सब जानते हैं कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी लंबे समय से आरोप लगा रहे हैं कि चीन ने लद्दाख सीमा पर भारत की भूमि पर कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी का यहां तक कहना था कि यदि केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती तो दो दिन में चीनी सेना को भगा दिया जाता। राहुल गांधी चीनी कब्जे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते रहे। लेकिन अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने घोषणा की है कि पूर्वी लद्दाख में एलसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर अप्रैल 2020 की यथा स्थिति बनाने के लिए चीन के साथ सहमति बन गई। अब इस हजारों किलोमीटर की सीमा पर दोनों देश पहले की तरह गश्त करेंगे। गश्त के दौरान जवानों का स्थायी ठहराव नहीं होगा। भारत की भूमि पर चीन ने कब्जा किया या नही यह तो राहुल गांधी ही जाने, लेकिन जिन कारणों से लद्दाख सीमा पर तनाव था वह अब खत्म हो गया है। चीन अब अप्रैल 2020 की स्थिति को बनाए रखने में सहमत हो गया है। भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच यह सहमति तब बनी है, जब रूस में 21 अक्टूबर से शुरू हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो रही है। दोनों देश चाहते हैं कि सीमा पर कोई तनाव नहीं हो। जानकारों का मानना है कि सीमा पर हुए समझौते के बाद नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण में संवाद हो सकेगा। सूत्रों के अनुसार भारत की यह कूटनीति रही है कि चीन को पूर्वी लद्दाख में आत्मसमर्पण करवाया है। आमतौर पर चीन पड़ोसी देशों के साथ कड़ा रवैया अपनाया है। लेकिन चीन ने लद्दाख की सीमा पर भारत के साथ नरम रुख दिखाया है। चीन के साथ सीमा पर जो सहमति बनी है उस पर अब राहुल गांधी को प्रतिक्रिया देना चाहिए। मौजूदा समय में राहुल गांधी लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका भी निभा रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी की प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है। आमतौर पर राहुल गांधी भारत को कमजोर बताने की बातें करते हैं, लेकिन आज दुनिया भारत को मजबूत देश मानती हैं।
फारुख अब्दुल्ला के सुर बदले:
कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए जो फारुख अब्दुल्ला पाकिस्तान से वार्ता करने की बात कहते रहे, वही फारुख अब्दुल्ला अब कह रहे है कि यदि कश्मीर में आतंकी घटनाएं होती रही तो पाकिस्तान से वार्ता का कोई मतलब नहीं है। बदली हुई परिस्थितियों में फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि कश्मीर में आतंकी घटनाएं बंद हो जाने के बाद ही पाकिस्तान से वार्ता की जानी चाहिए। मालूम हो कि फारुख अब्दुल्ला लंबे समय तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे और मौजूदा समय में उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री है। फारुख अब्दुल्ला का बदला हुआ रुख बताता है कि अब कश्मीर मुद्दे पर भारत की स्थिति और मजबूत हो रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-10-2024)
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