राजस्थान भाजपा के किसी बड़े नेता की तरह संगठन महासचिव चंद्रशेखर ने अपना जन्मदिन नहीं मनाया। समर्थकों ने न तो भव्य आयोजन किया और न ही कोई रक्तदान शिविर। चंद्रशेखर पिछले पांच वर्ष से संगठन महासचिव की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एक मई को प्रदेशभर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर चंद्रशेखर का जन्मदिन मनाया, जबकि चंद्रशेखर ने जयपुर में आयोजित एक जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। भाजपा में संगठन महासचिव की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। संगठन का महासचिव प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक को बनाया जाता है। चंद्रशेखर भी उत्तर प्रदेश में संघ के विभाग प्रचारक रह चुके हैं। संघ के निर्देश पर ही चंद्रशेखर को राजस्थान भाजपा का संगठन महासचिव नियुक्त किया गया। चंद्रशेखर को राजस्थान में तब नियुक्ति दी, जब वर्ष 2017 में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही थी। चंद्रशेखर के आने के बाद सबसे बड़ी तब्दीली प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर हुई। सीएम राजे की पसंद वाले अशोक परनामी को अध्यक्ष पद से हटाकर मदनलाल सैनी को अध्यक्ष बनाया गया। जिन राजनीतिक हालातों में परनामी को हटाया उन्हें चंद्रशेखर अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन चंद्रशेखर ने संगठन को मजबूत करने वाला निर्णय लिया। हालांकि विधानसभा के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन छह माह बाद ही हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा की सभी 25 सीटों पर जीत हुई। जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव के परिणाम के बारे में चंद्रशेखर ने राष्ट्रीय नेतृत्व को पहले ही संकेत दे दिए थे। क्योंकि लोकसभा चुनाव की रणनीति चंद्रशेखर के सुझावों पर बनी इसलिए परिणाम भी एक तरफा रहे। पिछले साढ़े तीन वर्ष से कांग्रेस के शासन में भाजपा विपक्ष की भूमिका में है। चंद्रशेखर बड़े नेताओं के विवाद में पड़े बगैर संगठन को सक्रिय बनाए हुए हैं। हालांकि इसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की भी भूमिका होती है। लेकिन कई मौकों पर प्रदेश अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी संगठन महासचिव पर डाल देते हैं। भाजपा में संगठन महासचिव के निर्णय को चुनौती देना आसान नहीं है। हालांकि निर्णय पर मोहर प्रदेश अध्यक्ष की ही लगती है, लेकिन निर्णय लेने से पूर्व संगठन महासचिव की राय सबसे महत्वपूर्ण होती है। ऐसा नहीं की राजस्थान भाजपा नेताओं के बीच खींचतान न हो। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के मौजूदा नेतृत्व के बीच तालमेल का अभाव साफ नजर आता है। प्रदेश भाजपा के बड़े नेता इन दिनों जिला स्तर पर आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं। लेकिन प्रशिक्षण शिविरों में पूर्व सीएम राजे की भूमिका नजर नहीं आ रही है। सूत्रों की मानें तो डेढ़ वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इन प्रशिक्षण शिविरों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रदेशभर में जिला स्तर पर शिविर आयोजित करने की रणनीति संगठन महासचिव की हैसियत से चंद्रशेखर ने ही बनाई है। राजस्थान भाजपा में चंद्रशेखर अंगद के पैर की तरह जमे हुए हैं। हो सकता है कि कुछ नेताओं ने चंद्रशेखर के पैर को हिलाने की कोशिश की हो, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है, इसकी मुख्य वजह यही है कि चंद्रशेखर राजनीति करने के बजाए संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो चंद्रशेखर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक राजस्थान में ही जमे रहेंगे। चंद्रशेखर का संकल्प भी हो सकता है कि राजस्थान में भाजपा की सरकार बनवाने के बाद ही यहां से विदाई ली जाए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई मौकों पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आदि को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां करते हैं, लेकिन सीएम गहलोत ने आज तक भी चंद्रशेखर को लेकर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। जबकि भाजपा के कामकाज में चंद्रशेखर की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सही है कि भाजपा के अन्य नेताओं की तरह चंद्रशेखर मीडिया में हाईलाइट नहीं होते। चंद्रशेखर चुपचाप संगठन का कामकाज करते रहते हैं। असल मे चंद्रशेखर को इस बात का अहसास है कि वे संघ के प्रचारक है और जिस दिन संघ के निर्देश मिलेंगे उसी दिन राजस्थान को छोड़ना पड़ेगा। चंद्रशेखर भाजपा के आम कार्यकर्ता से भी बहुत सरलता के साथ मिलते हैं। भाजपा के जयपुर स्थित प्रदेश मुख्यालय पर कोई भी कार्यकर्ता चंद्रशेखर से मिल सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (01-05-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment