Sunday 9 May 2021

जयपुर के सरकारी अस्पताल में एक लाख रुपए में बिक रहा है एक बेड। मंत्री के प्रभाव से भरतपुर के निजी अस्पताल को 10 सरकारी वेंटीलेटर ही दे दिए। समय पर ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से बीकानेर के अस्पताल में चार मरीजों की मौत।अशोक गहलोत जी! देखों राजस्थान की हालात क्या हो गई?

मैं यह नहीं कह रहा कि ऑक्सीजन के अभाव से अस्पतालों में मरीज परेशान है। मैं यह भी नहीं कह रहा कि स्वास्थ्य केन्द्रों पर 45 वर्ष से ऊपर वालों के वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। मैं यह भी नहीं कह रहा कि मरीजों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि आपके समक्ष इन हीककतों को बयान करने के कोई मायने नहीं है। आपने 8 माई को एक बार फिर कहा कि कोरोना के मौजूदा हालातों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार जिम्मेदार है। आप भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री हो, लेकिन आपकी नजर में मौजूदा हालातों के लिए केन्द्र सरकार ही जिम्मेदार है। आपकी राजनीतिक सोच को देखते हुए ही मैं इन मुद्दों को नहीं उठा रहा। लेकिन मौजूदा संसाधन के सदुपयोग की जिम्मेदारी तो आपकी और आपकी सरकार की है। सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंद व्यक्ति को इलाज मिले, इस पर आप भी सहमत होंगे। लेकिन इससे उलट प्रदेश के सबसे बड़े जयपुर स्थित आरयूएचएस कोविड अस्पताल में एक बेड एक लाख रुपए में बिक रहा है। यह कोई आरोप नहीं है, बल्कि एसीबी ने अशोक कुमार गुर्जर नाम के ऐसे दलाल को गिरफ्तार किया है जो एक एक लाख रुपए लेकर मरीजों को बेड उपलब्ध करवा रहा है। चूंकि प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी इस अस्पताल में मुफ्त में बेड उपलब्ध करवाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए लोगों को मजबूरन एक एक लाख रुपए देने पड़ रहे हैं। दलाल अशोक गुर्जर ने दावा किया है कि इसकी सेंटिंग बड़े नेताओं तक से है। स्वाभाविक है कि मिलीभगत के बगैर अशोक गुर्जर भी बेड उपलब्ध नहीं करवा सकता। आपकी सरकार के अधीन आने वाले अस्पताल में एक एक बेड के एक एक लाख रुपए में बिकने के लिए केन्द्र सरकार तो दोषी नहीं है। आपको यह जानकार भी ताज्जुब होगा कि भरतपुर के निजी जिंदल अस्पताल को 10 सरकारी वेंटिलेटर दे दिए गए हें। अधिकारियों का कहना है कि भरतपुर के सरकारी आरबीएम अस्पताल में वेंटीलेटर कबाड़ में पड़े थे, इसलिए निजी अस्पताल को दो हजार रुपए प्रतिदिन के किराए पर दिए हैं। अब जिंदल अस्पताल का मालिक डॉ. लोकेश जिंदल कोरोना काल में मरीजों से एक वेंटिलेटर का किराया प्रतिदिन 40 हजार रुपए तक वसूल रहा है। यानी सरकार को 10 वेंटिलेटर का किराया प्रतिदिन 20 हजार रुपए मिलेगा, जबकि डॉ. लोकेश जिंदल प्रतिदिन चार लाख रुपए की कमाई करेंगे। क्या कोई सरकारी संपत्ति इस तरह किराए पर दी जा सकती है? मुख्यमंत्री जी यह तो आप जानते ही होंगे कि आपके भरोसेमंद राज्यमंत्री सुभाष गर्ग भी भरतपुर के ही हैं। मैं इतना ही बताना चाहता हूं कि भरतपुर के जिस रंजीत नगर में जिंदल अस्पताल के मालिक डॉ. लोकेश जिंदल की कोठी है, उसी रंजीत नगर में आपके होनहार मंत्री सुभाष गर्ग की भी कोठी है। आपको यह भी पता होगा कि सुभाष गर्ग चिकित्सा विभाग के भी राज्यमंत्री हैं। ऐसे में भरतपुर के किस अधिकारी में हिम्मत है जो जिंदल अस्पताल को वेंटीलेटर देने से इंकार कर दे। क्या सरकारी वेंटीलेटर भी केन्द्र सरकार के कारण निजी अस्पतालों को दिए गए? जिन वेंटिलेटर पर गरीब व्यक्ति का इलाज होना चाहिए उस पर धनाढ्य व्यक्तियों ने कब्जा जमा लिया है। क्या यह सरकारी संपत्तियों की लूट नहीं है। सरकार के निर्देश तो यह है कि निजी अस्पतालो के बेड अधिग्रहित कर गरीबों का इलाज करवाया जाए। लेकिन सुभाष गर्ग के भरतपुर में तो उल्टा हो रहा है। सुभाष गर्ग राष्ट्रीय लोकदल के विधायक हैं। शायद ब्याज सहित भरपाई कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी आंख खोलने वाली तीसरी सच्चाई बीकानेर की है। 8 मई को बीकानेर के डीटीएम अस्पताल में 4 मरीजों की मौत ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से हो गई। बीकानेर प्रशासन के पास ऑक्सीजन के सिलेंडर पर्याप्त संख्या में थे, लेकिन सिलेंडर समय पर नहीं पहुंचे, इसलिए मरीज मर गए। अस्पताल तक सिलेंडर पहुंचाने की जिम्मेदारी भी आपके प्रशासन की थी। मुख्यमंत्री जी आप राजनीतिक नजरिए से कुछ भी बयान दें, लेकिन कम से कम सरकारी अस्पताल के बेड तो नहीं बिकने दें। वेंटिलेटर का उपयोग सरकारी अस्पतालों में करवाएं और उपलब्ध ऑक्सीजन समय पर अस्पतालों में पहुंचाएं। ये ऐसी व्यवस्था है जिन्हें केन्द्र को नहीं आपकी सरकार को करनी है। ऐसी खामियों के चलते आप अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते। 
S.P.MITTAL BLOGGER (09-05-2021)
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