Tuesday 25 May 2021

वैक्सीन के लिए बिना रजिस्ट्रेशन के सेंटरों पर बुलाने से और परेशानी बढ़ेगी। अभी स्लॉट बुक करवाने के बाद भी वैक्सीन नहीं लग रही है।जिस सेंटर पर 100 डोज होंगे, वहां एक हजार लोग पहुंचेंगे, तब क्या होगा? सेंटरों पर झगड़े होने की आशंका। वैसे भी 18 से 44 वर्ष वालों के लिए राज्य सरकारों को जुगाड़ करना है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 18 से 44 वर्ष वाले युवाओं को वैक्सीन के लिए कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन करने पर स्लॉट बुक करवाने की जरुरत नहीं है। ऐसे युवा सरकारी स्वास्थ्य सेंटरों पर जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। सेंटर पर ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को यह दिशा निर्देश तब जारी किए हैं, जब रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुक करवाने के बाद भी सेंटरों पर वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। केन्द्र सरकार ने 18 से 44 वर्ष वाले युवाओं को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी है। लाख कोशिश के बाद भी राज्यों को खुले बाजार से कोरोना की वैक्सीन नहीं मिल रही है। बड़ी कंपनियों ने राज्यों को वैक्सीन देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में अनेक राज्यों ने 18 वर्ष से ऊपर वालों को वैक्सीन लगाने का काम बंद कर दिया हे। अब यदि बिना रजिस्ट्रेशन के सैकड़ों युवा अपने निकटतम सेंटर पर वैक्सीन लगवाने पहुंच जाएंगे तब क्या होगा? यदि किसी सेंटर पर 100 डोज हैं और वैक्सीन लगवाने के लिए एक हजार लोग पहुंच गए, तब चिकित्सा कर्मी हालातों से कैसे निपटेंगे? केन्द्र सरकार ने ताजा आदेश से लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ेगी। अभी ऑनलाइन स्लॉट नहीं मिलने से युवाओं को घर पर ही परेशानी हो रही है, लेकिन यदि बिना स्लॉट के सेंटर पर पहुंचे और वैक्सीन नहीं लगी तब क्या होगा? यदि ऐसा रोज होगा तो सेंटरों के बाहर झगड़े होंगे। चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी। हो सकता है कि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाएगी। जब केन्द्र सरकार ने 18 वर्ष वालों को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी है तो फिर वैक्सीन लगाने को लेकर दखल क्यों दिया जा रहा है? अच्छा हो कि पहले वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। जब पर्याप्त मात्र में वैक्सीन हो, तब लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन के सेंटरों पर बुलाए जाए। कुछ लोगों का तर्क है कि ग्रामीणों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है, इसलिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे हैं। यह तर्क कूड़ेदान में फेंकने वाला है, क्योंकि शहर के ज्यादा गांव के युवाओं के पास एंड्रॉयड फोन है। गांव का शायद ही कोई परिवार होगा, जिसमें एंड्रॉयड फोन न हो। ऐसे तर्क देने के बजाए गांवों में वैक्सीन के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। चुनाव में भी तो राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता घर घर संपर्क करते हैं। खुद उम्मीदवार एक घर पर कई बार दस्तक देता है। वैक्सीन के लिए वार्ड पंच, सरपंच, प्रधान, अपने अपने क्षेत्रों में जाकर नहीं कर सकते? क्या ऐसी जागरूकता सिर्फ वोट लेने के लिए ही होती है? 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-05-2021)
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