Thursday, 30 January 2025

आँखों देखा महाकुंभ भाग-4 विपक्ष तो जैसे महाकुंभ में हादसे के इंतजार में ही बैठा था। एक दिन में 8 करोड़ लोगों के स्नान का इंतजाम करना आसान नहीं। घर में 8 लोगों का इंतजाम करना मुश्किल होता है। हम रामलला का आशीर्वाद लेकर पहुंचे थे महाकुंभ में।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में 28 जनवरी की रात को करीब एक बजे भगदड़ हुई तो रात को ही विपक्षी दलों के नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए। ऐसा लगा कि जैसे विपक्ष के नेता खासकर कांग्रेस, सपा और टीएमसी के नेता तो महाकुंभ में हादसे के इंतजार में ही बैठे थे। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन से शुरू हुई थी और तभी से करोड़ों लोग महाकुंभ में स्नान करने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे थे। 16 दिनों तक कुंभ में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। मकर संक्रांति पर भी साढ़े तीन करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर स्नान कर पुण्य प्राप्त किया। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की सरकार को पता था कि 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु एकत्रित होंगे। इसके लिए माकूल इंतजाम भी किए गए थे, लेकिन 28 जनवरी की रात को अनेक श्रद्धालु संगम घाट के किनारे सो गए। इसकी वजह से भीड़ पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो गया। हो सकता है कि मेला क्षेत्र में कुछ अधिकारियों की लापरवाही भी रही हो,लेकिन जब एक स्थान पर 8 से 10 करोड़ लोग एकत्रित हो तो अच्छे अच्छे इंतजाम विफल हो जाते हैं। लेकिन विपक्ष को तो भगदड़ के बाद आलोचना करने का सुनहरा अवसर मिल गया। जिस तरह कांग्रेस और सपा के नेताओं ने हादसे के तुरंत बाद केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना की उस में जाहिर था कि विपक्ष के नेता हादसे का इंतजार कर रहे थे। यह माना कि जिन 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई उनके परिवार के सामने दुखद माहौल हे। भविष्य में ऐसे हादसों से बचना चाहिए, लेकिन प्रबंधन के इस तथ्य को भी स्वीकार करना चाहिए कि भगदड़ की घटना के एक घंटे बाद हालातों पर नियंत्रण पा लिया गया। प्रशासन ने संगम घाट पर श्रद्धालुओं के स्नान को जारी रखा। विपक्ष के नेता माने या नहीं, लेकिन प्रशासन ने बगैर कोई हड़ बड़ी दिखाए हालातों को सामान्य किया। कोई प्रशासन अनुशासन के कितने भी नियम लागू कर दें, लेकिन जब करोड़ों लोग एक स्थान पर जमा होते हैं तो ऐसे नियम टूट ही जाते हैं। बीच रास्ते में सो रहे लोगों को उठाने के लिए प्रशासन की ओर से बार बार अपील की गई। इसे महाकुंभ क्षेत्र के प्रशासन की समझदारी ही कहा जाएगा कि भगदड़ के बाद भी साधु संतों के अखाड़ों का शाही स्नान करवाया गया। यानी महाकुंभ की जो परंपरा रही उनका भी निर्वाह करवाया गया। आलोचना करना तो आसान है, लेकिन 8 करोड़ लोगों का प्रबंधन आसान नहीं है। घर में जब 8 मेहमान आ जाते हैं तो इंतजाम करना मुश्किल हो जाता है। प्रयागराज के प्रशासन ने तो 8 करोड़ लोगों का प्रबंध किया है। रामलला का आशीर्वाद: मेरी महाकुंभ की यात्रा के संदर्भ में पाठकों के समक्ष यह चौथा भाग है। यानी मैंने अब तक यात्रा के तीन ब्लॉग लिख दिए हैं। मैं यहां बताना चाहता हूं कि हमारे समूह की महाकुंभ की यात्रा 23 जनवरी को अजमेर के निकट किशनगढ़ एयरपोर्ट से शुरू हुई थी। स्टार लाइन का हवाई जहाज दोपहर 12:30 बजे उड़ा और 2 बजे लखनऊ एयरपोर्ट पहुंच गया। मुझे इस बात की खुशी रही कि उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली पत्रकार सचिन मुदगल ने हमारे समूह के सदस्यों का स्वागत किया। लखनऊ एयरपोर्ट से हम मोटर वाहन के जरिए सीधे अयोध्या स्थित राम मंदिर पहुंचे। राम मंदिर में प्रवेश को सुगम बनाने में सचिन मुदगल ने प्रभावी भूमिका निभाई, इसलिए हमने मंदिर परिसर में रामलला के दर्शन बहुत सुगमता के साथ किए। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से हमारी भी जांच पड़ताल हुई और मंदिर के नियमों के मुताबिक विभिन्न रजिस्टरों में नामों की एंट्री भी की गई। हालांकि महाकुंभ के श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव 23 जनवरी को भी अयोध्या में देखा गया, लेकिन तब भीड़ जरूरत से ज्यादा नहीं थी, इसलिए हमने बहुत निकट से भगवान राम के बालरूप के दर्शन किए। मुझे ऐसा आभास हुआ कि भगवान राम मेरे सामने बालरूप में खड़े हैं और आशीर्वाद दे रहे हैं। मेरे सहित समूह के कई सदस्यों की आंखों में आंसू भी आ गए। हमने जी भर कर रामलला के दर्शन किए। किसी भी सदस्य का मन रामलला से हटने का नहीं था, लेकिन मंदिर परिसर में भीड़ को देखते हुए हमने बाहर आने का निर्णय लिया। चूंकि हम पहले से ही बुकिंग कराकर गए थे, इसलिए हमें मंदिर के निकट ही रामभद्राचार्य आश्रम में ठहरने की सुविधा मिल गई। हमने रात को ही हनुमानगढ़ी में हनुमान प्रतिमा के दर्शन किए और 24 जनवरी की सुबह सुबह सरयू नदी की पूजा अर्चना भी की। 24 जनवरी को सुबह पांच बजे जब हम आश्रम से बाहर निकले तो घना कोहरा था। पूरी अयोध्या नगरी कोहरे में डूबी हुई थी। लेकिन इसे रामलला का आशीर्वाद ही कहा जाएगा कि हम सभी सदस्य सुरक्षित तरीके से प्रयागराज पहुंच गए। हमें मोटर वाहनों की भीड़ का सामना प्रयागराज में भी करना पड़ा। 25 जनवरी को सुबह पांच बजे जब हम संगम घाट पर स्नान के लिए जा रहे थे, तब हमें भी जाम की स्थिति का सामना करना पड़ा। 28 जनवरी की रात को हुई भगदड़ के बाद हमें अब अहसास हो रहा है कि 25 जनवरी को सुबह हमारे साथ रामलला का आशीर्वाद रहा। 25 जनवरी को सुबह के हालातों के बारे में मैंने भाग एक और दो में विस्तार के साथ लिखा है। चूंकि मेरा सनातन धर्म से अटूट विश्वास है, इसलिए मुझे देवी देवताओं के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा है। मेरे साथ महाकुंभ की यात्रा में एवीवीएनएल के पूर्व एमडी वीसी भाटी,चंदीराम शोरूम के मालिक रमेश चंदीराम, समाजसेवी सुभाष काबरा, महाकाल कुल्फी के मालिक राजेश मालवीय, व्यवसायी बनवारी लाल डाड, रमेश काबरा और उनकी पत्नियां साथ थी। S.P.MITTAL BLOGGER (30-01-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

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