राजस्थान में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 20 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एबीपी न्यूज को एक इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में गहलोत ने कहा कि मेरी सरकार के सहयोग के कारण ही आज अयोध्या में भगवान राम का मंदिर समय पर बन रहा है। गहलोत ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर क्षेत्र से जो पिंक कलर का पत्थर निकाला जा रहा था वह अवैध था। सबसे पहले मैंने ही इस अवैध खनन की ओर मंदिर निर्माण से जुड़े पदाधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। गहलोत ने बताया कि उनके पास पीएम के सलाहकार और मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र का फोन आया था। मैंने मिश्र को सुझाव दिया कि केंद्र सरकार पत्थर निकालने वाले स्थान को वन क्षेत्र से मुक्त करे। मेरी इस सलाह को माना गया और फिर संबंधित खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र से मुक्त किया गया। यही वजह है कि आज अयोध्या में मंदिर का निर्माण समय पर पूरा हो सका है। लेकिन मैंने कभी भी मंदिर निर्माण में सरकार के सहयोग का श्रेय नहीं लिया। सब जानते हैं कि मंदिर के भवन निर्माण और आसपास की अन्य इमारतों में भरतपुर का ही पत्थर काम आ रहा है। यह सही है कि पहाड़ी से पत्थर निकालने में राजस्थान की कांग्रेस सरकार का सहयोग रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि कांग्रेस सरकार के सहयोग को तथ्य को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्यों छुपा रखा? क्या कांग्रेस मंदिर निर्माण में अपने सहयोग से हिचक रही है? भाजपा नेता अकसर आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस मंदिर निर्माण की विरोधी है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय में भी कांग्रेस का नकारात्मक रवैया सामने आया था। अब जब सीएम गहलोत ने मंदिर निर्माण में कांग्रेस सरकार के सहयोग के तथ्य उजागर किए हैं तो फिर यह सवाल उठना लाजमी है कि कांग्रेस ने इस तथ्य को क्यों छुपा रखा? क्या कांग्रेस को मंदिर निर्माण में सहयोग की वजह से चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोटों का डर रहा? राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने मंदिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को हटाने में सहयोग किया है।
हकीकत जाननी चाहिए:
21 नवंबर को राजस्थान के प्रमुख अखबारों में कांग्रेस की ओर से एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया है। इस विज्ञापन में लिखा गया है कि अगर गलत वोट पड़ गया तो 25 लाख रुपए का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा बंद हो जाएगा। यानि राजस्थान की जनता ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया तो भाजपा सरकार बनने पर स्वास्थ्य बीमा की यह योजना बंद हो जाएगी। कांग्रेस का प्रचार डिजाइन बॉक्स कंपनी कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस कंपनी के पदाधिकारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना की हकीकत पता नहीं है। सरकारी अस्पतालों में तो चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का कोई मतलब नहीं है। जबकि निजी अस्पतालों में इस योजना से परहेज किया जाता है। डिजाइन बॉक्स कंपनी को लगता है कि जिन व्यक्तियों के पास इस योजना का कार्ड है उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में 25 लाख रुपए तक का फ्री इलाज हो रहा है। जबकि हकीकत इस योजना के कार्ड धारकों को प्रदेश के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में प्रवेश ही नहीं दिया जाता। सरकार के डंडे के डर की वजह से कुछ अस्पतालों ने योजना का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन सुविधा नहीं दी जाती। अस्पतालों के मालिक इस योजना के व्यक्तियों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। रोग की जांच के नाम पर पहले ही हजारों रुपया वसूल लिया जाता है। इस योजना में प्राथमिक जांच का कोई प्रावधान नहीं है। जो डॉक्टर 800 रुपए की फीस लेता है, उसकी फीस इस योजना में मात्र 150 रुपए निर्धारित की गई है। एक हजार रुपए योजना में मरीज की भर्ती और दवाई देने के आदेश हैं। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों के मालिक इस योजना में किसी भी प्रकार का इलाज नहीं करते हैं। जिन व्यक्तियों के पास इस बीमा योजना का कार्ड है, उन्हें अच्छी तरह पता है कि प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों में फ्री का इलाज नहीं होता। ऐसे में गहलोत सरकार की यह योजना बंद भी हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह बात अलग है कि भाजपा की केंद्र सरकार आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना में पांच लाख रुपए तक फ्री इलाज करवा रही है। भाजपा ने केंद्र की इस योजना के दायरे को और बढ़ाने का वादा किया है।
हकीकत जाननी चाहिए:
21 नवंबर को राजस्थान के प्रमुख अखबारों में कांग्रेस की ओर से एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया है। इस विज्ञापन में लिखा गया है कि अगर गलत वोट पड़ गया तो 25 लाख रुपए का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा बंद हो जाएगा। यानि राजस्थान की जनता ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया तो भाजपा सरकार बनने पर स्वास्थ्य बीमा की यह योजना बंद हो जाएगी। कांग्रेस का प्रचार डिजाइन बॉक्स कंपनी कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस कंपनी के पदाधिकारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना की हकीकत पता नहीं है। सरकारी अस्पतालों में तो चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का कोई मतलब नहीं है। जबकि निजी अस्पतालों में इस योजना से परहेज किया जाता है। डिजाइन बॉक्स कंपनी को लगता है कि जिन व्यक्तियों के पास इस योजना का कार्ड है उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में 25 लाख रुपए तक का फ्री इलाज हो रहा है। जबकि हकीकत इस योजना के कार्ड धारकों को प्रदेश के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में प्रवेश ही नहीं दिया जाता। सरकार के डंडे के डर की वजह से कुछ अस्पतालों ने योजना का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन सुविधा नहीं दी जाती। अस्पतालों के मालिक इस योजना के व्यक्तियों के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। रोग की जांच के नाम पर पहले ही हजारों रुपया वसूल लिया जाता है। इस योजना में प्राथमिक जांच का कोई प्रावधान नहीं है। जो डॉक्टर 800 रुपए की फीस लेता है, उसकी फीस इस योजना में मात्र 150 रुपए निर्धारित की गई है। एक हजार रुपए योजना में मरीज की भर्ती और दवाई देने के आदेश हैं। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों के मालिक इस योजना में किसी भी प्रकार का इलाज नहीं करते हैं। जिन व्यक्तियों के पास इस बीमा योजना का कार्ड है, उन्हें अच्छी तरह पता है कि प्रमुख प्राइवेट अस्पतालों में फ्री का इलाज नहीं होता। ऐसे में गहलोत सरकार की यह योजना बंद भी हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह बात अलग है कि भाजपा की केंद्र सरकार आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना में पांच लाख रुपए तक फ्री इलाज करवा रही है। भाजपा ने केंद्र की इस योजना के दायरे को और बढ़ाने का वादा किया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2023)
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