Sunday 2 May 2021

पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से कांग्रेस और राहुल गांधी को आत्म विश्लेषण करने की जरुरत।राहुल गांधी केरल से खुद सांसद हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनाव प्रभारी बनाया था, लेकिन फिर हार हुई।असम में भाजपा को सत्ता से दूर नहीं कर सकती कांग्रेस।क्या कांग्रेस अब विपक्षी दलों का नेतृत्व कर पाएगी?

राहुल गांधी और कांगे्रस इस बात से खुश हो सकते हैं कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार नहीं बनने दी, लेकिन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से राहुल गांधी और कांगे्रस को आत्म विश्लेषण करने की जरूरत है। सब जानते हैं कि कांग्रेस ने बंगाल में चुनाव लड़ा ही नहीं, लेकिन केरल और असम में सरकार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। असम में भाजपा की सरकार को हटाने के लिए कांग्रेस ने कट्टरपंथियों से भी समझौता किया, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी असम में भाजपा को नहीं हराया जा सका। उल्टे असम में कांग्रेस पहले से कमजोर हुई है। 2 मई के परिणाम में  120 में से 78 सीटों पर भाजपा को बढ़त है, जबकि कांग्रेस गठबंधन 47 सीटों पर ही जीत रहा है। गत विधानसभा के चुनाव भाजपा के पास 60 सीटें थी, जबकि कांग्रेस 25 विधायक थे। इस बार भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने कट्टरपंथियों से भी समझौता कर लिया था। असम की तरह केरल में भी कांग्रेस और राहुल गांधी को झटका लगा है। केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से राहुल गांधी खुद सांसद हैं। केरल में सरकार बनाने के लिए राहुल गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रभारी बनाया था। केरल में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से नहीं बल्कि वामपंथियों से था। वामपंथियों के गठबंधन एलडीएफ को सत्ता से बाहर करने के लिए राहुल गांधी ने पूरा जोर लगा दिया, लेकिन वे लेफ्ट को सत्ता से बाहर नहीं कर सके। केरल की 140 सीटों में से एलडीएफ को 90 सीटों पर बढ़त है, जबकि कांग्रेस गठबंधन को 44 सीटें ही मिल रही है, यहां पर भाजपा को भी इस बार चार सीटों पर बढ़त है। आमतौर पर केरल में कांग्रेस ने अपने दम पर चुनाव लड़ा था, जबकि तमिलनाडु में राहुल गांधी डीएमके के कंधों पर सवार थे। डीएमके ने भी सिर्फ दिखाने के लिए कांगे्रस को साथ रखा था। कांग्रेस की स्थिति इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 234 सीटों में से मात्र 25 सीटें कांग्रेस को दी गई। 2 मई को घोषित परिणाम में 132 सीटों पर डीएमके को बढ़त है, जबकि जलललिता वाली एआईडीएमके को 98 सीटों पर बढ़त है। भाजपा ने जयललिता वाली पार्टी से गठबंधन किया है। आमतौर पर तमिलनाडु में एक तरफा परिणाम होता है, लेकिन इस बार एआईडीएमके ने 98 सीटों पर बढ़त बना कर डीएमके को कड़ी चुनौती दी है। पुडुचेरी में भी कांग्रेस के यूपीए के मुकाबले में भाजपा के एनडीए को बढ़त हैं। सब जानते है कि असम और केरल में राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी प्रचार किया था, लेकिन ये दोनों ही नेता अपने दल को सफलता नहीं दिलवा सके। कांग्रेस को विपक्षी दलों के गठबंधन का प्रतिनिधि माना जाता है, लेकिन सवाल उठता है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद क्या कांग्रेस अब विपक्ष का नेतृत्व कर पाएगी? यह माना कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत और पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के दम पर कांगे्रस की सरकार है। इस परिणामों के बाद अब कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्व को लेकर घमासान होगा। 
S.P.MITTAL BLOGGER (02-05-2021)
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