कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को अच्छी तरह पता है कि राज्यसभा में एनडीए को बहुमत है, लेकिन इसके बाद भी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। इस प्रस्ताव पर राज्यसभा के 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए है। प्रस्ताव रखने के लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। कांग्रेस ने भले ही अविश्वास प्रस्ताव रख दिया हो, लेकिन इसे राज्यसभा में स्वीकृत नहीं करवाया जा सकता। राज्यसभा में मौजूदा समय में सांसदों की संख्या 231 है और प्रस्ताव को स्वीकृत करवाने के लिए 116 सांसदों का समर्थन चाहिए, जबकि कांग्रेस और सहयोगी दलों के सांसदों की संख्या मात्र 85 है। सवाल उठता है कि जब राज्यसभा में बहुमत ही नहीं है तो फिर कांग्रेस ने यह प्रस्ताव क्यों रखवाया? सब जानते हैं कि कांग्रेस की शीर्ष नेता श्रीमती सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी इन दिनों अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ संबंध होने के आरोपों से घिरे हुए हैं। कांग्रेस आरोपों का जवाब देती इसके बजाए सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव रख दिया गया। अब संसद के शीतकालीन सत्र में सबसे बड़ा मुद्दा अविश्वास प्रस्ताव का हो गया है। इससे पहले कांग्रेस ने उद्योगपति गौतम अडानी का मुद्दा उछाल कर संसद की कार्यवाही को बाधित किया। अडानी के मुद्दे के मुकाबले में जब जॉर्ज सोरोस का मुद्दा सामने आया तो कांग्रेस ने सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रख कर बड़ा और नया मुद्दा रख दिया। इसे भारत के लोकतंत्र का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस संसद में संवैधानिक मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, उस संसद में अडानी, सोरोस और अविश्वास प्रस्ताव जैसे बेकार के मुद्दों पर हंगामा हो रहा है। कांग्रेस भले ही अडानी और धनखड़ को मुद्दा बना रही हो, लेकिन असल में निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर है। कांग्रेस नहीं चाहती है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का विकास हो। कांग्रेस गौतम अडानी को लेकर पीएम मोदी पर कितने भी हमले करे, लेकिन कांग्रेस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चलता हो कि मोदी ने अडानी से कोई लाभ प्राप्त किया है। पीएम मोदी की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक है। एक सांसद के तौर पर जो वेतन मिलता है, वही आय मोदी की है। मोदी का कोई रिश्तेदार न तो कंपनी चलाता है और न ही कोई व्यापार करता है। यदि अडाणी से एक रुपया लेने का मामला भी सामने आ जाता तो अब तक कांग्रेस पीएम मोदी से इस्तीफा मांग लेती। एक रुपया न लेने के बाद भी कांग्रेस अडानी को लेकर बेवजह आरोप लगा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि देश के विकास में अडानी समूह की महत्वपूर्ण भूमिका है। कांग्रेस कुछ भी कहे, लेकिन अडाणी समूह ने हथियार बनाने की जो फैक्ट्री लगाई है उसके माध्यम से आज भारतीय सेना को आधुनिक हथियार मिल रहे है। जबकि कांग्रेस के शासन में ऐसे हथियारों की विदेशों से खरीद होती थी। देश में आयुद्धो को विकसित करा हो या फिर बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, इन सब कार्यों में अडानी समूह की सक्रिय भागीदारी है। कांग्रेस के शासन में दुनिया में आर्थिक क्षेत्र में भारत 11वें नंबर पर था, लेकिन नरेंद्र मोदी के पिछले दस साल के शासन काल में भारत 5वें नंबर पर आ गया है और अब तीसरे नंबर पर आने की तैयारी है। भारत की इतनी आर्थिक स्थिति मजबूत होने के पीछे अडानी जैसे उद्योगपतियों की भूमिका है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस भारत की तरक्की से खुश नहीं है। जहां तक सभापति जगदीप धनखड़ का सवाल है तो धनखड़ ने हमेशा देश का सम्मान बढ़ाने वाला काम किया है। संवैधानिक पद पर रहते हुए धनखड़ ने कभी भी भारत के सम्मान को घटाने वाला काम नहीं किया। कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेता पहले भी धनखड़ का मजाक उड़ाते रहे हैं। मानसून स में जब टीएमसी के सांसद आनंद बनर्जी धनखड़ की मिमिक्री कर रहे थे, तब राहुल गांधी वीडियो बना रहे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल देश के उप राष्ट्रपति के बारे में क्या सोच रखते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-12-2024)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9166157932
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment