Tuesday 17 May 2022

महबूबा साहिबा! हिन्दुओं को मस्जिद नहीं, अपने मंदिर चाहिए।तो बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में वजू की प्रक्रिया शिवलिंग वाले पानी से होती रही।

जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की हिमायती भारतीय नेत्री और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि हिन्दू पक्ष एक बार उन मस्जिदों की लिस्ट दे दें जो उन्हें चाहिए। महबूबा ने कहा कि हम जहां भी मस्जिद बनाएंगे वहीं पर खुदा आ जाएंगे। हमारी इबादत में इतनी ताकत है। महबूबा ने कहा कि एक बार मस्जिद ले लेने के बाद फिर किसी मस्जिद को लेकर विवाद नहीं होना चाहिए। महबूबा ने यह बयान मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म भूमि, बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद, आगरा में ताजमहल, दिल्ली में कुतुब मीनार आदि में हिन्दुओं के धार्मिक स्थल होने के विवादों के संदर्भ में दिया। महबूबा के बयान से प्रतीत होता है कि हिन्दू पक्ष मुस्लिम पक्ष की मस्जिदें मांग रहा है। महबूबा को यह समझना चाहिए कि हिन्दू पक्ष कोई मस्जिद नहीं मांग रहा है और न ही कोई मस्जिद जबरन छीनी जा रही है। हिन्दू पक्ष तो अपने मंदिरों और धार्मिक स्थलों की वापसी चाहता है। ये तो धार्मिक स्थल या मंदिर हैं जिन्हें आक्रांता मुगल शासकों ने समय-समय पर तोड़े और एसी परिसर में मस्जिदें बनवाई। अच्छा हो कि हिन्दुओं के ऐसे धार्मिक स्थलों की वापसी के लिए महबूबा मुफ्ती देशभर में मुहिम चलाएं। ताजा मामला बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद का है। महबूबा अच्छी तरह जानती है कि बनारस के बाबा विश्वनाथ मंदिर को आक्रांताओं ने तीन बार नष्ट किया। पहली बार 1194 में मुहम्मद गोरी ने। यह वही मोहम्मद गौरी है जो हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान से 16 बार हारा था। दूसरी बार सिकंदर लोधी ने अपने 1505 से 1515 के शासन में बाबा विश्वनाथ के मंदिर को लूटा और नुकसान पहुंचाया। अंतिम बार 1669 में अत्याचारी औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ कर मंदिर परिसर में ही मस्जिद का निर्माण करवा दिया। अब वही मस्जिद पर हिन्दू समुदाय अपना हक जता रहा है। 1947 में जब धर्म के आधार पर हिंदुस्तान को चीर कर मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान का जन्म करवा लिया गया। कायदे से तभी हिन्दुओं को उनके मंदिर और धार्मिक स्थल मिल जाने ाहिए थे। लेकिन तब तत्कालीन राजनेताओं ने हिंदुस्तान को धर्मनिरपेक्षता का चोला पहना दिया। सवाल उठता है कि हिन्दू पक्ष को अपने मंदिर और धार्मिक स्थल क्यों नहीं मिलने चाहिए?

शिवलिंग वाले पानी से वजू?:
इस्लाम में वजू की प्रक्रिया को बहुत पाक (पवित्र) माना गया है। नमाज से पहले वजू करना अनिवार्य होता है। वजू की प्रक्रिया हाथ मुंह आदि धोना होता है। इसलिए हर मस्जिद में वजू की सुविधा रहती है। बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में भी वजू की सुविधा है। लेकिन 15 से 16 मई के बीच हुए सर्वे से पता चला कि वजू के लिए जिस स्थान पर पानी भरा रहता है, उसी में विश्वेश्वर नाथ बाबा का शिवलिंग है। यानी शिवलिंग वाले पानी से ही अब तक मस्जिद में वजू की रस्म हो रही थी। शिवलिंग के महत्व को देखते हुए ही सेशन कोर्ट ने बनारस प्रशासन को सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। अब इस स्थान को सुरक्षा बलों ने अपने कब्जे में ले लिया है। वैसे भी यदि किसी स्थान पर गैर इस्लामिक धर्म के प्रतीक चिन्ह होते हैं तो वहां नमाज पढ़ने की मनाही है। बनारस के लिए यह सौहार्द की बात है आम मुसलमान को इस विवाद से कोई सरोकार नहीं है। हजारों मुस्लिम परिवार बाबा विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं पर निर्भर है। ऐसे मुस्लिम परिवारों की भी मंदिर के आसपास दुकानें हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-05-2022)
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