Thursday, 30 November 2023

विधानसभा चुनावों में क्या कांग्रेस 2018 वाला प्रदर्शन दोहरा पाएगी?पांच राज्यों के चुनावों को लोकसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा है।

देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनावों का अंतिम चरण तीस नवंबर को सायं 6 बजे पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही न्यूज चैनलों पर एग्जिट पोल के परिणाम आने शुरू होंगे, लेकिन चुनाव आयोग 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही परिणाम जारी करेगा। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनावों को छह माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इसलिए देश के सभी राजनीतिक दलों की निगाह इन चुनावों के परिणाम पर लगी हुई है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस इन चुनावों में 2018 के प्रदर्शन को दोहरा पाएगी? तेलंगाना में तो वीआरएस की ही सरकार बनी थी, जबकि मिजोरम में क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से सरकार बन पाई, लेकिन हिंदी भाषाी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला।2013 में इन तीनों हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा की सरकार थी, लेकिन सत्ता विरोधी माहौल के चलते भाजपा को 2018 में इन तीनों राज्यों में हार का सामना करनापड़ा। डेढ़ वर्ष बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की फूट के कारण कमलनाथ की सरकार गिरी और भाजपा को फिर से सत्ता में आने का अवसर मिल गया, लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार पूरे पांच वर्ष चली। भाजपा का दवा है कि अब वह इन तीनों राज्यों में बहुमत हासिल कर रही है। जबकि कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता विरोधी लहर बताकर जीत का दावा कर रही है तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में योजनाओं के दम पर पुन: सत्ता में आने का दावा है। कांग्रेस के लिए इन तीनों राज्यों में 2018 वाले प्रदर्शनी की चुनौती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि ङ्क्षहदी भाषी राज्यों में चुनाव जीतने के लिए भाजपा की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। प्रचार के दौरान पीएम मोदी भी इन तीनों राज्यों में प्रादेशिक नेता की तरह सभाएं और रोड शो किए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की जिला स्तर पर होने वाली सभाओं पर एतराज भी जताया है। लेकिन भाजपा के नेता पीएम की सभाओं को अपनी रणनीति बता रहे हैं। असल में भाजपा को भी पता है कि इन तीनों राज्यों के परिणाम लोकसभा के चुनावों पर असर डालेंगे। कर्नाटक और हिमाचल की जीत के बाद कांग्रेस उत्साह में है और इसलिए लोकसभा के मद्देनजर विपक्ष का इंडिया गठबंधन बनाया गया। इस गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस ही कर रही है। यदि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस का बहुमत मिलता है तो इंडिया गठबंधन में कांग्रेस का महत्व और बढ़ेगा। कांग्रेस के अनेक नेता राहुल गांधी को अभी से ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता रहे हैँ। लेकिन यदि इन तीन राज्यों में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है तो फिर विपक्ष के इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर भी असर पड़ेगा। अभी कांग्रेस ने कई विषयों पर अपना बलिदान देकर इंडिया गठबंधन को बनाए रखा है। यदि इन राज्यों में भाजपा की जीत होती है तो फिर विपक्ष के गठबंधन में कांग्रेस का दबदबा कम होगा। ऐसे में राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने का सपना भी धरा रह जाएगा। कांग्रेस के सामने इन राज्यों में गुटबाजी की चुनौती भी है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जहां ऐंटी इनकमबेंसी की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस के नेताओं में गुटबाजी भी है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने अपने नजरिए से चुनाव में भाग लिया है। कांग्रेस हाईकमान भले ही इन दोनों नेताओं में एकता का दावा करें, लेकिन दोनों नेताओं के गुट अलग अलग है। यह गुटबाजी बागी उम्मीदवारों के तौर पर भी देखने को मिली है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-11-2023)

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सरकार का न्यूज़ चैनल है फर्स्ट इंडिया-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।जनता के सरोकारों से जुड़ा है चैनल-सीईओ पवन अरोड़ा।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल सरकार का है। इस चैनल पर सरकार की खबरें प्रमुखता के साथ दिखाई जाती हैं। चैनल के दस वर्ष पूरे होने पर सीएम गहलोत ने चैनल के प्रबंधन और सभी संवाददाताओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस चैनल को मैं सरकार का चैनल मानता हंू। प्रदेश में किसी भी दल की सरकार हो यह चैनल सरकार की खबरों को प्राथमिकता देता है। सीएम ने कहा कि इस चैनल पर सबसे पहले सूचनाएं प्रसारित होती है जो आम जनता के हित में भी होती हैं। चैनल के प्रबंधन का यह अपना तरीका है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद सीपी जोशी ने कहा कि इस चैनल पर राजस्थान में घटने वाली घटनाओं की जानकारी सबसे पहले प्रसारित होती हैं। इसलिए यह चैनल लोकप्रिय है। जोशी ने कहा कि चैनल पर केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारियां भी प्रमुखता के साथ प्रसारित होती है, जिसका फायदा जरूरतमंद लोगों को मिलता है।
 
जनता के सरोकार:
फर्स्ट इंडिया न्यूज चैनल के सीईओ पवन अरोड़ा (पूर्व आईएएस) ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित सरकार का महत्व होता है, सरकार जनता से जुड़े जो निर्णय लेती है, उसे ही चैनल पर प्रमुखता के साथ प्रसारित किया जाता है। सवाल किसी दल विशेष का नहीं है,बल्कि सरकार की सूचनाएं आम जनता तक पहुंचता है। उन्होंने कहा कि फर्स्ट इंडिया न्यूज चैनल सरकार और जनता के बीच की कड़ी है। हमें इस बात का गर्व है कि चैनल पर जन समस्याओं को लेकर जो खबरें प्रसारित होती है उन्हें सरकार गंभीरता के साथ लेती है। इसी प्रकार सरकार के निर्णयों की जानकारी आम जनता को चैनल के माध्यम से ही होती है उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में चैनल में कई उतार चढ़ाव आए। उनके बड़े भाई जगदीश चंद्रा ने जब सीईओ का पद संभाला तब थोड़ी ही दिनों में चैनल प्रदेश का सर्वाधिक लोकप्रिय चैनल हो गया। आज उनके सामने चैनल की बुलंदियों को बनाए रखने की चुनौती है। उन्होंने माना कि प्रतिस्पर्धा की इस दौड़ में चैनल को फर्स्ट नंबर पर बनाए रखना कठिन काम है। लेकिन दर्शकों के भरोसे के कारण फर्स्ट इंडिया चैनल वाकई में फर्स्ट नंबर पर बना हुआ है। राजस्थान का दर्शक खबर की सत्यता को जानने के लिए भी फर्स्ट इंडिया को ही प्राथमिकता देता है। 

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Saturday, 25 November 2023

अयोध्या में राम मंदिर बनने से देश के सनातनियों को सम्मान मिला तो जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने से आतंकी वारदातों में कमी आई।क्या गत पांच वर्षों में राजस्थान में उज्जैन के महाकाल और बनारस के काशी विश्वनाथ की तर्ज पर कोई धार्मिक स्थल तैयार हुआ?पानी पियो छानकर वोट दो पहचान कर।

कोई 15 वर्ष पहले तक चुनावों में यह नारा पानी पियो छानकर वोट दो पहचान कर लगता था, लेकिन मोबाइल फोन और उसके बाद सोशल मीडिया के चलन की वजह से चुनाव का यह महत्वपूर्ण नारा गुम हो गया। पानी को छानकर पीने की सलाह इसलिए दी गई ताकि अदृश्य कीटाणु की पहचान भी हो सके। सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले जैन समुदाय के हजारों परिवारों में आज भी पानी को छानकर उपयोग में लिया जाता है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है। मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हो ाजएगा। यानी अब 24 घंटे भी बाकी नहीं है। मतदान से पहले राजस्थानियों को इस बात पर विचार करना होगा कि अगले पांच साल के लिए राज्य की बागडोर किस दल को सौंपी जाए। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दो ही प्रमुख दल है, लेकिन इन दलों की विचारधारा को समझकर ही वोट दिया जाना चाहिए। 23 नवंबर को प्रदेश में चुनाव प्रचार का अंतिम दिन था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अंतिम दिन भी राजसमंद में चुनावी सभा को संबोधित किया और फिर सीधे मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में पहुंच गए। मथुरा में मीरा महोत्सव में पीएम ने भाग लिया। सब जानते हैं कि राजस्थान की पहचान भक्त मीरा बाई से भी है। दुनिया भर में विख्यात मीरा बाई का मंदिर मेड़ता में बना हुआ है। कह सकते हैं कि प्रचार थमने के बाद भी पीएम मोदी राजस्थान के लोगों से जुड़े रहे। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी को इस भव्य मंदिर में पीएम मोदी रामलला की प्रतिमा को स्थापित करेंगे। जब रामलला अपने जन्म स्थल पर विराजित होंगे तो देश के सनातनियों के आनंद का अंदाजा लगाया जा सकता है। सब जानते हैं कि मंदिर निर्माण की बाधाओं को हटाने में मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का कितना योगदान है। आज देश का हर सनातन धर्म प्रेमी गर्व की अनुभूति कर रहा है। यह भी सब जानते हैं कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के कारण आतंकवाद को कितना बढ़ावा मिला। सुरक्षा कर्मियों पर रोजाना पत्थरबाजी आम बात थी। आतंकवादियों की पैरवी करने वाले कश्मीर के राजनेताओं का दबाव था कि समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान से बात की जाए। यानी जो भूमि भारत की है उसके लिए दुश्मन देश से वार्ता हो। 2014 से पहले कश्मीर के हालात किसी से भी छिपे नहीं थे, लेकिन 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 730 को हटाया गया तो पूरे देश में आश्चर्य व्यक्त किया गया। इसे पीएम मोदी का दृढ़ निश्चय ही कहा जाएगा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया। यह सही है कि आज भी जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाएं हो जाती है, लेकिन इनकी संख्या जब बहुत कम है। श्रीनगर के जिस लाल चौक में वर्षों तक कर्फ्यू जैसे हालात रहे, उस लाल चौक पर अब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी तिरंगा फहरा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में अब भारत का कानून लागू होता है। इसलिए दूसरे प्रदेशों के लोग भी उद्योग स्थापित कर रहे हैं। जो पाकिस्तान हमारे कश्मीर को अपनी बपौती मानता था वो पाकिस्तान आज अपनी आंतरिक समस्याओं के कारण दुनिया के सामने भीख का कटोरा लेकर खड़ा है। अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू कश्मीर ही नहीं बल्कि देश भर में आतंकी घटनाएं खत्म हुई है। 25 नवंबर को मतदान से पहले राजस्थान के मतदाताओं को यह भी सोचना चाहिए कि पिछले पांच वर्ष में क्या प्रदेश के किसी धर्मस्थल का उज्जैन के महाकाल और बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर विकास हुआ? कोई माने या नहीं लेकिन भारत सनातन संस्कृति को मानने वाला देश है। यहां धार्मिक स्थलों का विकास होना ही चाहिए, क्योंकि आक्रमणकारियों ने हमारे इन धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त किया था। राजस्थान के पांच करोड़ 25 लाख मतदाताओं को यह विचार करना चाहिए कि आखिर कौन सा दल आज भी आक्रमकारियों के समर्थकों के साथ खड़ा हे। जगजाहिर है कि जब नागरिकता कानून में संशोधन करके पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित हिंदुओं को भारत में नागरिकता का प्रावधान किया गया तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इन प्रावधानों का विरोध किया। सवाल उठता है कि क्या धर्म के आधार पर पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हिंदुओं को भारत की नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए? जिन लोगों ने हिंदुओं का भारत में नागरिकता देने का विरोध किया आज वे ही ङ्क्षहदुओं से वोट मांग रहे हैं। यह माना कि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। धर्मनिरपेक्षता में सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। पिछले पांच सालों में राजस्थान में सनातन धर्म का कितना सम्मान हुआ यह मतदाता अच्छी तरह जानता है। राजस्थान के मतदाताओं को 25 नवंबर को पानी को छानकर, सोच समझकर मतदान करना चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-11-2023)
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राष्ट्रवाद और मुफ्त की योजनाओं पर हावी रहा जातिवाद।भाजपा और कांगे्रस की अब सरकार बनाने की तैयारियां।लाइव डिबेट में भाग लेने की सूचना।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को सायं 6 बजे तक मतदान की प्रक्रिया चल रही है। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है। मतदान से पहले करीब तीस दिनों तक प्रदेश में कांग्रेस, भाजपा और अन्य छोटे दलों ने जमकर प्रचार किया। भाजपा ने जहां राष्ट्रवाद को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया। वहीं कांग्रेस का जोर अपनी मुफ्त की योजनाओं पर रहा। कांग्रेस के विज्ञापनों में यहां तक धमकियां दी गई कि यदि दोबारा से कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो मुफ्त की योजनाएं बंद हो जाएगी। हालांकि इस धमकी भरे विज्ञापन पर चुनाव आयोग ने मतदान से दो हदन पहले रोक लगा दी, लेकिन तब तक कांग्रेस का मकसद पूरा हो चुका था। भाजपा ने इन चुनावों में राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया और यह बताने की कोशिश की कि देश के लिए राष्ट्रवाद की भावना कितनी जरूरी है। यदि देश ही नहीं बचेगा तो फिर मुफ्त की योजनाओं का क्या फायदा। भाजपा के प्रचार की कमान खुद सीएम मोदी ने संभाली और एक सप्ताह में 14 से ज्यादा आम सभाएं कर यह दर्शा दिया कि राज्य के चुनाव में पीएम मोदी की कितनी अहमियत है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अनुच्छेद 370 को हटाने के बारे में मतदाताओं को विस्तार से जानकारीदी। प्रदेश के नेताओं में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे नह ही अकेले दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में जाकर भाजपा का प्रचार किया। लेकिन 25 नवंबर को मतदान के दौरान यह देखा गया कि भाजपा और कांग्रेस के प्रचार पर जातिवाद हावी रहा। मतदाताओं विशेषकर ग्रामीण मतदाताओं ने अपने जाति के उम्मीदवार को वोट देने को तवज्जो दी। ऐसा लगा कि प्रदेश की प्रमुख बड़ी जातियों के नेताओं ने अंदर ही अंदर यह रणनीति बनाई कि पार्टी के बजाए अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट दिया जाए। भाजपा ने यदि उनकी जाति का उम्मीदवार बनाया है और कांग्रेस ने उसी जाति के उम्मीदवार को किसी दूसरे विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार बनाया तो उस जाति के मतदाताओं ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही अपना वोट दिया। 25 नवंबर को मतदान केंद्रों पर जुटी मतदाताओं की भीड़ से प्रतीत हुआ कि ऐसी रणनीति बनाने में राजपूत, जाट, रावत, ब्राह्मण गुर्जर आदि जातियों की सक्रियता रही। जातियों के प्रतिनिधियों की यह रणनीति कितनी सफल रही इसका पता तो 3 दिसंबर को मतगणना के दिन पता चलेगा। जातियों का चुनाव में कितना प्रभाव होता है, इसका अंदाजा पीएम मोदी के भाषणों से भी लगाया जा सकता है। गुर्जर मतदाताओं के संदर्भ में पीएम मोदी का कहना रहा कि कांग्रेस ने स्वर्गीय राजेश पायलट और उनके पुत्र सचिन पायलट का अपमान किया। पीएम ने यह बात इसलिए कही कि वर्ष 2018 में गुर्जर मतदाताओं ने एक तरफा कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन फिर भी कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। चूंकि इस बार भी कांग्रेस ने पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया, इसलिए पीएम मोदी का प्रयास रहा कि गुर्जर मतदाताओं को भाजपा की ओर आकर्षित किया जाए।

सरकार बनाने पर फोकस:
राजस्थान में किस दल को बहुमत मिला है, वह तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा। लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने सरकार बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है। मतदान से पहले सीएम अशोक गहलोत ने बार बार कहा कि उनकी सरकार रिपीट होगी। वही पीएम मोदी ने गारंटी दी कि इस बार राजस्थान में भाजपा की सरकार बनेगी। जब दोनों ही दलों को बहुमत मिलने की उम्मीद है, तब मतदान के बाद सरकार बनाने की तैयारियां करना जरूरी हो गया है। सूत्रों की माने तो दोनों ही प्रमुख दलों ने मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी नजर लगा रखी है। प्रदेश में इस बार 25 से भी ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवार कांग्रेस और भाजपा को टक्कर दे रहे हैं। वर्ष 2018 में 13 निर्दलीय उम्मीदवार विधायक बने। इन सभी ने पांच वर्ष तक कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया। इस समर्थन की एवज में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जो कीमत वसूली उसी का परिणाम है कि इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही खुली बगावत हुई है। जहां तक बसपा जैसे दलों का सवाल है तो उनके विधायक गत दो बार से बिक रहे हैं। अशोक गहलोत ने 2008 और 2018 में बसपा के सभी छह विधायकों को हड़प लिया। लेकिन फिर भी कई विधानसभा क्षेत्रों में बसपा के उम्मीदवार मजबूत स्थिति में है। गत बार बसपा के टिकट पर विधायक बने राजेंद्र गुढ़ा ने खुलेआम आरोप लगाया था कि बसपा सुप्रीमो मायावती लाखों रुपया लेकर टिकट देती है। बसपा पर ऐसे आरोप उत्तर प्रदेश में भी लगे हैं। यही वजह है कि धनाढ्य नेता बसपा का टिकट हासिल कर विधायक तो बन जाते हैं, लेकिन बाद में किसी दल में शामिल होने या समर्थन देने का निर्णय अपने विवेक से करते हैं। भाजपा सरकार की तैयारियां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देशन में हो रही है, जबकि कांग्रेस की कमान अशोक गहलोत के पास है। कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो गहलोत ही मुख्यमंत्री होंगे, क्योंकि राजस्थान में गहलोत ने अपनी पकड़ बनाए रखी है। गहलोत की शक्ति के सामने हाईकमान भी कमजोर है। जहां तक सचिन पायलट का सवाल है तो इस बार उनके पक्के समर्थक विधायकों की संख्या पहले से कम रहेगी।
 
लाइव डिबेट की सूचना:
राजस्थान के प्रमुख न्यूज़ चैनल सच बेधड़क, जीटीवी, न्यूज 18, फर्स्ट इंडिया आदि पर 25 नवंबर को मतदान के दौरान और उसके बाद जो लाइव डिबेट के प्रोग्राम प्रसारित हो रहे हैँ। उसमें संपादक ब्लॉगर एसपी मित्तल में भाग लेंगे। मित्तल की उपस्थिति इन चैनलों पर बारी बारी से दोपहर एक बजे बाद से होगी। इन चैनलों को सभी सैटेलाइट प्लेटफार्म और सैटेलाइट केबल नेटवर्क पर देखा जा सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (25-11-2023)
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Thursday, 23 November 2023

अजमेर के तीन विधानसभा क्षेत्र उत्तर, पुष्कर और मसूदा में एम फेक्टर।नसीराबाद में शिवराज पलाड़ा ने चुनाव को रोचक बनाया।

अजमेर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम फैक्टर प्रभावित है। अजमेर उत्तर में सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह होने के कारण मुस्लिम मतदाताओं की खासी संख्या है। आमतौर पर मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाता है, लेकिन संभवत: यह पहला मौका होगा, जब ख्वाजा साहब की दरगाह की धार्मिक रस्मों से जुड़े कुछ पदाधिकारियों ने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता के समर्थन में वोट देने का आह्वान किया है। दरगाह के दखल की वजह से यह आव्हान अब चुनावी मुद्दा भी बन गया है। हालांकि मुस्लिम मतदाताओं पर भाजपा के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञानचंद सारस्वत भी अपना हक जमा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रलावता के समर्थकों का दावा है कि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेंगे। उत्तर क्षेत्र में इस बार मुस्लिम मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पुष्कर में तो लगातार चार बार से श्रीमती नसीम अख्तर को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। इस उम्मीदवारी के पीछे भी मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी संख्या होना है। अजमेर उत्तर में जिन मुस्लिम नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया उनका नामांकन वापस करवा दिया गया। लेकिन पुष्कर में तीन मुस्लिम नेता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम मतों में विभाजन की आशंका बनी हुई है। श्रीमती अख्तर के परिवार का मुस्लिम मतदाताओं पर खास प्रभाव है। यहां पूर्व में भी रमजान खान विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस प्रत्याशी को यहां एकमुस्त मुस्लिम वोटों पर भरोसा है,  वहीं भाजपा प्रत्याशी सुरेश सिंह रावत अपने समुदाय के वोटों के प्रति आश्वस्त है। कांग्रेस प्रत्याशी को जहां बागी प्रत्याशी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती से खतरा है, वहीं भाजपा प्रत्याशी को आरएलपी के उम्मीदवार अशोक सिंह रावत से खतरा है। रावत का भी रावत समुदाय में अच्छा प्रभाव है। यानी पुष्कर में दोनों ही दलों को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। मसूदा से बसपा उम्मीदवार वाजिद चीता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के सामने संकट खड़ा कर रखा है। मसूदा में भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है। चीता मेहरात समुदाय के अधिकांश मुस्लिम मतदाता वाजिद चीता के साथ बताए जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के उम्मीदवार राकेश पारीक को मुस्लिम मतदाताओं के वोट मिलने की उम्मीद है, लेकिन वाजिद चीता ने अपनी पकड़ को मजबूत किया है। यहां भाजपा के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह कानावत को स्थानीय होने का लाभ मिल रहा है। यदि वाजिद चीता मुसलमानों के वोट प्राप्त करने में सफल रहे तो फिर कांग्रेस के उम्मीदवार के सामने बड़ी चुनौती होगी।
 
नसीराबाद में रोचक स्थिति:
यूं तो नसीराबाद में भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा और कांग्रेस के शिव प्रकाश गुर्जर के बीच सीधा मुकाबला बताया जा रहा था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी शिवराज सिंह पलाड़ा ने चुनाव की जो रणनीति बनाई उसकी वजह से नसीराबाद में रौचक स्थिति हो गई है। बताया जा रहा है कि पलाड़ा के समर्थन में नसीराबाद के अधिकांश सरपंच, जिला परिषद के सदस्य और पंचायत समिति के सदस्य हैं। पलाड़ा की माता जी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा जिला प्रमुख है और उनके पिता भंवर सिंह पलाड़ा का नसीराबाद क्षेत्र में खास दबदबा है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र वाले नसीराबाद में पलाड़ा ने घर घर दस्तक दी है। जिला प्रमुख के माध्यम से गांव में छोटे छोटे विकास कार्य करवाने का भरोसा भी पलाड़ा की ओर से दिलवाया जा रहा है। पलाड़ा ने प्रत्येक मतदाता से संपर्क भी किया है। पलाड़ा को मिलने वाले वोटों पर ही नसीराबाद में कांग्रेस और भाजपा की हार जीत होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2023)

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मेरी सरकार के सहयोग के कारण ही अयोध्या में समय पर बन रहा है राम मंदिर-राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत।आखिर इस तथ्य को क्यों छुपाए रखा गया?चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की हकीकत भी जाननी चाहिए।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 20 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एबीपी न्यूज को एक इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में गहलोत ने कहा कि मेरी सरकार के सहयोग के कारण ही आज अयोध्या में भगवान राम का मंदिर समय पर बन रहा है। गहलोत ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र से जो पिंक कलर का पत्थर निकाला जा रहा था वह अवैध था। सबसे पहले मैंने ही इस अवैध खनन की ओर मंदिर निर्माण से जुड़े पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। गहलोत ने बताया कि उनके पास पीएम के सलाहकार और मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र का फोन आया था। मैंने मिश्र को सुझाव दिया कि केंद्र सरकार पत्थर निकालने वाले स्थान को वन  क्षेत्र से मुक्त करे। मेरी इस सलाह को माना गया और फिर संबंधित खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र से मुक्त किया गया। यही वजह है कि आज अयोध्या में मंदिर का निर्माण समय पर पूरा हो सका है। लेकिन मैंने कभी भी मंदिर निर्माण में सरकार के सहयोग का श्रेय नहीं लिया। सब जानते हैं कि मंदिर के भवन निर्माण और आसपास की अन्य इमारतों में भरतपुर का ही पत्थर काम आ रहा है। यह सही है कि पहाड़ी से पत्थर निकालने में राजस्थान की कांग्रेस सरकार का सहयोग रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि कांग्रेस सरकार के सहयोग को तथ्य को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्यों छुपा रखा? क्या कांग्रेस मंदिर निर्माण में अपने सहयोग से हिचक रही है? भाजपा नेता अकसर आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस मंदिर निर्माण की विरोधी है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय में भी कांग्रेस का नकारात्मक रवैया सामने आया था। अब जब सीएम गहलोत ने मंदिर निर्माण में कांग्रेस सरकार के सहयोग के तथ्य उजागर किए हैं तो फिर यह सवाल उठना लाजमी है कि कांग्रेस ने इस तथ्य को क्यों छुपा रखा? क्या कांग्रेस को मंदिर निर्माण में सहयोग की वजह से चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोटों का डर रहा? राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने मंदिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को हटाने में सहयोग किया है।
 
हकीकत जाननी चाहिए:
21 नवंबर को राजस्थान के प्रमुख अखबारों में कांग्रेस की ओर से एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया है। इस विज्ञापन में लिखा गया है कि अगर गलत वोट पड़ गया तो 25 लाख रुपए का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा बंद हो जाएगा। यानि राजस्थान की जनता ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया तो भाजपा सरकार बनने पर स्वास्थ्य बीमा की यह योजना बंद हो जाएगी। कांग्रेस का प्रचार डिजाइन बॉक्स कंपनी कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस कंपनी के पदाधिकारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना की हकीकत पता नहीं है। सरकारी अस्पतालों में तो चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का कोई मतलब नहीं है। जबकि निजी अस्पतालों में इस योजना से परहेज किया जाता है। डिजाइन बॉक्स कंपनी को लगता है कि जिन व्यक्तियों के पास इस योजना का कार्ड है उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में 25 लाख रुपए तक का फ्री इलाज हो रहा है। जबकि हकीकत इस योजना के कार्ड धारकों को प्रदेश के बड़े प्राइवेट   अस्पतालों में प्रवेश ही नहीं दिया जाता। सरकार के डंडे के डर की वजह से कुछ अस्पतालों ने योजना का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन सुविधा नहीं दी जाती। अस्पतालों के मालिक इस योजना के व्यक्तियों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। रोग की जांच के नाम पर पहले ही हजारों रुपया वसूल लिया जाता है। इस योजना में प्राथमिक जांच का कोई प्रावधान नहीं है। जो डॉक्टर 800 रुपए की फीस लेता है, उसकी फीस इस योजना में मात्र 150 रुपए निर्धारित की गई है। एक हजार रुपए योजना में मरीज की भर्ती और दवाई देने के आदेश हैं। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों के मालिक इस योजना में किसी भी प्रकार का इलाज नहीं करते हैं। जिन व्यक्तियों के पास इस बीमा योजना का कार्ड है, उन्हें अच्छी तरह पता है कि प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों में फ्री का इलाज नहीं होता। ऐसे में गहलोत सरकार की यह योजना बंद भी हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह बात अलग है कि भाजपा की केंद्र सरकार आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना में पांच लाख रुपए तक फ्री इलाज करवा रही है। भाजपा ने केंद्र की इस योजना के दायरे को और बढ़ाने का वादा किया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2023)
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वसुंधरा राजे ने मोदी-मोदी के नारे लगवाए तो पीएम मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर वसुंधरा राजे के साथ वाला फोटो पोस्ट किया।दोनों नेताओं की यह तस्वीर राजस्थान में आने वाले दिनों में भाजपा की राजनीति दर्शाती है।

विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका क्या होगी, इसको लेकर भाजपा में अनेक चर्चाएं हैं। लेकिन 21 नवंबर को वसुंधरा राजे के गढ़ अंता बारां में जो चुनावी सभा हुई उसमें राजे और पीएम मोदी के बीच जबरदस्त तालमेल देखने को मिला। आमतौर पर पीएम की सभाओं में मंच पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अथवा केंद्रीय मंत्री होते हैं। लेकिन 21 नवंबर की सभा में मंच पर सिर्फ मोदी और वसुंधरा राजे ही रहे। फूलों की बड़ी माला के घेरे में मोदी और राजे की फोटो ही नजर आई। माला के घेरे में आने के लिए भाजपा नेताओं के बीच कोई धक्का मुक्की भी नहीं हुई। मोदी की उपस्थिति में राजे ने लंबा भाषण दिया। भाषण के दौरान राजे ने कई बार मोदी मोदी के नारे भी लगवाए। इतना ही नहीं राजे ने अपने संबोधन में कहा कि हम सब मिलकर तीसरी बार मोदी जी को देश का प्रधानमंत्री बनवाएंगे। मोदी ने भले ही अपने संबोधन में वसुंधरा राजे का नाम न लिया, लेकिन सभा के बाद मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर वसुंधरा राजे के साथ वाला फोटो पोस्ट किया। पीएम ने राजे के पुत्र और झालावाड़ के सांसद दुष्यंत सिंह का नाम लेकर राजे को गदगद कर दिया। अंता बारां की सभा में दोनों दिग्गज नेताओं के बीच जो तालमेल देखने को मिला उससे आने वाले दिनों में राजस्थान में भाजपा की राजनीति को समझा जा सकता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राजस्थान में कई प्रयोग किए। इन प्रयोगों के बीच ही वसुंधरा राजे ने अनेक बार शक्ति प्रदर्शन भी किया। यह माना गया कि भाजपा संगठन और वसुंधरा राजे आमने सामने है। राजे ने भी धार्मिक ग्रंथ के पात्रों का उदाहरण देते हुए अपनी बात को तीखे अंदाज में रखा। विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले पीएम मोदी की जो सरकारी कार्यक्रम हुए उनमें भी वसुंधरा राजे के प्रति उपेक्षा का भाव देखा गया। लेकिन उम्मीदवारों के चयन में जिस तरह राजे की राय को प्राथमिकता दी गई, उससे अंदाजा लगाया गया है कि परिणाम के बाद राजे की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ऐसे अंदाजे को 21 नवंबर को चुनावी सभा में और मजबूती मिली है। अंता बारां की सभा में जो भीड़ जुटी उसका श्रेय भी मोदी ने राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह को दिया। पीएम का कहना रहा कि सुबह की सभा में लोगों का आना बहुत मायने रखता है। लेकिन दुष्यंत सिंह ने इस कठिन कार्यों को भी किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम की सभा में भीड़ जुटाने में सांसद दुष्यंत सिंह और उनकी माताजी वसुंधरा राजे ने बहुत मेहनत की। राजे ने जब मोदी मोदी के नारे लगवाए तब भाजपा के नेता भी आश्चर्यचकित थे। क्योंकि इससे पहले राजे ने कभी भी इस तरह के नारे नहीं लगवाए। जाहिर था कि राजे पीएम मोदी को खुश करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (22-11-2023)
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कांग्रेस की 751 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा तो राहुल प्रियंका, पीएम मोदी को गालियां ही देंगे।

बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने 751 करोड़ रुपए की संपत्तियों को कुर्क कर दिया है। ये संपत्तियां दिल्ली में नेशनल हेराल्ड, लखनऊ में नेहरू भवन और मुंबई में भी नेशनल हेराल्ड का दफ्तर है। आरोप है कि अवैध कमाई से इन संपत्तियों को अर्जित किया गया है। इन संपत्तियों से लाखों रुपए का किराया भी वसूला जा रहा था। यह पूरा मामला अदालत में चल रहा है और श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि कांग्रेस के नेता जमानत पर है। 751 करोड़ रुपए की राशि बहुत बड़ी होती है। इतनी राशि की संपत्तियां यदि कुर्क होगी तो संपत्तियों के मालिकों को गुस्सा तो आएगा ही। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार पीएम मोदी पर व्यक्तिगत टिप्पणियां कर रहे हैं। राहुल प्रियंका को लगता है कि ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई की कार्यवाहियां मोदी के इशारे पर हो रही है। जबकि जांच एजेंसियों ने अपनी जांच में पाया है कि कांग्रेस के नेताओं ने संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए वित्तीय अनियमितताएं की है। वित्तीय अनियमितताओं पर जवाब देने के बजाए राहुल प्रियंका सीधे पीएम मोदी पर हमला करते हैं। जब जब 751 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क कर लिया गया है, तब राहुल प्रियंका मोदी को गलियां ही देंगे। इस कुर्की की कार्यवाही के बाद गलियों में और तीखापन देखने को मिलेगा। 2014 तक देश में गांधी परिवार की तूती बोलती थी जो सुरक्षा प्रधानमंत्री के लिए बनाई गई वो सुरक्षा सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा तक को दे दी गई। देश में प्रधानमंत्री से ज्यादा तवज्जो गांधी परिवार को मिली। राहुल गांधी ने तो डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का प्रस्ताव प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ कर फेंक दिया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी के सामने देश की सरकार की क्या स्थिति और सोनिया गांधी से जुड़ी कंपनियों की संपत्तियां खुलेआम कुर्क हो रही है। इस कुर्की के बाद राहुल और प्रियंका का गुस्सा और देखने को मिलेगा। विधानसभा चुनाव के प्रचार में भी दोनों नेताओं का गुस्सा देखने को मिलेगा। चूंकि पीएम मोदी पर सीधे तौर पर कोई आरोप नहीं है, इसलिए गांधी परिवार अडाणी समूह की आड़ में मोदी पर हमला करता है। यह बात अलग है कि कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अडानी समूह को अपने कारोबार के लिए अनेक रियासतें मिली हुई है, लेकिन राहुल प्रियंका अपने मुख्यमंत्रियों पर कोई टिप्पणी करने के बजाए मोदी को ही कटघरे में खड़ा करते हैं।

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अजमेर में वैश्य समाज के प्रतिनिधि, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के निमंत्रण का इंतजार ही करते रहे गए। नहीं हो सका डैमेज कंट्रोल।रिटायर आईएएस हनुमान सिंह भाटी भाजपा के प्रचार में जुटे। 132 सीटों का दावा।पुष्कर के जोगणिया धाम में कार्तिक महोत्सव 23 नवंबर से।

अजमेर में वैश्य समाज के नाराज लोगों को मनाने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 21 नवंबर को अजमेर का दौरा किया।  तय कार्यक्रम के अनुसार गोयल को अजमेर में वैश्य समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करनी थी। इस मुलाकात में उन लोगों को भी शामिल होना था, जिन्होंने अजमेर उत्तर से भाजपा के बागी प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत को अपना समर्थन दिया है। लेकिन पीयूष गोयल 21 नवंबर को अजमेर तो आए लेकिन उनकी मुलाकात वैश्य समाज के नाराज प्रतिनिधियों से नहीं हो सकी। खंडेलवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे कालीचरण खंडेलवाल, अग्रवाल समाज के अशोक पंसारी, सुभाष खंडेलवाल, रमेश तापडिय़ा आदि प्रतिनिधि गोयल से मुलाकात के निमंत्रण का इंतजार भी करते रह गए। भाजपा के प्रबुद्धजन प्रकोष्ठ के संभाग प्रभारी सुभाष काबरा, जिला अध्यक्ष उमेश गर्ग तक को पीयूष गोयल से नहीं मिलवाया गया। यही वजह रही कि पीयूष गोयल के आने के बाद भी वैश्य समुदाय का डे्रमेज कंट्रोल नहीं हो सका। दावा तो यह भी किया गया कि गोयल ने अजमेर के प्रबुद्धजनों से मुलाकात भी की है, लेकिन इन प्रबुद्धजनों में वैश्य समाज के प्रमुख प्रतिनिधि नदारद रहे। मालूम हो कि अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी वासुदेव देवनानी को बागी प्रत्याशी  ज्ञान सारस्वत से भी कड़ा मुलाकात करना पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता अपने राजपूत समाज और मुस्लिम समुदाय के एकजुट होने से जीत के प्रति आश्वस्त है।
 
132 सीटों का दावा:
रिटायर आईएएस हनुमान सिंह भाटी ने दावा किया है कि राजस्थान में भाजपा को 132 सीटें मिलेंगी। भाटी ने कहा कि इन दिनों वे प्रदेश भर का दौरा कर भाजपा के उम्मीदवार को जिताने का काम कर रहे हैं। उन्होंने जैसलमेर से लेकर अलवर तक का दौरा किया है। सभी जगह पर भाजपा के पक्ष में माहौल है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने तथा अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनने की वजह से भी भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है। लोगों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विशेष लगाव है। उन्होंने अजमेर और नागौर में भी प्रचार किया है। उनका प्रयास है कि प्रदेश भर से राजपूत मतदाता एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में मतदान करें। भाटी की ताजा राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9829866628 पर ली जा सकती है।
 
कार्तिक महोत्सव:
पुष्कर स्थित आईएमटी कॉलोनी के जोगणिया धाम में एकादशी से पूर्णिमा तक कार्तिक महोत्सव मनाया जाएगा। 23 नवंबर से 27 नवंबर तक धाम में विशेष धार्मिक आयोजन होंगे। रोजाना पवित्र जल से सातु बहना बिजासन माता का मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक होगा। प्रतिदिन महाआरती का आयोजन भी रखा गया है। 24 व 25 नवंबर को भजन कीर्तन होंगे। 26 नवंबर को राहुल रामबाबू पार्टी की ओर से भजन प्रस्तुत किए जाएंगे। 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर भंडारे का आयोजन होगा। इन धार्मिक आयोजन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9462429453 पर उपासक भंवर लाल जी से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (22-11-2023)

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तो क्या अब मुफ्त की योजनाओं पर आपराधिक घटनाएं हावी हो गई हैं?चुनाव जीतने के बाद भी कांग्रेस पेट्रोल डीजल पर वेट नहीं घटाएगी। ओपीएस पर भाजपा मौनमेरे साथ रहने वाले विधायक बेईमान होते तो दस करोड़ की पहली किश्त लेकर भाजपा में चले जाते-सीएम गहलोत।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 नवंबर को जयपुर में अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का फोकस भाजपा द्वारा जारी आपराधिक घटनाओं की खबरों के विज्ञापन पर था। सीएम ने एक अखबार में छपे भाजपा के विज्ञापन को दिखाते हुए कहा कि यह सब षडय़ंत्र है। भाजपा ने विज्ञापन के तौर पर मेरी सरकार के खिलाफ जो खबरें प्रकाशित करवाई वे सच्चाई से परे हैं। सीएम के कथन बता रहे थे कि पिछले पांच वर्ष में घाटी आपराधिक घटनाएं मुफ्ती की योजना पर हावी हो रही है। सीएम गहलोत अब तक यह कह रहे थे कि उन्होंने जो योजनाएं लागू की है उसकी वजह से सरकार रिपीट होगी। लेकिन मतदान से दो दिन पहले सीएम गहलोत ने आपराधिक घटनाओं पर अपनी सफाई दी और बताया कि ऐसी घटनाएं देशभर में हो रही हैं। असल में कांग्रेस ने जो मुफ्त की घोषणाएं की वैसी ही भाजपा ने भी कर दी है। कांग्रेस यदि पांच सौ रुपए में सिलेंडर दे रही है तो भाजपा ने साढ़े चार सौ रुपए में देने का वादा किया है। छात्राओं को दो लाख रुपए के बॉन्ड का वादा कर भाजपा ने कांग्रेस की शिक्षा से जुड़ी योजनाओं पर बढ़त हासिल की है। कांग्रेस यदि परिसर की मुखिया के खाते में सालाना दस हजार रुपए की राशि जमा करवाएगी तो वहीं भाजपा ने भी पीएम सम्मान निधि की राशि को छह हजार से बढ़ाकर 11 हजार रुपए करने का वादा कर दिया है। यानी मुफ्त की योजनाओं में भाजपा और कांग्रेस बराबर की स्थिति में है। जो भाजपा कुछ दिनों पहले तक गहलोत की मुफ्त की योजनाओं को रेवडिय़ां बना रही थी, वही भाजपा अब चुनाव के समय कांग्रेस की तरह मुफ्त का लाभ देने का वादा कर रही है। पेट्रोल डीजल पर वेट घटाने से सीएम गहलोत ने साफ इंकार कर दिया है। गहलोत का कहना है कि कल्याणकारी योजनाओं के खर्च के लिए डीजल पेट्रोल पर वेट लगाए रखना जरूरी है। लेकिन वही भाजपा ने सरकार बनने पर राजस्थान में पेट्रोल डीजल पर से वेट घटाने का वादा किया है। लेकिन वहीं सरकार कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने के मामले में भाजपा मौन है। राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। अब जब मतदान में दो दिन शेष रह गए हैं, तब दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों का प्रचार अंतिम चरण में है। इस अंतिम चरण में दोनों ही दल शक्ति प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं। भाजपा ने जिस तरह से आपराधिक घटनाओं को अखबारों के माध्यम से उजागर किया है उस से कांग्रेस को विपरीत हालातों का सामना करना पड़ रहा है। अपराध की इन घटनाओं पर कांग्रेस के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है। हो सकता है कि भाजपा के ऐसे विज्ञापन 24 और 25 नवंबर को भी अखबारों में प्रकाशित हो।
 
विधायक बेईमान नहीं:
23 नवंबर को सीएम अशोक गहलोत ने एक बार फिर भाजपा पर सरकार गिराने वाला आरोप दोहराया। सीएम ने कहा कि राजनीतिक संकट के समय कांग्रेस निर्दलीय और छोटे दलों से जो विधायक उनके साथ थे उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। यदि ऐसे विधायक बेईमान होते तो भाजपा से 10 करोड़ रुपए की पहली किश्त लेते। तब ऐसे विधायक मेरे साथ होटलों में नहीं रहते। ऐसे विधायकों की वजह से ही मेरी सरकार को गिराने में भाजपा को सफलता नहीं मिली। मालूम हो कि इससे पहले सीएम गहलोत ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2020 में सचिन पायलट के साथ जो विधायक दिल्ली गए थे, उन्होंने भाजपा से 20-20 करोड़ रुपए लिए हैं। हालांकि 23 नवंबर को गहलोत ने सचिन पायलट के नाम को तो उल्लेख नहीं किया, लेकिन यह बात स्पष्ट रूप से कही कि सरकार गिराने के लिए भाजपा ने पहली किश्त के तौर पर दस करोड़ रुपए दिए थे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-11-2023)

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Sunday, 19 November 2023

अजमेर में अमित शाह और अशोक गहलोत के रोड शो में फर्क सार्फदिखा।भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मदद मिलेगी।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 17 नवंबर की शाम को अजमेर शहर में रोड शो किया। रोड शो के रथ पर उत्तर क्षेत्र के प्रत्याशी वासुदेव देवनानी और दक्षिण क्षेत्र की अनिता भदेल भी सवार थी। ऐसा ही रोड शो 15 नवंबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर में किया था। गहलोत ने भी खुले वाहन में उत्तर क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता और दक्षिण क्षेत्र की द्रौपदी कोली को खड़ा रखा, लेकिन अमित शाह और गहलोत के रोड शो में फर्क साफ दिखा। गहलोत के रोड शो में जहां डिजाइन बॉक्स कंपनी  का भी सहयोग रहा, वहीं अमित शाह के रोड शो में भीड़ जुटाने से लेकर जगह जगह स्वागत की तैयारियां भाजपा के कार्यकर्ताओं ने की। शाह के रोड शो को सफल बनाने के लिए भाजपा के दोनों प्रत्याशियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। वहीं गहलोत के रोड शो में दोनों ही प्रत्याशियों ने रुचि नहीं दिखाई। अमित शाह का रथ शाम पौने सात बजे जीसीए चौराहे से शुरू होकर केसरगंज, मदार गेट होता हुआ गांधी भवन पर समाप्त हुआ। कोई दो किलोमीटर लंबे रोड शो का सफर एक घंटे का रहा। चूंकि दोनों प्रत्याशियों ने रोड शो की तैयारियां की इसलिए 15 स्थानों पर स्वागत भी हुआ। अमित शाह को देखने के लिए बाजारों में भीड़ नजर आई। लोगों ने अपने मकानों की छत और बालकनी से खड़े होकर भी शाह को देखा। अमित शाह ने भी सभी लोगों का हाथ हिलाकर अभिनंदन किया। रथ के साथ भी हजारों लोग पैदल चल रहे थे। अजमेर के भाजपा नेताओं को सम्मान देने के लिए थोड़े थोड़े समय के लिए रथ खड़ा किया गया, ताकि शाह के साथ फोटो खींचा जाए। भाजपा के जो नेता रथ पर सवार होने में सफल रहे वे अब गर्व की अनुभूति कर रहे हैं। अमित शाह ने पूर्व निर्धारित मार्ग पर अपना रोड शो किया। जबकि 15 नवंबर को सीएम गहलोत को अपना रोड शो बीच में समाप्त करना पड़ा। भीड़ के अभाव में सीएम गहलोत अलवर गेट से कार के अंदर बैठ कर गए और फिर सभा स्थल का सफर तय किया। गहलोत का रोड शो गांधी भवन से शुरू हुआ और उसी मार्ग से गुजरा जिस पर अमित शाह का रोड शो हुआ। दोनों के रोड शो में फर्क साफ दिखा। गहलोत के रोड शो में जहां दोनों प्रत्याशियों ने रुचि नहीं दिखाई वहीं व्यापारियों में भी उत्साह नहीं देखा गया। जबकि गहलोत का रोड शो दिन में हुआ था। कांग्रेस के नेता चाहते तो गहलोत के रोड शो को भव्य बना सकते थे। भले ही अमित शाह ने अजमेर शहर में जनसभा न की हो, लेकिन उनका रोड शो भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मदद करेगा। अजमेर उत्तर क्षेत्र के उम्मीदवार वासुदेव देवनानी को भी इस रोड शो से मदद मिलेगी। देवनानी ने भीड़ जुटाकर यह दर्शा दिया है कि भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता और नेता उन्हीं के समर्थन में काम कर रहे हैं। देवनानी ने अपने क्षेत्र के लोगों को भरोसा दिलाया है कि केंद्र सरकार की अमृत योजना के अंतर्गत चौबीस घंटे में पेयजल की सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2023)
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चार्टर प्लेन का पांच लाख रुपए और हेलीकॉप्टर का ढाई लाख रुपए प्रति घंटे का किराया कौन चुका रहा है?कांग्रेस और भाजपा स्पष्ट करें।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी 15 नवंबर से ही अपनी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी के साथ जयपुर के राजविलास होटल में रह रहे हैं। राहुल गांधी जयपुर से चार्टर प्लेन के जरिए मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के भी चुनावी दौरे कर रहे हैं। राहुल की सुविधा के लिए चार्टर प्लेन जयपुर में सांगानेर एयरपोर्ट पर ही खड़ा रहा है। राहुल गांधी प्रतिदिन रात को जयपुर लौट आते हैं। राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े भी चार्टर प्लेन से ही पांच राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं। इसी प्रकार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ आदि कांग्रेस नेताओं के पास प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर है। कांग्रेस की तरह ही पांच राज्यों में भाजपा नेताओं के पास भी चार्टर प्लेन और हेलीकॉप्टर उपलब्ध है। पीएम मोदी केंद्रीय मंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, असम के सीएम हेमंत बिस्वा आदि भी पांच राज्यों में चार्टर प्लेन और हेलीकॉप्टर से ही प्रचार प्रसार कर रहे हैं। हवाई यात्रा के कारोबारियों का कहना है कि चार्टर प्लेन का किराया पांच लाख रुपए और हेलीकॉप्टर का किराया ढाई लाख रुपया प्रति घंटा है। चूंकि यह सभी नेता इन दिनों चुनाव प्रचार कर रहे हैं, इसलिए किसी के पास भी सरकारी प्लेन और हेलीकॉप्टर नहीं है। सभी नेताओं ने विभिन्न कंपनियों से चार्टर प्लेन और हेलीकॉप्टर किराये पर ले रखे हैं। सभी नेता दिन भर चार्टर प्लेन और हेलीकॉप्टर का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन हवाई वाहनों का किराये का भुगतान कौन कर रहा है? क्या राहुल गांधी के चार्टर प्लेन का भुगतान कांग्रेस पार्टी कर रही है? या फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के प्लेन का किराया भाजपा चुका रही है। अच्छा हो कि दोनों ही दलों को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यह तब और जरूरी हो जाता है, जब राहुल गांधी आरोप लगाते हैं कि पीएम मोदी और भाजपा के अन्य नेता उद्योगपतियों के विमान का उपयोग करते हैं। राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन उद्योगपति तो सभी राजनीतिक दलों में इसी तरह निवेश करते हैं। उद्योगपति तो राज्यों में शासित  क्षेत्रीय दलों को भी चंदा देते हैं। कांग्रेस की तो चार राज्यों में सरकार है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने अडानी समूह को भी अनेक रियायतें दे रखी है। राजस्थान में तो अडानी समूह को हजारों बीघा भूमि रियायती दर पर दी गई है। इतना ही नहीं महंगे कोयले का भुगतान भी अडानी समूह को किया गया है। राहुल गांधी पीएम मोदी पर तो अडानी समूह की मदद करने का आरोप लगाते हैं, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस सरकार और अडानी समूह के कारोबारी रिश्तों के बारे में कुछ नहीं कहते। राहुल गांधी और उन की माताजी सोनिया गांधी को इन दिनों जयपुर में जो राजशाही सुविधाएं मिल रही हैं, उन्हें भी देखा जाना चाहिए। राहुल गांधी किस तरह चार्टर प्लेन में रोजाना अप-डाउन कर रहे हैं। नेताओं द्वारा हवाई वाहनों के उपयोग के मामले में चुनाव आयोग को भी दखल देना चाहिए। जब प्रत्याशी से चाय और कचौड़ी तक का हिसाब मांगा जा रहा है, तब नेताओं के हवाई वाहनों के खर्चे की भी जानकारी लेनी चाहिए।

S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2023)

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भाजपा की सरकार बनने पर राजस्थान वासियों को मुफ्त में अयोध्या यात्रा करवाएंगे-अमित शाह।लोकसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव रखा, तब राहुल गांधी ने विरोध किया।

केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह ने 17 नवंबर को अजमेर जिले में विजयनगर और नसीराबाद में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। शाह ने कहा कि भाजपा की सरकार बनने पर राजस्थान वासियों को अयोध्या की यात्रा करवाई जाएगी। ताकि सभी लोग भगवान राम के दर्शन कर सके। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की प्रतिमाओं को स्थापित करेंगे। शाह ने कहा कि लोगों ने एक दीपावली गत 12 नवंबर को मनाई है जबकि दूसरी दीपावली विधानसभा चुनाव के परिणाम पर 3 दिसंबर मनाई जाएगी। तीसरी दीपावली 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमाओं की स्थापना पर होगी। उन्होंने कहा कि जो लोग सनातन धर्म में भरोसा करते हैं, उनके लिए अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना बड़ी बात है। अयोध्या की यात्रा में बहुत खर्चा आएगा, लेकिन भाजपा की सरकार ने किसी को भी यात्रा के खर्चे की चिंता नहीं होगी। शाह ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जब उन्होंने लोकसभा में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव रखा तब कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने विरोध किया था। शाह ने कहा कि सब जानते हैं कि इस अनुच्छेद के रहते खून की नदियां बहती है, लेकिन इस अनुच्छेद को हटाने के बाद अब जम्मू कश्मीर में शांति का माहौल है। इससे कांग्रेस की मानसिकता का अंदाजा लगा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में मौजूदा समय में एक ऐसी सरकार है जो पीएफआई जैसे संगठनों की मददगार है। राजस्थान के लोगों को ऐसी सरकार का चयन करना है जो आतंकवादियों के साथ सख्ती दिखाए। शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने थे, तब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में दसवें नंबर पर थी। लेकिन आज तीसरे नंबर पर है। मोदी सरकार ने राजस्थान में आर्थिक मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पिछले दस वर्षों में राजस्थान के विकास के लिए 14 लाख 71 हजार करोड़ रुपए दिए गए हैं। राजस्थान में भाजपा की सरकार बनेगी तो 90 लाख किसानों को 12 हजार रुपए प्रतिमाह की आर्थिक मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में प्रदेश के 45 लाख परिवारों को नल से जल पहुंचाया गया है। एक करोड़ 10 लाख लोगों को आयुष्मान भारत योजना का स्वास्थ लाभ मिला है। 86 लाख परिवारों में शौचालय बनाए गए है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार बनने पर 450 रुपए में रसोई गैस का सिलेंडर दिया जाएगा, इसके साथ ही पात्र गरीब व्यक्ति को पांच किलो गेहूं प्रतिमाह दिया जाएगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2023)

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आखिर भाजपा ने राजस्थान में पेट्रोल डीजल पर वैट कम करने का वादा क्यों नहीं किया?काश! 25 नवंबर को मतदान के बाद हाईकोर्ट विधानसभा चुनाव की मतगणना पर रोक लगा दें। तब कांग्रेस को प्रतियोगी परीक्षाओं के रद्द होने पर युवाओं के दर्द का एहसास होगा।

राजस्थान में पेट्रोल पर 31 प्रतिशत और डीजल पर 19.50 प्रतिशत वेट है। राज्य सरकार के इस वैट के कारण पंजाब, हरियाणा, गुजरात आदि राज्यों की सीमा से लगे राजस्थान के जिलों में पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं क्योंकि इन पड़ोसी राज्यों से सस्ता पेट्रोल डीजल आ रहा है। भाजपा ने पूरे पांच वर्ष इस बात को लेकर आंदोलन किया कि अधिक वैट के कारण पेट्रोल डीजल महंगा है। भाजपा ने बार बार कांग्रेस सरकार से वैट घटाने की मांग की। जब पेट्रोल पंप एसोसिएशन की हड़ताल हुई तब भी भाजपा ने हड़ताल का समर्थन किया, लेकिन अब जब भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र जारी किया है, तब वैट घटाने का कोई वादा नहीं किया है। सवाल उठता है कि जो भाजपा पांच वर्ष तक वैट घटाने को लेकर आंदोलन करती रही, उस भाजपा ने अपनी सरकार बनने पर वैट घटाने का वादा क्यों नहीं किया? जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस एक हजार रुपए वाला सिलेंडर पांच सौ रुपए में दे सकती है, लेकिन पेट्रोल डीजल पर वैट नहीं घटा सकती।
मतगणना पर रोक:
कांग्रेस के पांच वर्ष के शासन में जिस तरह प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट हुए उससे प्रदेश का युवक बुरी तरह त्रस्त है। न केवल पेपर आउट हुए बल्कि परीक्षा के बाद अनेक परीक्षाएं हाईकोर्ट में जाकर अटक गई। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनेक परीक्षाओं को रद्द कर दिया। एक युवक जब परीक्षा देता है तो उसे परिणाम की भी उम्मीद होती है। जब परीक्षा ही रद्द हो जाए तो उसकी पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान में राज्य स्तरीय शिक्षक भर्ती परीक्षा (रीट) में 25 लाख युवक युवतियों ने भाग लिया, लेकिन परीक्षा के बाद इसे रद्द कर दिया गया। ऐसी अनेक परीक्षाएं हैं जिन्हें पिछले पांच वर्ष में रद्द किया गया है। जो युवा परीक्षा रद्द होने की वजह से परेशान रहे वे अब सोशल मीडिया पर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है कि राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान के बा विधानसभा चुनाव की मतगणना पर हाईकोर्ट रोक लगा दे और फिर चुनाव को रद्द कर दे। ताकि राजनेताओं को युवाओं के दर्द का अहसास हो सके। हाईकोर्ट के पास मतगणना पर रोक लगाने के कई कारण है। नेता प्रचार के दौरान जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं वह मर्यादित नहीं है। प्रचार में चार्टर प्लेन और हेलीकॉप्टर का उपयोग भी आचार संहिता के खिलाफ है। हवाई वाहनों के कारण खर्च की सीमा का खुला उल्लंघन हो रहा है। नेता चुनाव में जिस प्रकार धर्म, जाति और धन बल का उपयोग कर रहे हैं, वह भी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, जब मतदान के बाद मतगणना पर रोक लगेगी तो इन राजनेताओं को युवाओं का दर्द समझ में आ जाएगा। कोई नेता नहीं चाहता है कि मतगणना पर रोक लगे और चुनाव रद्द हो जाए। सवाल उठता है कि जब राजनेता अपनी चुनाव परीक्षा पर रोक नहीं चाहता तो फिर युवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर क्यों आउट करवाए जाते हैं तथा क्यों हाईकोर्ट लंबी सुनवाई के बाद परीक्षा रद्द कर देती है?

S.P.MITTAL BLOGGER (19-11-2023)

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साध्वी अनादि सरस्वती का अजमेर उत्तर में कांग्रेस का प्रचार करने से परहेज।दक्षिण में चुनावी माहौल शांत, लेकिन भाजपा में भितरघात की आशंका।क्लब में हो रही कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस।अजमेर में श्याम बाबा का जन्मोत्सव 21 नवंबर को।

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने प कांग्रेस का दामन थामने वाली साध्वी अनादि सरस्वती अब अपने गृह क्षेत्र अजमेर उत्तर में कांग्रेस का प्रचार करने से परहेज कर रही हैं। चूंकि साध्वी अनादि सिंधी समुदाय से ताल्लुक रखती है, इसलिए उन्होंने सिंधी बाहुल्य अजमेर उत्तर से भाजपा का टिकट मांगा था। साध्वी को उम्मीद थी कि उन्होंने जिस तरह से सनातन धर्म की रक्षा का काम किया उसे देखते हुए भाजपा टिकट दे देगी, लेकिन भाजपा  ने लगातार पांचवीं बार सिंधी समुदाय के वासुदेव देवनानी को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस में शामिल होने के बाद यह माना जा रहा था कि साध्वी अनादि सबसे पहले अपने क्षेत्र में कांग्रेस का प्रचार कर भाजपा उम्मीदवार देवनानी को हराने का काम करेंगी, लेकिन अभी तक भी साध्वी ने उत्तर क्षेत्र में कांग्रेस का प्रचार शुरू नहीं किया है। साध्वी ने पहले मध्यप्रदेश में जाकर सिंधी बाहुल्य क्षेत्रों में प्रचार किया और अब इन दिनों जयपुर में कांग्रेस का प्रचार कर रही है। साध्वी जयपुर के सिंधी बाहुल्य क्षेत्रों में जाकर छोटी छोटी सभाएं कर रही हैं और सिंधी मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील कर रही हैं। अजमेर उत्तर में कांग्रेस का प्रचार नहीं करने पर साध्वी को लेकर अनेक चर्चाएं हो रही हैं। कहा जा रहा है कि अजमेर में भाजपा ने सिंधी समुदाय के देवनानी को ही उम्मीदवार बनाया है, इसलिए सिंधी इस क्षेत्र में कांग्रेस का प्रचार नहीं करना चाहती है। यदि उत्तर क्षेत्र में साध्वी कांग्रेस का प्रचार करती है तो उन्हें अपने समुदाय का विरोधी माना जाएगा। वहीं कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अजमेर उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता ने ही साध्वी के प्रचार से परहेज किया है। रलावता के समर्थकों का मानना है कि साध्वी ने भाजपा में रहते हुए जिस तरह सनातन धर्म की पैरवी की उससे मुस्लिम मतदाता नाराज हो सकते हैं। चूंकि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी है, इसलिए कांग्रेस प्रत्याशी रलावता कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।
 
दक्षिण में शांति:
अजमेर उत्तर के मुकाबले में दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान शांति हैं। उत्तर में भाजपा के बागी उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत और कुंदन वैष्णव की वजह से प्रचार में गर्मी है। लेकिन दक्षिण में भाजपा की उम्मीदवार अनिता भदेल और कांग्रेस की द्रौपदी कोली के बीच सीधा मुकाबला है। दक्षिण में भाजपा को किसी उम्मीदवार की बगावत का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन भाजपा को भितरघात की आशंका है। भाजपा का ही एक बड़ी नेता और उनके पति पर भितरघात के आरोप लग रहे हैं। उम्मीदवारों के चयन के समय भी इस दम्पत्ति ने नगर निगम के पार्षदों के माध्यम से भदेल का विरोध कराया था। कहा जा रहा है कि अभी भी यह दम्पत्ति भदेल को हरवाने का काम कर रहे हैं। लेकिन भदेल के लिए यह संतोष की बात है कि कांग्रेस के प्रमुख नेता हेमंत भाटी और डॉ. राजकुमार जयपाल अभी तक निष्क्रिय बने हुए हैं। द्रौपदी कोली के साथ कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नजर नहीं आ रहा है। असल में जयपाल और भाटी की दावेदारी को नजरअंदाज कर ही कोली को उम्मीदवार बनाया गया। इसके साथ ही भाजपा उम्मीदवार भदेल को गत चार चुनावों की जीत का अनुभव है। उन्हें वे सब तरीके आते हैं जिसकी वजह से चुनाव जीता जा सकता है। वैसे भी हर बार चुनाव जीतने के बाद भदेल अपने क्षेत्र के लोगों से लगातार संपर्क  रखती हैं। भदेल को उनकी लोकप्रियता का लाभ भी मिल रहा है। जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार कोली को आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ रहा है।
 
प्रेस कॉन्फ्रेंस क्लब में:
अजमेर में कांग्रेस के अधिकांश प्रेस कॉन्फ्रेंस अजमेर क्लब में हो रही है। इस क्लब में बार भी संचालित होती है। पिछले बीस वर्षों से इस क्लब के अध्यक्ष कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल है। यह क्लब विवादों में भी रहा है। स्वयं जयपाल पर भी अपराध के गंभीर आरोप लग चुके हैं और क्लब की जमीन को लेकर नगर निगम ने भी नोटिस दे रखे हैं। हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस डॉ. जयपाल के क्लब में ही हुई है। क्लब में होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उत्तर और दक्षिण क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशियों की कोई भूमिका नहीं होती है। चूंकि अजमेर क्लब में कांग्रेस नेताओं को सभी तरह की सुविधाएं मिल जाती है। इसलिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करना आसान होता है। डॉ. जयपाल के अध्यक्ष होने के कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस का कोई खर्चा भी नहीं होता।
 
श्याम बाबा का जन्मोत्सव 21 को:
श्री श्याम बाबा का 31वां जन्मोत्सव अन्नकूट महोत्सव 21 नवंबर को सायं साढ़े पांच बजे अजमेर के मदार गेट स्थित सूरजकुंड मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस महोत्सव के प्रमुख गोपाल चंद गोयल, कमल गर्ग और हेमंत गर्ग ने बताया कि इस अवसर पर श्याम बाबा की आकर्षक झांकी तैयार की जाएगी तथा विख्यात कलाकार भजनों की प्रस्तुति देंगे। बाबा की झांकी पर छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे। शाम सात बजे महाआरती के बाद अन्नकूट का प्रसाद के तौर पर वितरण होगा। शहरवासी इस धार्मिक आयोजन में भाग ले सकते हैं। इस आयोजन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414008244 पर गोपाल चंद गोयल और 9214071182 पर हेमंत गर्ग से ली जा सकती है।

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Monday, 13 November 2023

16 नवंबर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ किशनगढ़ में रोड शो, केकड़ी और पुष्कर में चुनावी सभा करेंगे।अजमेर जिले में चार बागी उम्मीदवार भाजपा से निष्कासित।अजमेर उत्तर, पुष्कर, किशनगढ़, मसूदा और नसीराबाद में कांग्रेस-भाजपा के उम्मीदवारों की जीत निर्दलीयों की ताकत पर निर्भर।ब्यावर में बागावास की उम्मीदवारी से भाजपा को फायदा होने का दावा।

अजमेर जिले में विधानसभा की आठ सीटें हैं। इनमें से तीन सीटों पर 16 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योगी के चुनावी कार्यक्रम होते हैं। भाजपा के मीडिया प्रभारी अनीश मोयल ने बताया कि योगी की पहली सभा दोपहर 2 बजे केकड़ी में तथा दूसरी सभा साढ़े तीन बजे पुष्कर में होगी। इसी प्रकार, सायं साढ़े चार बजे किशनगढ़ के शहर में योगी का रोड शो होगा। इस रोड शो के बाद सीएम योगी किशनगढ़ एयरपोर्ट से चार्टर प्लेन के जरिए लखनऊ जाएंगे। योगी के कार्यक्रम के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9929005000 पर अनीश मोयल से ली जा सकती है।
 
चार बागी निष्कासित:
भाजपा की अनुशासन समिति के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने अजमेर जिले के भाजपा के चार बागी उम्मीदवारों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इनमें ब्यावर से इंद्र सिंह बागावास, महेंद्र सिंह रावत, पुष्कर से अशोक सिंह रावत तथा अजमेर उत्तर से ज्ञान सारस्वत है। यह निष्कासन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के निर्णय पर हुआ है। निष्कासन के आदेश भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा को भिजवा दिए हैं। मालूम हो कि बागावास भाजपा के संपर्क प्रमुख प्रकोष्ठ के संभाग प्रभारी, महेंद्र सिंह रावत बिलाड़ा के प्रभारी होने के साथ साथ पंचायत समिति के सदस्य तथा अशोक सिंह रावत ओबीसी मोर्चे के जिला अध्यक्ष, इसी प्रकार ज्ञान सारस्वत भाजपा के पार्षद थे। हालांकि इन सभी ने पूर्व में ही पार्टी से इस्तीफे दे दिए थे।
 
निर्दलीयों की ताकत पर निर्भरता:
अजमेर जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों की जीत निर्दलीय उम्मीदवारों की ताकत पर निर्भर है। ये निर्दलीय जितने वोट प्राप्त करेंगे, उसी के आधार पर भाजपा कांग्रेस की जीत होगी। अनेक निर्दलीय समर्थकों का दावा है कि इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत होगी। किशनगढ़ में तो मौजूदा विधायक और निर्दलीय उम्मीदवार सुरेश टाक के समर्थकों को एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस के हारने की उम्मीद है। 2018 में जो विकास चौधरी भाजपा के उम्मीदवार थे, वे अब 2023 में कांग्रेस के उम्मीदवार है। वही विकास चौधरी का मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी से है। भागीरथ दो बार पहले भी किशनगढ़ से विधायक रह चुके हैं। इसलिए इस बार उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यदि भागीरथ सांसद रहते हुए विधायक का चुनाव हार जाते हैं तो उन्हें बड़ा राजनीतिक झटका लगेगा। भागीरथ की जीत निर्दलीय सुरेश टाक की ताकत पर निर्भर है। पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. श्रीगोपाल बाहेती (कांग्रेस) के बागी और अशोक सिंह रावत (भाजपा) के बागी और आरएलपी के उम्मीदवार को जीत की उम्मीद है। इन दोनों का दावा है कि वे विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। यदि सिर्फ कांग्रेस भाजपा के वोट काटने की बात होती तो वे चुनाव नहीं लड़ते। चूंकि डॉ. बाहेती कांग्रेस और अशोक सिंह रावत भाजपा के बागी है, इसलिए भाजपा उम्मीदवार सुरेश रावत और कांग्रेस उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर की जीत इन दोनों निर्दलीयों की ताकत पर निर्भर है। भाजपा समर्थकों का मानना है कि डॉ. बाहेती जीतने ज्यादा वोट मुसलमानों के प्राप्त करेंगे उतनी जीत भाजपा की पक्की होगी। इसी प्रकार कांग्रेस समर्थकों का मानना है कि अशोक सिंह रावत जितने वोट रावतों के प्राप्त करेंगे उतनी जीत कांग्रेस की पक्की होगी। अशोक सिंह रावत को रावत महासभा के अध्यक्ष शैतान सिंह रावत और कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत सेवानंदगिरि ने खुला समर्थन दिया है। मसूदा में भी कांग्रेस उम्मीदवार राकेश पारीक और भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह कानावत की जीत वाजिद चीता, सचिन सांखला, जसबीर सिंह और सुनील जैसे उम्मीदवारों की ताकत पर निर्भर है। वाजिद चीता बसपा, सचिन सांखला आरएलपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वाजिद ने वर्ष 2013 में भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और तब उन्हें बीस हजार 700 वोट मिले थे। उस समय वाजिद चीता सांप्रदायिक तनाव के प्रकरण में जेल में बंद थे। इस बार वाजिद स्वयं घर घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। वाजिद को अपने चीता मेहरात, काठात समुदाय के वोटों पर भरोसा है। यदि वाजिद को 2013 वाले वोट प्राप्त होते हैं तो फिर कांग्रेस के सामने बड़ा संकट हो जाएगा। कांग्रेस को अपने बागी उम्मीदवार विजय नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष सचिन सांखला का भी मुकाबला करना पड़ रहा है। भाजपा को भी जसबीर सिंह रावत की उम्मीदवारी से नुकसान बताया जा रहा है। भामाशाह सुनी कांवडिया अपनी ढपली अलग ही बता रहे हैं। मसूदा में वोटों का ध्रुवीकरण भी हो रहा है। हालांकि कांग्रेस को गुर्जर मतदाताओं पर भरोसा है। राकेश पारीक जल्द ही सचिन पायलट की सभा मसूदा में करवाएंगे। अजमेर उत्तर में भाजपा के वासुदेव देवनानी और कांग्रेस के महेंद्र सिंह रलावता की जीत निर्दलीय ज्ञान सारस्वत, लाल सिंह रावत और कुंदन वैष्णव की ताकत पर निर्भर है। लाल सिंह और कुंदन वैष्णव को मिले वोट जहां भाजपा को सीधा नुकसान पहुंचाएंगे। वहीं ज्ञान सारस्वत को बड़ी संख्या में कांग्रेस विचारधारा वाले वोट भी मिलेंगे। इनमें मुसलमानों के वोट भी शामिल हैं। सारस्वत को व्यापारी वर्ग का भी समर्थन है। इन तीनों उम्मीदवारों की ताकत पर ही भाजपा कांग्रेस की जीत निर्भर है। नसीराबाद से भाजपा के उम्मीदवार रामस्वरूप लांबा और कांग्रेस के शिव प्रकाश गुर्जर के बीच शिवराज सिंह पलाड़ा फंसे हुए हैं। पलाड़ा मौजूदा जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पुत्र हैं। पलाड़ा परिवार की राजनीति शिवराज के पिता भंवर सिंह पलाड़ा के इशारे पर चलती है। श्रीमती पलाड़ा दूसरी बार जिला प्रमुख हैं और वर्ष 2013 से 2018 के बीच मसूदा की विधायक रह चुकी है। जिला प्रमुख के चुनाव में बगावत करने की वजह से पलाड़ा दम्पत्ति को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। शिवराज की उम्मीदवार से पलाड़ा परिवार की  प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। परिवार ने पूरी ताकत झोंक दी है। यही वजह है कि शिवराज को मिले वोटों पर कांग्रेस भाजपा की जीत निर्भर है। फिलहाल शिवराज की उम्मीदवारी से नसीराबाद में भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगड़ा हुआ है।
हालांकि ब्यावर में भाजपा के शंकर सिंह रावत और कांग्रेस के पारसमल जैन के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन यहां भाजपा के बागी इंदर सिंह बागावास की उम्मीदवारी को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा के समर्थकों का कहना है कि बागावास की उम्मीदवारी से भाजपा को ही फायदा होगा। बागावास का प्रभाव ब्यावर के शहरी क्षेत्र में ज्यादा है। शंकर सिंह रावत चौथी बार ब्यावर से चुनाव लड़ रहे हैं। गत तीन बार की जीत में रावत मतदाताओं की एकजुटता रही है। रावत मतदाता ग्रामीण क्षेत्र में हैं। पूर्व के परिणामों में देखा गया है कि रावत को शहरी क्षेत्र से कम मिलते हैं। ऐसे में यदि शहरी क्षेत्र के वोट कांग्रेस के बजाए बागावास को मिलते हैं तो उसका फायदा भाजपा को मिलेगा। चुनाव में भाजपा के बागी महेंद्र सिंह रावत भी रावत मतदाताओं में सेंध लगाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। केकड़ी में कांग्रेस के रघु शर्मा और भाजपा के शत्रुघ्न गौतम तथा अजमेर दक्षिण में कांग्रेस की द्रौपदी कोली और भाजपा की अनिता भदेल में सीधा मुकाबला है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-11-2023)

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Friday, 10 November 2023

राजस्थान में गहलोत की मुफ्त की गारंटियों पर कन्हैयालाल की गर्दन काटने, मंत्री धारीवाल का मर्दों वाला बयान और पीएफआई की गतिविधियों की घटनाएं हावी।अब हर दूसरे दिन होगी पीएम मोदी की चुनावी सभा।बागियों के लिए भाजपा के दरवाजे अब हमेशा के लिए बंद-प्रहलाद जोशी।p

9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में चुनाव प्रचार की शुरुआत उदयपुर से की। मोदी 23 नवंबर तक प्रदेश में करीब दस जनसभाओं को संबोधित करेंगे। यानी हर दूसरे दिन पीएम की सभा राजस्थान में होगी। इन ताबड़तोड़ सभाओं से राजस्थान के चुनावी माहौल का अंदाजा लगाया जा सकता है। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी चुनावी सभाओं के लिए राजस्थान आएंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रतिदिन दो तीन सभाएं कर रहे हैं। सीएम गहलोत का फोकस अपनी मुफ्त की गारंटियों पर है। वहीं 9 नवंबर की पहली चुनावी सभा में पीएम मोदी ने अपने प्रचार के तरीके को स्पष्ट कर दिया है। पीएम ने अपनी पहली सभा में राजस्थान के उस उदयपुर शहर में की जहां सर तन से जुदा अभियान के अंतर्गत कन्हैयालाल दर्जी की गर्दन काटी गई थी। पीएम ने इस घटना का जिक्र अपने भाषण में भी किया। पीएम ने कहा कि राजस्थान में आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली सरकार है। इसलिए कन्हैयालाल की गर्दन काट दी गई। पीएम ने पीएफआई का उल्लेख करते हुए कहा कि संगठन से जुड़े लोग देश का माहौल खराब करते हैं और राजस्थान में सरकार की ओर से ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाई जाती है। पीएम ने अपने संबोधन में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के मर्दो वाले बयान का भी उल्लेख किया। पीएम ने कहा कि राजस्थान के मर्दो की पहचान अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देने के लिए होती है। राजस्थान का इतिहास गवाह है कि यहां के पुरुषों ने अपने मान सम्मान के लिए बड़े से बड़ा बलिदान दिया है, लेकिन आज सरकार में बैठे मंत्री महिलाओं पर होने वाली ज्यातिदयों के संदर्भ में राजस्थान के मर्दों की तुलना कर रहे हैं। ऐसा बयान देकर मंत्री ने राजस्थान के बलिदानियों का अपमान किया है। पीएम ने कहा कि आज राजस्थान में ऐसी सरकार की जरूरत है जो आतंकवादियों और आपराधिक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही कर सके। अपराधियों में सरकार का भय नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर ज्यादतियों के मामलों में राजस्थान पहले नंबर है। पीएम मोदी ने अपने प्रचार के तरीके को स्पष्ट कर दिया है और राजस्थान की जनता को इस बात का अहसास कराया कि सबसे पहले सुरक्षा की गारंटी चाहिए जो भाजपा ही दे सकती है। यदि सर तन से जुदा अभियान में गर्दन काटी जाती रहेंगी, बलात्कारियों की तुलना पुरुषों की मर्दानगी से जी जाएगी तो फिर मुफ्त की गारंटियों का कोई फायदा नहीं है।
 
बागियों को चेतावनी:
केंद्रीय मंत्री और राजस्थान में भाजपा के चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने कहा है कि भाजपा के जो नेता बागी होकर अधिकृत उम्मीदवार के सामने चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें तुरंत प्रभाव से अधिकृत प्रत्याशी के समर्थन में रिटायर हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि बागी प्रत्याशी रिटायर नहीं होते हैं तो फिर भाजपा में उनके लिए दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं। उन्होंने कहा कि बागी प्रत्याशियों का लग रहा है कि चुनाव के बाद वे फिर से भाजपा में शामिल हो जाएंगे, लेकिन उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात की है। भाजपा के किसी भी बागी उम्मीदवार को फिर से पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा। 

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अजमेर उत्तर में वैश्य समाज ने भाजपा के बागी सारस्वत को समर्थन दिया।वैश्य समाज के नाम का दुरुपयोग-सतीश बंसल।पुजारी के प्रकरण में ब्राह्मण समाज की भूमिका पर भी विचार हो-नरेंद्र डिडवानिया।राहुल और खडग़े के संदेश के बाद माने हेमंत भाटी।

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बागी उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत को समर्थन देने के मुद्दे पर अजमेर में वैश्य समाज ने दो फाड़ हो गई है। काली चरण खंडेलवाल के गुट ने जहां सारस्वत को समर्थन देने की घोषणा की है, वहीं सतीश बंसल ने आरोप लगाया है कि वैश्य समाज के नाम का दुरुपयोग हो रहा है। खंडेलवाल ने बताया कि 9 नवंबर को उनके वैशाली नगर स्थित आवास पर वैश्य समाज की एक बैठक हुई थी, इस बैठक में सुभाष काबरा, उमेश गर्ग, अशोक पंसारी, रमेश तापडिय़ा आदि प्रतिनिधि उपस्थित रहे और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि उत्तर क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत को समर्थन दिया जाएगा। इस निर्णय के बाद वैश्य समाज की बैठक में ज्ञान सारस्वत भी शामिल हुए और उनका माला पहनाकर स्वागत किया गया। सारस्वत ने कहा कि वैश्य समाज ने उन्हें जो समर्थन दिया है उसकी भरपाई चुनाव के बाद की जाएगी। समर्थन देने के लिए सारस्वत ने वैश्य समाज का आभार भी प्रकट किया। खंडेलवाल ने बताया कि टिकट बंटवारे से पूर्व ही वैश्य समाज ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से आग्रह किया था कि अजमेर उत्तर क्षेत्र में समाज के किसी नेता को उम्मीदवार बनाया जया। लेकिन दोनों ही दलों ने वैश्य समाज को प्रतिनिधित्व नहीं दिया, इसलिए अब निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन दिया गया है। वहीं दूसरी ओर वैश्य समाज के प्रमुख नेता सतीश बंसल ने कहा कि जिन लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी सारस्वत को समर्थन देने की का निर्णय लिया है वे संपूर्ण वैश्य समाज का प्रतिनिधि नहीं करते हैं। बसंल ने कहा कि अजमेर में वैश्य समाज की प्रमुख प्रतिनिधियों की एक बैठक 10 नवंबर को हो रही है। इस बैठक में विधानसभा चुनाव में समाज की भूमिका पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग वैश्य समाज के नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
 
ब्राह्मण समाज की भूमिका पर विचार हो:
प्राप्त जानकारी के अनुसार 9 नवंबर को वैश्य समाज के कुछ नेताओं की बैठक वैशाली नगर में हो रही थी, तभी अग्रवाल समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि नरेंद्र डिडवानिया पहुंच गए। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जगन्नाथ भगवान के मंदिर के पुजारी के प्रकरण में जो विवाद हुआ उसमें ब्राह्मण समाज का एक तरफा रुख सामने आया। तब मंदिर की प्रबंध कमेटी के पदाधिकारियों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि वे वैश्य समाज और ब्राह्मण समाज में कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते, लेकिन पुजारी के प्रकरण में ब्राह्मण समाज की भूमिका पर विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज यदि निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञान सारस्वत को समर्थन देता है तो फिर मंदिर प्रकरण पर भी विचार होना चाहिए।
 
राहुल-खडग़े के संदेश के बाद माने:
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। भाटी का कहना रहा कि नाम वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट आदि नेताओं के फोन आए थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के संदेश के बाद अपना नामांकन वापस लिया। भाटी ने बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता खेड़ा राहुल और खडग़े का संदेश लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी के दावे को नजर अंदाज कर पार्टी ने द्रौपदी कोली को उम्मीदवार बनाया। इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया गया था, लेकिन अब वे कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी को जिताने का काम करेंगे। 


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बीसलपुर बांध से सिंचाई के लिए 2.59 टीएमसी पानी नहरों में छोड़ा जाएगा।अजमेर में चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई।

अजमेर, जयपुर, टोंक और दौसा जिले की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध से अब सिंचाई के लिए 2.59 टीएमसी पानी नहरों में छोड़ा जाएगा। सरकार ने यह निर्णय किसानों के आंदोलन के मद्देनजर लिया है। नहरों में पानी छोड़ने के लिए किसान पिछले कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए ही सरकार ने सिंचाई के लिए पानी छोड़ने के आदेश दिए हैं। हालांकि किसानों ने चार टीएमसी पानी देने की मांग की थी, लेकिन फिलहाल सरकार ने 2.59 टीएमसी पानी देने पर सहमति दी है। सिंचाई के लिए पानी देने के बाद बीसलपुर बांध का जल स्तर आधा मीटर कम हो जाएगा। 10 नवंबर को बांध का जलस्तर 313.36 आंका गया, जो अगले कुछ दिनों में 313 मीटर ही रह जाएगा।
 
चार दिन में सप्लाई:
किसानों के प्रदर्शन के दबाव में सरकार भले ही बीसलपुर बांध से नहरों में पानी छोड़ रही हो, लेकिन अजमेर में चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। विधानसभा चुनाव में पेयजल समस्या भी प्रमुख मुद्दा है। कांग्रेस के प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता ने तो स्पष्ट कहा है कि विधायक बनने के बाद पहली प्राथमिकता पेयजल की समस्या को दूर करने की होगी। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि अजमेर उत्तर से पिछले बीस वर्षों  से वासुदेव देवनानी भाजपा विधायक की भूमिका निभा रहे हैं लेकिन पेयजल की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। 

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Wednesday, 8 November 2023

अजमेर उत्तर से भाजपा के ज्ञान सारस्वत राजनीतिक तीर्थ यात्रा पर , ताकि नाम वापसी से बच सके। शेखावत पर राजपूत समाज का ही दबाव।दक्षिण में हेमंत भाटी के नाम वापसी में पायलट के दखल का इंतजार।9 नवंबर को दोपहर तीन बजे तक नाम वापसी।

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बागी उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत का नामांकन वापस करवाने के लिए भाजपा के नेताओं ने पूरी ताकत लगा दी है। अजमेर के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत सारस्वत के घर गए तो बताया गया कि वे तीर्थ यात्रा पर हैं। गहलोत ने फोन पर भी संवाद करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। मीडिया कर्मियों से भी कहा जा रहा है कि सारस्वत अब 9 नवंबर को दोपहर तीन बजे बाद संवाद करेंगे। मालूम हो कि उम्मीदवारी का नाम वापसी का समय 9 नवंबर तक ही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सारस्वत से बात करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही। इस बीच सरस्वत ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि वे किसी भी हालत में नाम वापस नहीं लेंगे और विधायक बनकर उत्तर क्षेत्र की जनता की सेवा करेंगे। भाजपा के घोषित प्रत्याशी वासुदेव देवनानी भी प्रयासरत है कि सारस्वत किसी भी तरह नाम वापस ले लें। असल में सारस्वत की उम्मीदवारी से भाजपा को बड़ा खतरा हो गया है, भाजपा के रणनीतिकार भी मानते हैं कि सारस्वत की उम्मीदवारी से चुनाव परिणाम प्रभावित होगा। तीन बार के पार्षद ज्ञान सारस्वत की उत्तर क्षेत्र में खासी लोकप्रियता है। पार्षद के तौर पर उनकी भूमिका सर्वत्र प्रशंसा है। भाजपा के दूसरे बागी पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत पर नाम वापसी के लिए राजपूत समाज का ही दबाव है। असल में महेंद्र सिंह रलावता को कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद राजपूत नेताओं का मानना है कि समाज के वोटों में विभाजन नहीं होना चाहिए। हालांकि भाजपा के नेता भी शेखावत के नाम वापसी का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ज्यादा दबाव राजपूत समाज का है। रलावता की कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा से उत्तर क्षेत्र का मुकाबला और कड़ा हो गया है। 2018 में देवनानी और रलावता के बीच हार जीत का अंतर 8 हजार 600 वोटों का रहा। तब ज्ञान सारस्वत भाजपा के साथ थे। अब जब सारस्वत बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं तब परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। सारस्वत के समर्थकों का दावा है कि भाजपा -कांग्रेस की लड़ाई सारस्वत की जीत होगी। इस बार चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार रलावता ने भी पूरी ताकत लगा दी है। गत बार चुनाव हारने के बाद से ही रलावता पूरे पांच वर्ष क्षेत्र में सक्रिय रहे। जिसका फायदा अब रलावता को मिल रहा है। वहीं देवनानी को उम्मीद है कि हिंदुत्व की विचारधारा का वोट हमेशा की तरह उन्हें ही मिलेगा।
 
पायलट के दखल का इंतजार:
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। यहां गत दो बार के प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अधिकृत उम्मीदवार द्रौपदी कोली के सामने उम्मीदवारी की है। कांग्रेस की राजनीति में भाटी को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का समर्थक माना जाता है। इसलिए भाटी की नाम वापसी में पायलट के दखल का इंतजार किया जा रहा है। वहीं भाटी के समर्थकों का मानना है कि पार्टी ने बेहद कमजोर उम्मीदवार उतारा है, इसलिए हेमंत भाटी ही कांग्रेस के असली उम्मीदवार है। समर्थकों को उम्मीद है कि निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने की स्थिति में है। 

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