Thursday 23 November 2023

अजमेर के तीन विधानसभा क्षेत्र उत्तर, पुष्कर और मसूदा में एम फेक्टर।नसीराबाद में शिवराज पलाड़ा ने चुनाव को रोचक बनाया।

अजमेर जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम फैक्टर प्रभावित है। अजमेर उत्तर में सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह होने के कारण मुस्लिम मतदाताओं की खासी संख्या है। आमतौर पर मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाता है, लेकिन संभवत: यह पहला मौका होगा, जब ख्वाजा साहब की दरगाह की धार्मिक रस्मों से जुड़े कुछ पदाधिकारियों ने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता के समर्थन में वोट देने का आह्वान किया है। दरगाह के दखल की वजह से यह आव्हान अब चुनावी मुद्दा भी बन गया है। हालांकि मुस्लिम मतदाताओं पर भाजपा के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञानचंद सारस्वत भी अपना हक जमा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी रलावता के समर्थकों का दावा है कि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेंगे। उत्तर क्षेत्र में इस बार मुस्लिम मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पुष्कर में तो लगातार चार बार से श्रीमती नसीम अख्तर को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। इस उम्मीदवारी के पीछे भी मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी संख्या होना है। अजमेर उत्तर में जिन मुस्लिम नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया उनका नामांकन वापस करवा दिया गया। लेकिन पुष्कर में तीन मुस्लिम नेता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम मतों में विभाजन की आशंका बनी हुई है। श्रीमती अख्तर के परिवार का मुस्लिम मतदाताओं पर खास प्रभाव है। यहां पूर्व में भी रमजान खान विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस प्रत्याशी को यहां एकमुस्त मुस्लिम वोटों पर भरोसा है,  वहीं भाजपा प्रत्याशी सुरेश सिंह रावत अपने समुदाय के वोटों के प्रति आश्वस्त है। कांग्रेस प्रत्याशी को जहां बागी प्रत्याशी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती से खतरा है, वहीं भाजपा प्रत्याशी को आरएलपी के उम्मीदवार अशोक सिंह रावत से खतरा है। रावत का भी रावत समुदाय में अच्छा प्रभाव है। यानी पुष्कर में दोनों ही दलों को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। मसूदा से बसपा उम्मीदवार वाजिद चीता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के सामने संकट खड़ा कर रखा है। मसूदा में भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है। चीता मेहरात समुदाय के अधिकांश मुस्लिम मतदाता वाजिद चीता के साथ बताए जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के उम्मीदवार राकेश पारीक को मुस्लिम मतदाताओं के वोट मिलने की उम्मीद है, लेकिन वाजिद चीता ने अपनी पकड़ को मजबूत किया है। यहां भाजपा के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह कानावत को स्थानीय होने का लाभ मिल रहा है। यदि वाजिद चीता मुसलमानों के वोट प्राप्त करने में सफल रहे तो फिर कांग्रेस के उम्मीदवार के सामने बड़ी चुनौती होगी।
 
नसीराबाद में रोचक स्थिति:
यूं तो नसीराबाद में भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप लांबा और कांग्रेस के शिव प्रकाश गुर्जर के बीच सीधा मुकाबला बताया जा रहा था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी शिवराज सिंह पलाड़ा ने चुनाव की जो रणनीति बनाई उसकी वजह से नसीराबाद में रौचक स्थिति हो गई है। बताया जा रहा है कि पलाड़ा के समर्थन में नसीराबाद के अधिकांश सरपंच, जिला परिषद के सदस्य और पंचायत समिति के सदस्य हैं। पलाड़ा की माता जी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा जिला प्रमुख है और उनके पिता भंवर सिंह पलाड़ा का नसीराबाद क्षेत्र में खास दबदबा है। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र वाले नसीराबाद में पलाड़ा ने घर घर दस्तक दी है। जिला प्रमुख के माध्यम से गांव में छोटे छोटे विकास कार्य करवाने का भरोसा भी पलाड़ा की ओर से दिलवाया जा रहा है। पलाड़ा ने प्रत्येक मतदाता से संपर्क भी किया है। पलाड़ा को मिलने वाले वोटों पर ही नसीराबाद में कांग्रेस और भाजपा की हार जीत होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-11-2023)

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