Friday 6 May 2022

राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के भ्रष्ट कुलपति रामावतार गुप्ता के राजनीतिक संरक्षण का भी पता लगाया जाना चाहिए।सुभाष गर्ग हैं टेक्नीकल एजुकेशन के मंत्री। गर्ग को मुख्यमंत्री का संरक्षण।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 5 मई को बड़ी कार्यवाही करते हुए राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति रामावतार गुप्ता को पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह रिश्वत एक निजी कॉलेज की सीटें बढ़ाने के एवज में ली जा रही थी। हालांकि टेक्निकल यूनिवर्सिटी कोटा में हैं, लेकिन जयपुर स्थित एमएनआईटी के गेस्ट हाउस में बैठे हुए थे। गुप्ता कमरे से 20 लाख रुपए और नकद मिले हैं, इसलिए माना जा रहा है कि गुप्ता कोटा से जयपुर उगाई के लिए आए थे। एसीबी की जांच में गुप्ता के बैंक खातों से 80 लाख रुपए तथा लॉकरों से सोना चांदी भी मिला है। जयपुर में 11 प्लाट भी मिले हैं। यानी गुप्ता के पास अकूत संपत्ति है। सब जानते हैं कि यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति राजनीतिक नजरिए से ही होती है। प्रदेश में जिस दल की सरकार होती है, उसी दल के नेताओं की सिफारिश पर कुलपति नियुक्त होते हैं। तीन वर्ष पहले जब रामावतार गुप्ता का चयन हुआ, तब भी चयन पर सवाल उठे। गुप्ता के साथ साथ अन्य शिक्षाविदों का नाम भी कमेटी में शामिल था जो गुप्ता से अधिक योग्य थे, लेकिन राजनीतिक संरक्षण गुप्ता को था, इसलिए खामियां होते हुए भी गुप्ता को कुलपति बनाया गया। चूंकि राजनीतिक संरक्षण था, इसलिए रामावतार गुप्ता ने यूनिवर्सिटी में लूटमार मचा रखी थी। इन दिनों लूटमार ज्यादा हो रही थी, क्योंकि गुप्ता जुलाई में रिटायर हो रहे थे। एसीबी यदि गुप्ता के मोबाइल की कॉल डिटेल का अध्ययन करेगी तो राजनीतिक संरक्षण का भी पता लग जाएगा। एसीबी के डीजी बीएल सोनी और एडीजी दिनेश एमएन माने या नहीं, लेकिन रामावतार गुप्ता अकेले अपने दम पर इतने बड़े पैमाने पर रिश्वत नहीं ले सकते हैं। निजी कॉलेजों को मान्यता देने, विद्यार्थियों की संख्या निर्धारित करने और संख्या बढ़ाने आदि कार्यों में टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
 
सुभाष गर्ग है मंत्री:
राजस्थान में मौजूदा समय में सुभाष गर्ग तकनीकी शिक्षा के स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री हैं। सब जानते हैं कि गर्ग को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का संरक्षण है। गर्ग राजस्थान में आरएलडी के एक मात्र विधायक हैं। उत्तर प्रदेश में भले ही आरएलडी और कांग्रेस में कोई समझौता न हो, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत ने सुभाष गर्ग को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बना रखा है। इतना ही नहीं सीएम गहलोत ने अपने गृह जिले जोधपुर का प्रभारी मंत्री भी सुभाष गर्ग को ही बना रखा है। गर्ग भले ही राज्यमंत्री हों, लेकिन उनका रुतबा कैबिनेट मंत्री से भी ज्यादा है। जीएसटी की राष्ट्रीय काउंसिल की बैठक में भी गर्ग मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर भाग लेते हैं। इतने रुतबे में रामावतार गुप्ता को टेक्नीकल यूनिवर्सिटी का कुलपति नियुक्त करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। गुप्ता द्वारा ली जा रही रिश्वत कहां तक पहुंचती है, यह तो एसीबी ही पता लगा सकती है, लेकिन रीट भर्ती परीक्षा घोटाले में तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग का नाम भी उछला था। रीट परीक्षा का आयोजन करने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष डीपी जारोली ने रीट घोटाले में राजनीतिक संरक्षण की बात कही थी। वहीं भाजपा के सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने तो रीट पेपर घोटाले में खुले रूप से मंत्री सुभाष गर्ग का नाम लिया है। मीणा का आरोप रहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मेहरबानी से ही सुभाष गर्ग वर्ष 2008 से 2013 के कार्यकाल में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बने थे। बोर्ड अध्यक्ष रहते जिस कम्प्यूटर फर्म और प्रिंटिंग प्रेस से बोर्ड परीक्षाओं का काम करवाया, उन्हीं फर्मों से ही रीट परीक्षा का काम करवाया गया। मीणा ने रीट परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट करने और लाखों में बेचने में सुभाष गर्ग की मुख्य भूमिका बताई। मीणा ने जो सबूत दिए उसी पर ईडी अब रीट प्रश्न पत्र घोटाले की जांच कर रही है। ईडी की जांच में कई चेहरे बेनकाब होंगे। टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति को पकड़ा जाना भी तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग के लिए मुसीबत बन सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-05-2022)
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