Sunday 8 May 2022

सांभर झील का पानी रिसोर्ट में। प्रवासी पक्षियों की मुसीबत।अंटी में माल हो तो कुछ भी संभव है। सांभर एसडीएम कार्यालय से लेकर जयपुर कलेक्ट्रेट तक मूक दर्शक बना।

यदि आपकी अंटी में माल है तो आम प्राकृतिक संसाधनों का खुलेआम दुरुपयोग कर सकते हैं। सरपंच से लेकर एसडीएम और कलेक्टर तक सब मूक दर्शक बने रहेंगे। ऐसा ही कुछ राजस्थान की विश्व विख्यात सांभर झील में हो रहा है। यह वही झील है, जिसमें वर्ष 2019 में हजारों प्रवासी पक्षी मर गए थे और तब हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार को लताड़ लगाई थी। तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रवासी पक्षियों की मौत पर चिंता जताई थी। लेकिन दो ढाई वर्ष में भी प्रवासी पक्षियों की चिंता को खत्म कर दिया गया है। आमतौर पर सांभर झील में प्रवासी पक्षी सर्दी में आते हैं, और गर्मी शुरू होने से पहले ही चले जाते हैं, लेकिन इस बार यह सुखद बात है कि प्रवासी पक्षी अभी सांभर में जमे हुए हैं। इसकी वजह यही है कि सांभर के कुछ तालाबों में अभी भी पानी भरा हुआ है। ऐसा ही एक तालाब कोच्या की ढाणी में है। पानी की वजह से इस तालाब में खूबसूरत प्रवासी मई माह की भीषण गर्मी में भी जमे हुए हैं। लेकिन इन पक्षियों की मौजूदगी सरपंच से लेकर एसडीएम कार्यालय और जयपुर कलेक्ट्रेट तक को पसंद नहीं आ रही है। क्षेत्र की बरडोली ग्राम पंचायत के सरपंच मूलचंद गुर्जर ने तालाब के किनारे बने कुए से पांच सितारा सुविधा वाले सांभर लेक हैरिटेज रिसोर्ट को पानी लेने लेने की अनुमति दी है। यानी जो पानी प्रवासी पक्षियों के लिए है, उसे एक रिसोर्ट के लिए दे दिया गया है। रिसोर्ट के मालिक ने कुए में मोटर लगा दी है और धड़ल्ले से हजारों लीटर पानी प्रतिदिन लिया जा रहा है। जबकि तालाब के पानी को रिसोर्ट को देने का अधिकार ग्राम पंचायत को है ही नहीं। तालाब की भूमि राजस्व और वन विभाग के अधीन आती है। ऐसा नहीं कि सांभर से लेकर जयपुर कलेक्ट्रेट तक पानी के दुरुपयोग की जानकारी नहीं है। असल में इस रिसोर्ट का संचालन चंदा एंटरप्राइजेज के द्वारा किया जाता है। चंद्रा इंटरप्राइजेज के मालिक की अंटी में इतना माल है कि जिम्मेदार अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं। एसडीएम, तहसीलदार, कलेक्टर, डीसी, मुख्य सचिव स्तर तक कोई भी पूछने की हिम्मत नहीं कर रहा है कि ग्राम पंचायत ने तालाब के पानी के दोहन की अनुमति कैसे दे दी? जो जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं, उन्हें प्रवासी पक्षियों पर कुछ तो तरस आना चाहिए। क्या मात्र ग्राम पंचायत की अनुमति से किसी प्राकृतिक तालाब से रिसोर्ट के लिए पानी लिया जा सकता है? आखिर बड़े अधिकारी किसे बेवकूफ बना रहे हैं? सुप्रसिद्ध पर्यावरण और वन्य विशेषज्ञ महेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि सांभर झील में अभी तक प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति संपूर्ण राजस्थान के लिए सुखद बात है। कई बार प्रवासी पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण अच्छा लगने लगता है, लेकिन इसके लिए तालाब में पानी भरा होना चाहिए। यदि पानी नहीं रहेगा तो प्रवासी पक्षी अन्यत्र चले जाएंगे। अब चूंकि भीषण गर्मी है, इसलिए प्रवासी पक्षियों को दूसरे स्थान पर जाना जोखिम भरा होगा। प्रवासी पक्षियों को राजस्थान की सीमा में तो पीने का पानी भी नहीं मिलेगा। सिंह ने सांभर के तालाब से पानी लेने पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। सांभर झील के ग्रामीणों ने भी तालाब से रिसोर्ट को पानी देने पर नाराजगी जताई है। ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि एक समय था, जब सांभर की पहचान प्राकृतिक वातावरण और प्रवासी पक्षियों से होती है, इसलिए अब सांभर देशी विदेशी पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बन गया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-05-2022)
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