Wednesday 12 May 2021

श्री सीमेंट की तरह इस बार आरके मार्बल समूह के सामाजिक कार्य नजर नहीं आ रहे। समूह के प्रमुख अशोक पाटनी पिछले एक वर्ष से किशनगढ़ वाले आवास पर ही हैं। पूजा पाठ में ध्यान ज्यादा।

राजस्थान के चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग के दखल से जब भरतपुर के एक निजी अस्पताल को 10 सरकारी वेंटिलेटर देने का मामला उजागर हुआ तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बेकार पड़े सभी वेंटीलेटरों को निजी अस्पतालों को देने के आदेश जारी करवा दिए। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से राज्यमंत्री सुभाष गर्ग तो बच गए लेकिन सवाल उठता है कि सरकारी  वेंटिलेटरो   पर निजी अस्पताल मरीज का इलाज मुफ्त में क्यों करेंगे? 11 मई को जारी आदेश में कहा गया है कि सरकार के वेंटिलेटरो पर निजी अस्पताल कोई शुल्क नहीं लेंगे। क्या प्रदेश का कोई निजी अस्पताल होगा, जो वेंटीलेटर को अपने वार्ड में रखकर मरीज का मुफ्त में इलाज करेगा? निजी अस्पतालों में किस किस प्रकार से शुल्क वसूला जाता है, यह सब जानते हैं। शायद ही कोई निजी अस्पताल होगा जो सरकार से वेंटिलेटर  लेकर मरीजों का मुफ्त इलाज करे। यदि किसी अस्पताल ने दिखाने के लिए वेंटिलेटर का कोई शुल्क नहीं लिया तो वेंटिलेटर पर इलाज के नाम पर मोटी रकम तो ले ही जाएगी। वेंटीलेटर पर मरीज को रखने के बाद ऑक्सीजन, दवा आदि अनेक चीजों की जरूरत होती है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री का यह आदेश अपने राज्यमंत्री को बचाने वाला है। कायदे से उन प्रभावी व्यक्तियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए थी, जिन्होंने सरकारी वेंटीलेटर भरतपुर के निजी अस्पताल को मात्र दो हजार रुपए प्रतिदिन के किराए पर दे दिए। लेकिन इसके उलट अब सभी वेंटीलेटर निजी अस्पतालों को देने का निर्णय लिया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने 1500 वेंटिलेटर राजस्थान को भेजे थे, लेकिन ऐसे वेंटीलेटर सरकारी अस्पतालों में कबाड़ में ही पड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार वाले वेंटीलेटर ही निजी अस्पतालों को देने का निर्णय लिया है।
नि:शुल्क इलाज पाने वालों की संख्या बताएं:
सरकार को निजी अस्पतालों में जरूरतमंद मरीजों के नि:शुल्क इलाज की इतनी ही चिंता है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बताना चाहिए कि राजधानी जयपुर और उनके गृह जिले जोधपुर के निजी अस्पतालों में कोविड के कितने मरीजों का इलाज निशुल्क हुआ? मुख्यमंत्री को याद होगा कि कोरोना की दूसरी लहर के शुरू में ही एक आदेश निकाला था, जिसमें बड़े निजी अस्पतालों से कहा गया कि वे 50 प्रतिशत बेड आरक्षित रखें, ताकि सरकारी अस्पतालों के ओवर फ्लो होने पर मरीजों को भर्ती किया जा सके। मौजूदा समय में प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल फुल है, लेकिन फिर भी निजी अस्पतालों के बेड का उपयोग नहीं हो रहा है। असल में मुख्यमंत्री को भी याद नहीं होगा कि कितने आदेश निकाले गए हैं। खुद मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि सरकारी अस्पतालों में इतने मरीजों का इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी निजी अस्पतालों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। जयपुर और जोधपुर के निजी अस्पतालों का उपयोग नहीं होने का कारण मुख्यमंत्री ही बता सकते हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (12-05-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9602016852
To Contact- 9829071511

No comments:

Post a Comment