अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के बागी उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत का नामांकन वापस करवाने के लिए भाजपा के नेताओं ने पूरी ताकत लगा दी है। अजमेर के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत सारस्वत के घर गए तो बताया गया कि वे तीर्थ यात्रा पर हैं। गहलोत ने फोन पर भी संवाद करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। मीडिया कर्मियों से भी कहा जा रहा है कि सारस्वत अब 9 नवंबर को दोपहर तीन बजे बाद संवाद करेंगे। मालूम हो कि उम्मीदवारी का नाम वापसी का समय 9 नवंबर तक ही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सारस्वत से बात करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही। इस बीच सरस्वत ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि वे किसी भी हालत में नाम वापस नहीं लेंगे और विधायक बनकर उत्तर क्षेत्र की जनता की सेवा करेंगे। भाजपा के घोषित प्रत्याशी वासुदेव देवनानी भी प्रयासरत है कि सारस्वत किसी भी तरह नाम वापस ले लें। असल में सारस्वत की उम्मीदवारी से भाजपा को बड़ा खतरा हो गया है, भाजपा के रणनीतिकार भी मानते हैं कि सारस्वत की उम्मीदवारी से चुनाव परिणाम प्रभावित होगा। तीन बार के पार्षद ज्ञान सारस्वत की उत्तर क्षेत्र में खासी लोकप्रियता है। पार्षद के तौर पर उनकी भूमिका सर्वत्र प्रशंसा है। भाजपा के दूसरे बागी पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत पर नाम वापसी के लिए राजपूत समाज का ही दबाव है। असल में महेंद्र सिंह रलावता को कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद राजपूत नेताओं का मानना है कि समाज के वोटों में विभाजन नहीं होना चाहिए। हालांकि भाजपा के नेता भी शेखावत के नाम वापसी का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ज्यादा दबाव राजपूत समाज का है। रलावता की कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा से उत्तर क्षेत्र का मुकाबला और कड़ा हो गया है। 2018 में देवनानी और रलावता के बीच हार जीत का अंतर 8 हजार 600 वोटों का रहा। तब ज्ञान सारस्वत भाजपा के साथ थे। अब जब सारस्वत बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं तब परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। सारस्वत के समर्थकों का दावा है कि भाजपा -कांग्रेस की लड़ाई सारस्वत की जीत होगी। इस बार चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार रलावता ने भी पूरी ताकत लगा दी है। गत बार चुनाव हारने के बाद से ही रलावता पूरे पांच वर्ष क्षेत्र में सक्रिय रहे। जिसका फायदा अब रलावता को मिल रहा है। वहीं देवनानी को उम्मीद है कि हिंदुत्व की विचारधारा का वोट हमेशा की तरह उन्हें ही मिलेगा।
पायलट के दखल का इंतजार:
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। यहां गत दो बार के प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अधिकृत उम्मीदवार द्रौपदी कोली के सामने उम्मीदवारी की है। कांग्रेस की राजनीति में भाटी को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का समर्थक माना जाता है। इसलिए भाटी की नाम वापसी में पायलट के दखल का इंतजार किया जा रहा है। वहीं भाटी के समर्थकों का मानना है कि पार्टी ने बेहद कमजोर उम्मीदवार उतारा है, इसलिए हेमंत भाटी ही कांग्रेस के असली उम्मीदवार है। समर्थकों को उम्मीद है कि निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने की स्थिति में है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-11-2023)
पायलट के दखल का इंतजार:
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। यहां गत दो बार के प्रत्याशी हेमंत भाटी ने अधिकृत उम्मीदवार द्रौपदी कोली के सामने उम्मीदवारी की है। कांग्रेस की राजनीति में भाटी को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का समर्थक माना जाता है। इसलिए भाटी की नाम वापसी में पायलट के दखल का इंतजार किया जा रहा है। वहीं भाटी के समर्थकों का मानना है कि पार्टी ने बेहद कमजोर उम्मीदवार उतारा है, इसलिए हेमंत भाटी ही कांग्रेस के असली उम्मीदवार है। समर्थकों को उम्मीद है कि निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने की स्थिति में है।
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