Tuesday 28 May 2024

रिछपाल मिर्धा, लालचंद कटारिया, महेंद्रजीत मालवीय जैसे नेता गद्दार और नाकारा है तो फिर खुद गहलोत क्या है?गहलोत ने तो मुख्यमंत्री रहते हुए गांधी परिवार के साथ विश्वासघात किया।सचिन पायलट अब कैसे नेता है, यह बात भी गहलोत को बताना चाहिए।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने 27 मई को जयपुर में पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से कहा कि चुनाव से पहले कांग्रेस के जिन नेताओं ने पार्टी छोड़ी वह सब गद्दार और नाकारा हैं। ऐसे नेताओं को जनता कभी भी माफ नहीं करेगी। मालूम हो कि लोकसभा चुनाव से पहले जाट समुदाय के प्रमुख नेता रिछपाल मिर्धा, लालचंद कटारिया के साथ साथ आदिवासी समाज के प्रभावशाली नेता महेंद्र जीत सिंह मालवीय ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। मालवीय को बांसवाड़ा डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार भी है। यानी गहलोत की नजर में मिर्धा, कटारिया और मालवीय जैसे नेता गद्दार और नाकारा है। गहलोत आज इन नेताओं को गद्दर बता रहे है, जबकि सब जानते हैं कि 25 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ विश्वासघात किया था। उस समय गहलोत को कांग्रेस का  राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा था और राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। उस समय श्रीमती सोनिया गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष थी और उनकी निर्देश पर मल्लिकार्जुन खडग़े और अजय माकन पर्यवेक्षक बनकर जयपुर आए थे। कांग्रेस विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर रखी गई थी, लेकिन अशोक गहलोत ने कांग्रेस के विधायकों की सामानांतर बैठक अपने भरोसेमंद मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर बुला ली। ऐसे में सोनियागांधी वाली बैठक फेल हो गई। इतना ही नहीं जो 90 विधायक धारीवाल के घर पर एकत्रित हुए उन्होंने अशोक गहलोत के समर्थन में अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को सौंप दिए। जिन अशोक गहलोत ने कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया, आज वही गहलोत मिर्धा, कटारिया और मालवीय जैसे नेताओं को गद्दार कह रहे हैं।
 
गहलोत अब पायलट को कैसा नेता मानते हैं:
गहलोत ने कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं को तो गद्दार कह दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अब उनकी नजर में कैसे नेता है। मालूम हो कि पायलट अगस्त 2020 में जब 18 विधायकों के साथ दिल्ली चले गए थे, तब गहलोत ने पायलट को भी गद्दार, नाकारा, धोखेबाज, मक्कार आदि कहा था। हालांकि दिल्ली से लौटने के बाद पायलट ने गहलोत को ही समर्थन दिया और आज तक कांग्रेस के साथ है। पायलट ने पार्टी के साथ जो वफादारी दिखाई उसी का परिणाम है कि पायलट मौजूदा समय में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं और उनके पास छत्तीसगढ़ का प्रभार भी है।  पायलट ने कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर लोकसभा चुनाव में देशभर में कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया है, लेकिन गहलोत ने अभी तक भी पायलट के संबंध में बोले गए शब्द वापस नहीं लिए हैं। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि मिर्धा, कटारिया और मालवीय जैसे नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर अपनी स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। लेकिन अशोक गहलोत ने तो पार्टी के अंदर हर कर विश्वासघात किया है। अच्छा होता कि दूसरों को गद्दार कहने से पहले अशोक गहलोत अपने गिरेबान में झांक लेते । 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-05-2024)
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