Friday 3 November 2017

#3218
45 साल की महिला आईजी 30 साल के युवा कलेक्टर के साथ 22 किलोमीटर दौड़ी। डीएसपी प्रीति चैधरी, ओम प्रकाश और मोहम्मद आदिल भी पीछे नहीं रहे। पुष्कर मेले पर ख्वाजा साहब की दरगाह से ब्रह्मा मंदिर तक हुई सद्भावना दौड़।
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आमतौर पर सरकारी स्तर पर जब दौड़ आदि के आयोजन होते हैं तो मात्र दिखावा ही नजर आता है। मंत्री, अधिकारी आदि फोटो खिंचवा निकल जाते हैं और पुलिस के जवान या स्कूली बच्चे दौड़ते रहते हैं। लेकिन तीन नवम्बर को पुष्कर मेले के अवसर पर अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से पुष्कर स्थित विश्व विख्यात ब्रह्मा मंदिर तक की जो सद्भावना दौड़ हुई, उसे रेंज की आईजी श्रीमती मालिनी अग्रवाल (45) तथा 30 वर्षीय युवा कलेक्टर गौरव गोयल ने पूरा किया। 22 किलोमीटर की जब यह दौड़ दरगाह से शुरू हुई, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि बड़े अधिकारी खास कर महिला आईजी, कलेक्टर आदि 22 किलोमीटर की दौड़ पूरी करेंगें। लेकिन आईजी मालिनी ने अपनी उम्र को परे धकलेते हुए 22 किलोमीटर की दौड़ पूरी की। हालांकि कलेक्टर गोयल के साथ प्रशासन का कोई आला अधिकारी दौड़ को पूरी नहीं कर सका, लेकिन टैªफिक की डीएसपी प्रीति चैधरी, दरगाह थाने के सीईओ ओम प्रकाश तथा दरगाह कमेटी के सहायक नाजिम मोहम्मद आदिल ने दौड़ पूरी की। इसके साथ ही सेल्फ डिफेंस से जुड़े 65 वर्षीय अमर सिंह राठौड़ और सीआरपीएफ तथा पुलिस के जवानों ने 22 किलोमीटर की दौड़ पूरी की।
सद्भावना का दिया संदेशः
दौड़ के समापन पर पुष्कर मेला मैदान पर हुए एक समारोह में आईजी मालिनी अग्रवाल और कलेक्टर गौयल का कहना रहा कि इस दौड़ का उद्देश्य सद्भावना का संदेश देना है। चूंकि अजमेर को साम्प्रदायिक सद्भावना की मिसाल माना जाता है, इसलिए इस दौड़ का खास महत्व है। आईजी ने कहा कि वैसे भी हर पुलिसकर्मी को फिट रहना चाहिए। मेरी लिए यह रोमांचकारी भी रही, क्योंकि दौड़ को घाटी से भी गुजरना पड़ा। कलेक्टर गोयल ने कहा कि दरगाह से पुष्कर की सद्भावना दौड़ की शुरुआत मैंने ही गत पुष्कर मेले से की थी। इस वर्ष इस दौड़ के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि रेंज की आईजी ने भी 22 किलोमीटर की दौड़ पूरी की है।
कठिन थी दौड़ः
दरगाह से पुष्कर तक की दौड़ कठिन थी। आमतौर पर दौड़ समतल सड़क पर होती है। लेकिन इस दौड़ के धावकों को पुष्कर घाटी को पार करना पड़ा जिस घाटी पर वाहन चलाने में भी परेशानी होती है। इस घाटी पर महिलाओं का दौड़ना मायने रखता है।
एस.पी.मित्तल) (03-11-17)
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