Saturday 1 May 2021

लॉकडाउन अवधि विस्तार की घोषणा दो दिन पहले कर सीएम अशोक गहलोत ने अच्छी पहल की है।कांग्रेस विधायक सीपी जोशी के साले को विद्युत विनियामक आयोग का अध्यक्ष बनाना राजनीतिक सूझबूझ वाला निर्णय है।

राजस्थान में तीन मई की सुबह 6 बजे तक पहले चरण का लॉकडाउन लगा हुआ है, लेकिन प्रदेश की जनता को 30 अप्रैल को ही बता दिया गया कि यह लॉकडाउन आगामी 17 मई तक जारी रहेगा। लॉकडाउन विस्तार की दो दिन पहले जानकारी देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक अच्छी पहल की है। पूर्व में जब दो दिन का वीकेंड और एक पखवाड़े का लॉकडाउन लगाया था, तब ऐन मौके पर आधी रात को घोषणाएं की गई, जिसमें लोगों को परेशानी हुई। कई पाबंदियों को लेकर असमंजस की स्थिति रही। लेकिन इस बार 30 अप्रैल को ही बता दिया कि लॉकडाउन अब 17 मई तक रहेगा। जो कारोबारी इस उम्मीद में थे कि 3 मई से बाजार खुल जाएंगे उन्हें भी दो दिन पहले पता चल गया कि अब प्रदेश में 17 मई तक लॉकडाउन रहेगा। जिस तरह से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए लॉकडाउन को बढ़ाने का निर्णय सही माना जा रहा है। हालांकि इससे मजदूर वर्ग को भारी परेशानी हो रही है, लेकिन लोगों की जान बचाने के लिए यह जरूरी है। अच्छा हो कि भविष्य में भी राज्य सरकार इसी तरह निर्णय लें।
विधायक के साले को अध्यक्ष बनाया:
गत वर्ष जब राजस्थान में राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ था, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि जो विधायक आज उनके साथ खड़े हैं, उन्हें ब्याज सहित भरपाई की जाएगी। गहलोत अपने इस वादे पर लगातार खरे उतर रहे हैं। अब 30 अप्रैल को राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग का अध्यक्ष रिटायर आईएएस बीएन शर्मा को बनाया है। सीएम गहलोत बीएन शर्मा के खाते में कई उपलब्धियां गिना सकते हैं। शर्मा की योग्यता पर किसी को संदेह नहीं है, लेकिन यह भी सही है कि बीएन शर्मा नाथद्वारा के कांग्रेस विधायक सीपी जोशी के साले हैं। सीपी जोशी कितने ताकतवर राजनेता है, यह किसी से छिपा नहीं है। गत वर्ष राजनीतिक संकट में सीपी जोशी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। संकट के दौरान ही एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें सीपी जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चर्चा कर रहे हैं। बीएन शर्मा को आयोग का अध्यक्ष बना कर मुख्यमंत्री ने वाकई ब्याज सहित भरपाई की है। राजनीति में इसे गलत भी नहीं माना जाना चाहिए। आखिर जिन लोगों की वजह से गहलोत मुख्यमंत्री बने रहे, उन्हें सरकार का कुछ तो फायदा मिलना चाहिए। इसके बाद भी प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट कथित समझौते (फार्मूले) को लागू करने की मांग करें, तो यह उनकी राजनीतिक समझ हैं। गहलोत तो अपने नजरिए से सरकार को बनाए और चलाए हुए हैं। इसलिए तो मुख्य सचिव के पद से हटने के बाद डीबी गुप्ता मुख्य सूचना आयुक्त और पुलिस महानिदेशक के पद से हटने के बाद भूपेंद्र यादव राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बने हुए हैं। भरपाई उन्हें नहीं की जाती जो सरकार गिराने में लगे हुए थे। 
S.P.MITTAL BLOGGER (01-05-2021)
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