सदन के बाहर कांग्रेस जनता के समर्थन से सत्ता चाहती है, लेकिन संसद के अन्दर गुंडई कर सदन को चलने नहीं दिया जाता। कांग्रेस के सांसद सदन में गुंडागर्दी कर रहे है, इस बात के संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिए है। भाजपा के गठबंधन के पास 380 से भी ज्यादा सांसदों का बहुमत है, लेकिन इसके बाद भी सत्तारूढ दल संसद को चलाने में असमर्थ है। इसे लोकतंत्र की लाचारी ही कहा जाएग कि लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ सांसदों की गुडागंर्दी देखते रहते है। गुंडई करने वाले सांसदों को अनुशाय का पाठ तो पढ़ाया जाता है लेकिन कोई कार्यवाही नही की जाती। कांग्रेस के सांसद जिस तरह संसद में गुंडागर्दी कर रहे है उससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र भी उजागर होता है।
Monday, 2 December 2024
वक्फ बोर्ड को बचाने, जाति मतगणना कराने, आरक्षण को 50 प्रतिशत से ज्यादा करने जैसे कार्यों के लिए कांग्रेस को सत्ता चाहिए।-तो फिर संसद को बाधित क्यों किया जा रहा है ? क्या यह कांग्रेस का दोहरा चरित्र नहीं है?
1 दिसम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने संविधान बचाओ रेली को सम्बोधित किया। रैली में खड़गे ने कहा कि देश में वक्फ बोर्ड को बचाने, जाति मतगणना करवाने, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने जैसे कार्यों के लिए कांग्रेस की सत्ता की जरूरत है। देश की जनता जब कांग्रेस पार्टी को 50 प्रतिशत से अधिक सीटें देकर केन्द्र में सरकार बनवायेगी तब ऐसे सभी कार्यों को किया जाएगा। सत्ता के बगैर ऐसे कार्य संभव नहीं है। खड़गे ने कहा कि आज संविधान को खतरा है इसीलिए कांग्रेस संविधान बचाओ अभियान भी चला रही है। खंडगे ने सत्ता हासिल करने के लिए जो काम गिनाए है। उनके आधार पर कांग्रेस को सत्ता मिलेगी या नहीं, इसका फैसला तो जनता करेगी, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में खड़गे से सही कहा है कि कायदों को पूरा करने के लिए सत्ता को होना जरूरी है। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर कांग्रेस संसद को बाधित क्यों कर रही है ? संसद भी लोकतंत्र का हिस्सा है। लोकसभा के 545 सदस्यों में से कांग्रेस के पास अभी 100 सदस्य है। यानि कांग्रेस बहुमत से बहुत दूर है, लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस संसद प्रति दिन संसद में हंगामा करते है जिसकी वजह से संसद नहीं चल पा रही। संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवम्बर से शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक संसद एक दिन भी नहीं चल पायी है।
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