हुए हैं। 2020 में सियासी संकट के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि आज तो विधायक मंत्री मेरी सरकार बचाने में सहयोग कर रहे हैं, उन्हें मैं ब्याज सहित भुगतान करुंगा। मंत्री महेश जोशी ने ाी सरकार बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सचिन पायलट के साथ जो विधायक दिल्ली गए थे, उनके विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा भी महेश जोशी ने ही दर्ज करवाया था। मुख्यमंत्री के साथ निकटता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब गहलोत की एंजियोप्लास्टी हुई, तब महेश जोशी ही मुख्यमंत्री की भूमिका में थे। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन महेश जोशी सरकार बचाने की कीमत वाकई ब्याज सहित वसूल रहे हैं।
एक ट्वीट की दरकार:
राजस्थान के आदिवासी जिले प्रतापगढ़ के धरियावद क्षेत्र में गत 31 अगस्त को दिन दहाड़े एक विवाहिता के कपड़े फाड़ कर निर्वस्त्र किया और पूरे गांव में घुमाया। शर्मसार करने वाली यह घटना कोई चुपचाप नहीं हुई, बल्कि सैकड़ों लोगों के सामने हुई, लेकिन पुलिस को खबर नहीं लगी। पुलिस तब जागी जब चौबीस घंटे बाद एक सितंबर को निर्वस्त्र वाली घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इससे राजस्थान पुलिस की कार्यकुशलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश में गृह मंत्री का प्रभार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। मणिपुर में जब ऐसी घटना हुई थी, तब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा दिया था, क्योंकि मणिपुर में भाजपा की सरकार है। लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में जब एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया जाता है, तब प्रियंका गांधी एक ट्वीट भी नहीं करती है। क्या महिला अत्याचार पर यह कांग्रेस का दोहरा चरित्र नहीं है? हो सकता है कि प्रियंका गांधी, अशोक गहलोत की आलोचना करने से डरती हों, इसलिए चुप्पी साध ली है। लेकिन प्रियंका गांधी को पीड़ित आदिवासी महिला के साथ सहानुभूति तो जताना ही चाहिए। हालांकि पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी फरार है। सीएम गहलोत ने अपने भरोसेमंद आईपीएस दिनेश एमएन को घटना स्थल पर भेजा है, लेकिन उन पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की है जो अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह रहे।
गहलोत के खिलाफ वकीलों का गुस्सा:
सीएम गहलोत ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा कि लोअर और अपर ज्यूडिशियरी में भंयकर भ्रष्टाचार है। इस बयान के बाद प्रदेशभर के वकील गहलोत के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अनेक वकीलों ने तो जिला न्यायालय, हाईकोर्ट में गहलोत के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना के मामले में भी दर्ज करवा दिए हैं। हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में गहलोत को अदालतों से नोटिस भी जारी हो जाए। गहलोत ने अदालतों को भ्रष्टाचारी तब बताया है, जब वे स्वयं एक आरोपी के तौर पर दिल्ली की अदालत में उपस्थित हो रहे हैं। मालूम हो कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जो मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, उसी में सीएम गहलोत अब तक वीसी के जरिए दो बार दिल्ली की अदालत में पेश हो चुके हैं। एक ओर प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है तो दूसरी ओर कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। अब अदालतों के खिलाफ बयान देकर गहलोत कानूनी पचड़ों में फंस गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी गहलोत प्रदेश में अपनी सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं।
एक ट्वीट की दरकार:
राजस्थान के आदिवासी जिले प्रतापगढ़ के धरियावद क्षेत्र में गत 31 अगस्त को दिन दहाड़े एक विवाहिता के कपड़े फाड़ कर निर्वस्त्र किया और पूरे गांव में घुमाया। शर्मसार करने वाली यह घटना कोई चुपचाप नहीं हुई, बल्कि सैकड़ों लोगों के सामने हुई, लेकिन पुलिस को खबर नहीं लगी। पुलिस तब जागी जब चौबीस घंटे बाद एक सितंबर को निर्वस्त्र वाली घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इससे राजस्थान पुलिस की कार्यकुशलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश में गृह मंत्री का प्रभार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। मणिपुर में जब ऐसी घटना हुई थी, तब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहरा दिया था, क्योंकि मणिपुर में भाजपा की सरकार है। लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में जब एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर गांव में घुमाया जाता है, तब प्रियंका गांधी एक ट्वीट भी नहीं करती है। क्या महिला अत्याचार पर यह कांग्रेस का दोहरा चरित्र नहीं है? हो सकता है कि प्रियंका गांधी, अशोक गहलोत की आलोचना करने से डरती हों, इसलिए चुप्पी साध ली है। लेकिन प्रियंका गांधी को पीड़ित आदिवासी महिला के साथ सहानुभूति तो जताना ही चाहिए। हालांकि पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी फरार है। सीएम गहलोत ने अपने भरोसेमंद आईपीएस दिनेश एमएन को घटना स्थल पर भेजा है, लेकिन उन पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की है जो अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाह रहे।
गहलोत के खिलाफ वकीलों का गुस्सा:
सीएम गहलोत ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा कि लोअर और अपर ज्यूडिशियरी में भंयकर भ्रष्टाचार है। इस बयान के बाद प्रदेशभर के वकील गहलोत के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। अनेक वकीलों ने तो जिला न्यायालय, हाईकोर्ट में गहलोत के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना के मामले में भी दर्ज करवा दिए हैं। हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में गहलोत को अदालतों से नोटिस भी जारी हो जाए। गहलोत ने अदालतों को भ्रष्टाचारी तब बताया है, जब वे स्वयं एक आरोपी के तौर पर दिल्ली की अदालत में उपस्थित हो रहे हैं। मालूम हो कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जो मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, उसी में सीएम गहलोत अब तक वीसी के जरिए दो बार दिल्ली की अदालत में पेश हो चुके हैं। एक ओर प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है तो दूसरी ओर कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। अब अदालतों के खिलाफ बयान देकर गहलोत कानूनी पचड़ों में फंस गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी गहलोत प्रदेश में अपनी सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-09-2023)
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