भारतीय समय के अनुसार 25 अक्टूबर की देर रात को इजरायल ने ईरान पर सौ लड़ाकू विमानों से बम गिराए हैं। ईरान की राजधानी तेहरान सहित पांच बड़े शहरों के सैन्य ठिकानों पर बम बरसाए गए। इजरायल और तेहरान के बीच दो हजार किलोमीटर की दूरी है, लेकिन इजरायल के विमानों ने लंबी उड़ान भर कर लक्ष्य के अनुरूप बम गिरा दिए। इजरायल ने फिलहाल ईरान के कथित परमाणु केंद्र और तेल भंडारों पर हमला नहीं किया। लेकिन इजरायल की ओर से कहा गया है कि यदि ईरान ने इजरायल पर फिर से हमला करने का प्रयास किया तो ईरान का हाल भी गाजा और लेबनान की तरह कर दिया जाएगा। इजरायल ने इस हमले को पूर्ण से सफल बताया है। हमले के बाद ईरान ने अपनी हवाई सेवाओं को रद्द कर दिया है। इस हमले से ईरान में जो आग की लपटें उठी है उसे देखकर ईरान की कट्टरपंथी सरकार तिल मिला गई है। मालूम हो कि हमास के चीफ की ईरान में हत्या के बाद एक अक्टूबर को ईरान ने इजरायल पर 200 मिसाइलें दागी थी। अब 26 दिन बाद इजरायल ने एक अक्टूबर वाले हमले का बदला लिया है। गंभीर बात यह है कि इजरायल ने ईरान पर तब हमला किया, जब रूस ने ईरान की मदद करने की घोषणा की थी। रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसूद ने भगा लिया, तब रूस के राष्ट्रपति ने डॉ. मसूद से कहा कि जब अमेरिका यूक्रेन को हथियार दे सकता है, तब रूस भी ईरान को सैन्य मदद करेगा। पुतिन की इस घोषणा से यह माना गया कि रूस ईरान की मदद कर अमेरिका को जवाब देगा। इजरायल की ताकत में अमेरिका भी शामिल है। तब यह उम्मीद जताई गई कि रूस की धमकी के बाद इजरायल ईरान पर हमला नहीं करेगा, लेकिन धमकी के दो दिन बाद ही इजरायल ने ईरान पर जोरदार हमला कर दिया है। अब यदि यहूदियों वाले इजरायल और मुसलमानों वाले ईरान की इस जंग में रूस भी शामिल होता है तो विश्व युद्ध तय है। यानी जो लड़ाई गाजा से शुरू हुई थी। वह रूस तक पहुंच रही है। दुनिया में अमेरिका रूस की सैन्य ताकतें है। भले ही यह दोनों महाशक्तियां आमने सामने लड़ाई न लड़ रही हो, लेकिन यूक्रेन के पीछे अमेरिका और ईरान के पीछे रूस खड़ा है। अब यदि ईरान जवाबी कार्यवाही करता है तो इसमें रूस की ताकत भी शामिल होगी।
भारत के लिए अच्छा नहीं:
रूस की मदद से यदि ईरान, इजरायल पर हमला करता है तो यह भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। भारत ने अभी तक अमेरिका और इजरायल के साथ साथ रूस और ईरान के साथ मित्रता का संतुलन बनाए रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच दोस्ती किसी से भी छिपी नहीं है। इजरायल ने जब लेबनान हमला किया था, तब भारत ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही होनी ही चाहिए। भारत ने यह प्रदर्शित किया कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर इजरायल के साथ खड़ा है। हाल ही में रूस में जो ब्रिक्स सम्मेलन हुआ, उस में राष्ट्रपति पुतिन और नरेंद्र मोदी के बीच दोस्ती को पूरी दुनिया ने देखा। ब्रिक्स सम्मेलन में आए सभी राष्ट्राध्यक्षों के मुकाबलों में पुतिन ने सबसे ज्यादा तवज्जो मोदी को दी। ईरान के साथ भी भारत के कारोबारी संबंध है। यदि इजरायल और ईरान की जंग और फैलती है तो इसका खामियाजा भारत को भी उठाना पड़ेगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-10-2024)
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