Tuesday 3 May 2022

हिन्दुस्तान जिंक के आर्थिक सहयोग से बनी अवैध चारदीवारी को एडीए ने हटाया।तो क्या हिन्दुस्तान जिंक को गुमराह कर लाखों रुपए की आर्थिक मदद ली गई? अजमेर के घूघरा गांव में श्मशान की भूमि पर भी दबंगों ने कब्जा कर रखा है।

जिला प्रशासन और अजमेर विकास प्राधिकरण ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए 2 मई को निकटवर्ती ग्राम घूघरा में एमडीएस चौराहे के निकट द संस्कृति स्कूल के सामने बड़ी कार्यवाही करते हुए दो बीघा भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवा ली है। सरकारी भूमि को दबंगों के चंगुल से निकालने में जिला कलेक्टर अंशदीप और प्राधिकरण के आयुक्त अक्षय गोदारा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दबंगों ने पहले तो सरकारी भूमि पर चारदीवारी बनाकर कब्जा किया और फिर गांव के श्मशान के लिए भूमि को आवंटित करने का दबाव प्रशासन पर बनाया। लेकिन जब जिला कलेक्टर अंशदीप और एडीए के आयुक्त गोदारा को यह पता चला कि इन्हीं दबंगों ने गांव के पहले के श्मशान की भूमि पर भी कब्जा कर रखा है तो दबाव को हटाते हुए सरकारी भूमि पर से चारदीवारी हटाने के आदेश दिए गए। इन आदेशों के तहत ही दो मई को अजमेर की तहसीलदार श्रीमती प्रीति चौधरी और एडीए के तहसीलदार अरविंद कविया भारी पुलिस बल को लेकर मौके पर पहुंचे। तीन जेसीबी की मदद से सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवा लिया गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रशासन ने यह सराहनीय कार्य किया है। लेकिन अब प्रशासन को पुराने श्मशान स्थल को भी अतिक्रमण मुक्त करवाना चाहिए। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार घूघरा गांव में श्मशान के लिए पांच बीघा भूमि आवंटित की गई थी। लेकिन अब मौके पर दो बीघा भूमि ही श्मशान के लिए बची है। तीन बीघा भूमि पर दबंगों ने पक्के निर्माण कर लिए हैं। प्रशासन ने जिस प्रकार संस्कृति स्कूल के सामने सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया उसी प्रकार श्मशान की भूमि को भी अतिक्रमण मुक्त करवाना चाहिए।
 
जिंक का आर्थिक सहयोग
जानकार सूत्रों के अनुसार हिन्दुस्तान जिंक (वेदांत समूह) ने अपने सामाजिक सरोकारों के अंतर्गत घूघरा गांव में श्मशान की चारदीवारी के लिए करीब सात लाख रुपए की राशि दी थी। लेकिन तब जिंक के अधिकारियों को यह पता नहीं था कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर चार दीवारी की जा रही है। चूंकि दबंगों का हिन्दुस्तान जिंक पर भी दबाव रहता है, इसलिए जिंक की ओर से राशि दी गई। लेकिन अब चारदीवारी हटाए जाने के बाद हिन्दुस्तान जिंक का आर्थिक सहयोग भी मिट्टी में मिल गया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (03-05-2022)
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