इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि तीन मई को जब हिन्दू समुदाय के लोग अक्षय तृतीया का पर्व मनाएंगे, तब इसी दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मीठी ईद का जश्न मनाएंगे। ईद उल फितर को मीठी ईद इसलिए कहा जाता है कि इस दिन मुस्लिम परिवारों में मैदा की सेवइयां की खीर बनती है। कोई एक माह के रोजे (व्रत) के बाद मुस्लिम परिवार के सदस्य बड़े चाव से सेवइयां वाली खीर खाते हैं। हिन्दू समुदाय में अक्षय तृतीया के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस दिन को पूरी तरह शुभ माना जाता है। बिना मुहूर्त के ही शादी ब्याह के आयोजन किए जाते हैं। यानी अक्षय तृतीया पर किया गया कार्य हमेशा सफल होता है। एक मई को आसमान में चांद नहीं दिखा, इसलिए मीठी ईद तीन मई को मनाई जाएगी। 2 मई को रमजान माह का अंतिम रोजा मान कर मुस्लिम समुदाय के लोग तीन मई को ईद का जश्न मनाएंगे। कोरोना संक्रमण की वजह से गत वर्षों से मीठी ईद के अवसर पर ईदगाहों में नमाज नहीं पढ़ी जा सकी, लेकिन इस बार ईदगाहों में नमाज पढ़ने को लेकर मुस्लिम समुदाय में भारी उत्साह है। ऐसे कई मौके आते हैं, जब हिन्दू और मुसलमान एक ही दिन खुशी का इजहार करते हैं। असल में यही भारत की खूबसूरती है। भले ही मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में हिन्दू समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा हो, लेकिन हिंदुस्तान में सभी धर्मों का सम्मान है। यहां लोग अपने धर्म के नियमों के अनुरूप जीवन यापन कर सकते हैं। तीन मई को भी देशभर में मस्जिदों और ईदगाहों के बाहर हिन्दू समुदाय के लोग खड़े होकर मुसलमानों को ईद की मुबारक बाद देंगे।
मंदिरों से भी हटेंगे लाउडस्पीकर:
एक मई को महाराष्ट्र में नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगाबाद में एक बड़ी सभा की। इस सभा में राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर रहे हैं। जब यह कार्य उत्तर प्रदेश में आपसी सहमति से हो सकता है तो फिर महाराष्ट्र में क्यों नहीं? राज ठाकरे ने कहा कि वे कोई असंवैधानिक मांग नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत ही लाउडस्पीकर के लिए गाइडलाइन जारी की है। इस गाइड लाइन की पालना होनी ही चाहिए। यदि तीन मई तक महाराष्ट्र सरकार ने गाइड लाइन की पालना नहीं करवाई तो वे 4 मई से अपने तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करवाएंगे। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है कि उनके निशाने पर समुदाय विशेष के लोग हैं। धार्मिक स्थलों पर लगे लाउड स्पीकरों की आवाज से विद्यार्थियों से लेकर बीमार और बुजुर्गों को परेशानी होती है। जो लोग धर्म की आड़ लेकर लाउड स्पीकर पर चिखते हैं, उन्हें लोगों की परेशानी भी देखनी चाहिए। धार्मिक स्थलों पर से लाउडस्पीकर हटाने के लिए कई बार विनम्रता के साथ आग्रह किया गया, लेकिन हमारे आग्रह को स्वीकार नहीं किया गया।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-05-2022)
मंदिरों से भी हटेंगे लाउडस्पीकर:
एक मई को महाराष्ट्र में नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगाबाद में एक बड़ी सभा की। इस सभा में राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर रहे हैं। जब यह कार्य उत्तर प्रदेश में आपसी सहमति से हो सकता है तो फिर महाराष्ट्र में क्यों नहीं? राज ठाकरे ने कहा कि वे कोई असंवैधानिक मांग नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत ही लाउडस्पीकर के लिए गाइडलाइन जारी की है। इस गाइड लाइन की पालना होनी ही चाहिए। यदि तीन मई तक महाराष्ट्र सरकार ने गाइड लाइन की पालना नहीं करवाई तो वे 4 मई से अपने तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करवाएंगे। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है कि उनके निशाने पर समुदाय विशेष के लोग हैं। धार्मिक स्थलों पर लगे लाउड स्पीकरों की आवाज से विद्यार्थियों से लेकर बीमार और बुजुर्गों को परेशानी होती है। जो लोग धर्म की आड़ लेकर लाउड स्पीकर पर चिखते हैं, उन्हें लोगों की परेशानी भी देखनी चाहिए। धार्मिक स्थलों पर से लाउडस्पीकर हटाने के लिए कई बार विनम्रता के साथ आग्रह किया गया, लेकिन हमारे आग्रह को स्वीकार नहीं किया गया।
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