Thursday 30 November 2017

#3333
अजमेर की जिला प्रमुख के तौर पर अब याद आती हैं सुशील कंवर पलाड़ा। आखिर वंदना नोगिया की बैठकों में क्यों नहीं आते अफसर?
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29 नवम्बर को अजमेर जिला परिषद की आयोजना समिति की बैठक ऐन मौके पर इसलिए रद्द करनी पड़ी कि संबंध्ंिात विभागों के अधिकारी आए ही नहीं। जबकि जिला प्रमुख वंदना नोगिया और सीईओ अरुण गर्ग तय समय पर पहुंच गए थे। जिन अफसरों को बैठक में आना था उनका कहना है कि जिला परिषद बैठक की सूचना मिली ही नहीं, जबकि सीईओ गर्ग का दावा है कि सूचना इनको भिजवाई गई थी। असल में किसी भी निर्वाचित संस्था में मुखिया का असर सबसे ज्यादा होता है। यदि मुखिया असरदार हो तो अफसरशाही हर हुक्म मानती है। जिला परिषद की बैठकों में अफसरों के नहीं पहुंचने की शिकायत आम है। कई बार बैठकों को रद्द किया जाता है। अब जब अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं, तब यदि जिला परिषद जैसी महत्वपूर्ण संस्था में आयोजना समिति की बैठक भी नहीं हो सके तो यह सत्तारुढ़ भाजपा की स्थिति पर सवालिया निशान लगाती है। यह जिला प्रमुख के लिए भी अच्छी बात नहीं है। और जब बार-बार ऐसी घटनाएं होती हैं तो राजनीतिक सूझबूझ पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है। इन दिनों जिला परिषद के जो हालात सामने आए हैं उनमें पूर्व जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा की याद अब सभी को आ रही है। पलाड़ा की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में अफसर ही नहीं विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहते थे। पलाड़ा के कार्यकाल में सभी विभागों के अधिकारी बैठकों के प्रति जागरुक रहते थे। यहां तक कि जिला परिषद का स्टाफ भी जागरुक और सतर्क रहता था। पलाड़ा जब जिला प्रमुख थीं तब प्रदेश में कांग्रेस का शासन था, लेकिन इसके बावजूद भी पलाड़ा ने पंचायत समिति स्तर पर समस्या समाधान शिविर लगवाए। भले ही पलाड़ा भाजपा की जिला प्रमुख थीं, लेकिन सभी विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति रहती थी। विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों में भी पलाड़ा ने जिला परिषद को सक्रिय बनाए रखा। अब जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तब भी भाजपा की जिला प्रमुख की बैठक में अफसरों का नहीं आना अपने आप में विचित्र बात हैं। यह माना कि वंदना नोगिया राजनीति में नई हैं, लेकिन अब तो जिला प्रमुंख बने ढाई वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है, ऐसे में कुछ तो प्रभाव बनना ही चाहिए। जबकि नोगिया को प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का भी समर्थन रहता है। देवनानी के प्रयासों से ही नोगिया जिला प्रमुख बन पाई थीं। देवनानी भी नोगिया को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन नोगिया को अपनी भी राजनीतिक सूझबूझ दिखानी होीग। नोगिया पढ़ी लिखी युवा हैं, इसलिए जिले भर के लोगों खास कर ग्रामीणों को बहुत उम्मीदें हैं। अब जब सभी राजनीतिक परिस्थितियां अनुकूल हैं तो नोगिया को भी कार्य कुशलता दिखानी होगी। अफसरशाही उसे ही नमस्कार करती हैं, जिसके पास खुद का चमत्कार होता है।

एस.पी.मित्तल) (30-11-17)
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