21 अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, नाराज भाजपा के नेता नरेंद्र मीणा को मनाने में सफल हो गए हैं। नरेंद्र मीणा ने सलूंबर से घोषित भाजपा की प्रत्याशी श्रीमती शांति देवी मीणा के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। नरेंद्र मीणा के सैकड़ों समर्थक सड़कों पर भाजपा का विरोध कर रहे थे। सीएम शर्मा ने हवाई जहाज भेजकर नरेंद्र मीणा को जयपुर बुलाया और सत्ता में भागीदारी का आश्वासन दिया। सीएम शर्मा से मुलाकात के बाद नरेंद्र मीणा ने सलूंबर में भाजपा को जिताने की बात कही। झुंझुनूं और रामगढ़ में भी जो बगावत हो रही है उस पर भी जल्द नियंत्रण पा लिया जाएगा। सीएम शर्मा ने अपनी चतुराई से नाराज नेताओं से संपर्क साध रखा है। मालूम हो कि शर्मा 20 अक्टूबर को ही जर्मनी और इंग्लैंड की यात्रा से लौटे हैं। दिसंबर में होने वाले राइजिंग राजस्थान के तीन दिवसीय सम्मेलन को सफल बनाने में सीएम शर्मा अब तक दो बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। 21 अक्टूबर को ही जयपुर में अमेरिका के राजदूत ने भी सीएम से मुलाकात की। विदेश यात्रा से लौटने पर शर्मा का लगातार स्वागत सत्कार हो रहा है। सीएम शर्मा जो राजनीतिक कार्य कुशलता दिखा रहे है उससे भाजपा के उन नेताओं को सबक लेना चाहिए जो अभी तक भी इस मुगालते में है कि उनके बगैर काम नहीं चलेगा। कोई माने या नहीं, लेकिन यह हकीकत है कि जब किसी को मौका मिलता है तो वह अपनी कार्यकुशलता दिखाता ही है। राजस्थान भाजपा के नेता जो अभी भी मुगालते में है उन्हें समझना चाहिए कि मौका मिलने के कारण ही योग्यता दिखा सके। वैसे भी जो नेता एक बार राजनीति की पटरी से उतर जाता है उसको दोबारा से पटरी पर दौड़ना बहुत कठिन होता है। इस समय राजस्थान में मुख्य पटरी पर भजनलाल शर्मा ही दौड़ रहे हैं। यह बात अलग है कि गत वर्ष दिसंबर में जब शर्मा को अचानक मुख्यमंत्री बनाया था, तब अधिकांश नेताओं ने उनकी सफलता पर संदेह जताया था। क्योंकि शर्मा पहली बार विधायक बनकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए।
कांग्रेस गठबंधन में फूट:
राजस्थान में विधानसभा की सात सीटों के लिए 13 नवंबर को मतदान होना है। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर है। भाजपा ने जहां 6 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, वहीं कांग्रेस ने अभी तक एक भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। असल में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का जो गठबंधन बना उस में फूट पड़ गई है। भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने कांग्रेस से बात किए बगैर ही सलूंबर और चौरासी सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी, इसी प्रकार आरएलपी ने खींवसर और देवली पर अपना दावा जता दिया है। सहयोगी दलों के एक तरफा रुख को देखते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने घोषणा कर दी कि अब प्रदेश स्तर पर किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा और कांग्रेस ने सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस गठबंधन में जो फूट पड़ी है, उसका फायदा भाजपा को मिलेगा। जानकारों की माने तो कांग्रेस गठबंधन में फूट के पीछे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कूटनीति रही है। कांग्रेस के सहयोगी दलों के नेता सीएम शर्मा के संपर्क में है। यहां उल्लेखनीय है कि 7 में से 6 सीटों पर कांग्रेस और सहयोगी दलों के उम्मीदवार ही पिछला चुनाव जीते थे। अब यदि भाजपा को तीन चार सीटों पर जीत मिल जाती है तो भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का महत्व और बढ़ जाएगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-10-2024)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment