Thursday 2 November 2017

#3214
अजमेर में ओबीसी मोर्चे का विवाद भाजपा के प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचा। लोकसभा के उपचुनाव के मौके पर विवाद को गंभीर माना।
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अजमेर शहर भाजपा के ओबीसी मोर्चे में चल रहा विवाद अब प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर तक पहुंच गया है। अजमेर के लोकसभा उपचुनाव के मद्देनजर विवाद को प्रदेश नेतृत्व ने गंभीर माना है। मालूम हो कि गत 31 अक्टूबर को मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना ने निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए प्रशांत यादव को अजमेर शहर के ओबीसी मोर्चे के जिलाध्यक्ष के पद से हटा दिया था, लेकिन अगले ही दिन यादव ने शहर भाजपा के अध्यक्ष अरविंद यादव की अनुशंषा पर अपनी कार्यकारिणी घोषित कर दी। साथ ही आरोप लगाया कि भडाना को हटाने का अधिकार ही नहीं है। इस संबंध में भडाना का है कि प्रशांत यादव को मोर्चे के जिलाध्यक्ष के पद से हटाने से पहले अरविंद यादव से विचार विमर्श किया था। अरविंद की सहमति के बाद ही प्रशांत को हटाया गया। अरविंद भी इस बात से सहमत थे कि प्रशांत ने जो शहर कार्यकारिणी घोषित की है उसे किसी से भी स्वीकृत नहीं करवाया। यही वजह रही कि 30 अक्टूबर को जारी कार्यकारिणी पर अरविंद यादव के भी हस्ताक्षर नहीं है। लेकिन बाद में अरविंद यादव ही प्रशांत यादव के पक्ष में आकर खड़े हो गए। चूंकि 30 अक्टूबर वाली सूची पर अरविंद के हस्ताक्षर नहीं  थे, इसलिए 1 नवम्बर को दोबारा से सूची जारी की गई। भडाना ने कहा कि मैंने 7 जुलाई को प्रशांत यादव को ओबीसी मोर्चे का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया था, लेकिन गत चार माह की अवधि में प्रशांत ने मोर्चे की ओर से कोई भी कार्यक्रम नहीं किया। जबकि प्रदेशभर में मोर्चे के कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर पर सक्रियता दिखाई। प्रधानमंत्री की मन की बात के कार्यक्रम भी किए। लेकिन अजमेर शहर में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यहां तक की प्रशांत ने प्रदेश नेतृत्व से भी कोई संवाद नहीं किया। चूंकि अजमेर जिला मेरा गृह क्षेत्र है इसलिए मैं शुरू से ही गंभीर था। मेरे गृह जिले में मोर्चा सक्रिय रहे इसलिए निष्क्रिय प्रशांत यादव को हटाया गया था। भडाना ने बताया कि अजमेर में चल रहे विवाद के संदर्भ में उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया है। 
मैं सक्रिय रहा-प्रशांत यादवः
प्रशांत यादव का कहना है कि ओबीसी मोर्चे के अध्यक्ष के नाते मैं पूरी तरह सक्रिय रहा। भाजपा के शहर अध्यक्ष अरविंद यादव ने जो भी कार्य बातए उसके अनुसार काम किया गया। संगठन के सभी लोगों को संगठित करने के कारण ही कार्यकारिणी की घोषणा में विलंब हुआ। भाजपा के संविधान में मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष को जिलाध्यक्ष को हटाने का अधिकार नहीं है। प्रशांत यादव ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष भडाना ने अपने कुछ समर्थकों को कार्यकारिणी में शामिल करने के लिए कहा था, लेकिन मेरे लिए सभी नामों को शामिल करना संभव नहीं था। शायद इसी वजह से नाराज होकर मुझे अध्यक्ष पद से हटाया गया है।
प्रदेश नेतृत्व नाराजः
लोकसभा उपचुनाव के मौके पर अजमेर में हो रहे विवाद को लेकर भाजपा का प्रदेश नेतृत्व नाराज है। नेतृत्व का कहना है कि एक ओर सीएम वसुंधरा राजे स्वयं विधानसभा वार जन संवाद कर संगठन को मजबूत करने में लगी हुई है। वहीं स्थानीय नेता आपस में उलझ रहे हैं। संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर के ध्यान में यह भी लाया गया है कि अजमेर शहर उन तीन जिलों में शामिल है, जहां विवाद के चलते संगठन के चुनाव भी नहीं हुए हैं। शहर भाजपा के एक बड़े नेता के व्यवहार की शिकायत विगत दिनों ही प्रदेश अध्यक्ष परनामी से की गई थी, तब इस नेता को एक सरकारी दफ्तर से बैरंग लौटना पड़ा था। स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने भी पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में इसी नेता के व्यवहार पर नाराजगी जताई थी। देखना है कि ताजा विवाद पर प्रदेश नेतृत्व क्या कार्यवाही करता है। 
एस.पी.मित्तल) (02-11-17)
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