अजमेर जिले का पहला ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट 17 मई को आदर्श नगर स्थित राजकीय सैटेलाइट अस्पताल में शुरू हो गया है। अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर राकेश पोरवाल ने बताया कि प्लांट से उत्पादित ऑक्सीजन को सिलेंडरों में भरने का ट्रायल पूरी तरह सफल रहा है। संभवत: 18 मई से प्लांट के ऑक्सीजन से कोविड मरीजों का इलाज शुरू हो जाएगा। इससे अब अस्पताल में एक साथ 60 कोविड मरीजों का इलाज संभव होगा। उन्होंने बताया कि कोई एक करोड़ रुपए की लागत का यह प्लांट रेडक्रॉस समिति की पहल से अजमेर को नि:शुल्क प्राप्त हुआ है। प्लांट एक कंटेनर में पूरा तैयार होकर आया है। अस्पताल परिसर में सिर्फ कंटेनर नुमा प्लांट को स्थापित किया गया है। यही वजह है कि प्लांट के आने के बाद एक सप्ताह में ही ऑक्सीजन बनना शुरू हो गया है। प्लांट को जल्द से जल्द स्थापित करवाने में जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कलेक्टर ने सभी विभागों में तालमेल करवाकर एक सप्ताह में ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू करवा दिया। कलेक्टर के लिए भी यह बड़ी उपलब्धि है कि जिले का यह पहला प्लांट है। इस प्लांट से प्रतिदिन 100 सिलेंडरों में ऑक्सीजन भरी जा सकेगी। अब जब प्रशासन ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है तो प्रशासन को निजी अस्पतालों को उनकी क्षमता के अनुरूप उपयोग करने की योजना भी बनानी चाहिए। संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में अभी भी संक्रमित मरीजों को भर्ती होने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। जबकि वहीं निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है। यदि इन निजी अस्पतालों को अनुमति दी जाए तो सरकारी अस्पतालों पर दबाव कम हो सकता है। जिले के ऐसे अनेक निजी अस्पताल हैं, जिनके पास वेंटीलेटर तक की सुविधा है। प्रशासन को निजी अस्पतालों के उपयोग में ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी। यह माना कि अजमेर में भी ऑक्सीजन की किल्लत है। लेकिन प्रशासन ने जिस प्रकार इंग्लैंड से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट मंगवाया, उसी प्रकार जिले के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था भी करवाई जा सकती है। ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने की वजह से अजमेर के अनेक निजी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। ऐसे में परिजन को जयपुर या अन्य बड़े शहरों में भागना पड़ता है। अब जब ऑक्सीजन का ऑडिट की व्यवस्था है तो निजी अस्पतालों को भी ऑक्सीजन उपलब्ध कराकर कोविड मरीजों का इलाज करवाना चाहिए। प्रशासन ने जो सहानुभूति कोटड़ा स्थित आरएस अस्पताल के मामले में दिखाई है, वैसा ही सकारात्मक रुख गेगल स्थित जीडी बढाया अस्पताल के प्रति भी दिखाना चाहिए। इस अस्पताल में 100 कोविड मरीजों के इलाज की सुविधा है, लेकिन पिछले दिनों ऑक्सीजन के उपयोग में गड़बड़ी पाए जाने पर प्रशासन ने कोविड मरीजों के इलाज करने पर रोक लगा दी थी। ऑक्सीजन की गड़बड़ी को लेकर ही आरएस अस्पताल को नोटिस दिया गया था, लेकिन प्रशासन ने इस अस्पताल को ऑक्सीजन की सप्लाई जारी रखी है। प्रशासन चाहे तो शर्तों के अनुरूप जीडी बढाया अस्पताल को फिर से कोविड मरीजों के इलाज की अनुमति दे सकता है। चूंकि अभी मरीजों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है, इसलिए निजी अस्पतालों के उपयोग में उदारता बरती जानी चाहिए। निजी अस्पतालों का भी यह दायित्व है कि वे कोरोना काल में जरूरतमंद मरीजों का इलाज सेवा की भावना से करें। इलाज के नाम पर लूट खसोट नहीं होनी चाहिए, यदि जिलेभर के निजी अस्पतालों के वेंटिलेटर का उपयोग हो जाए तो अजमेर जिले में संक्रमित मरीजों को इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। इस मामले में कलेक्टर राजपुरोहित को सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (17-05-2021)
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