Thursday, 30 January 2025

अपराधियों को सबक सिखाने के लिए पुलिस को खुली छूट, इसलिए राजस्थान में गत वर्ष 20 हजार एफआईआर कम हुई। राजस्थान की कानून व्यवस्था पर एनडीटीवी का सार्थक विमर्श।

28 जनवरी की रात 8 बजे एनडीटीवी (राजस्थान) पर कानून व्यवस्था को लेकर लाइव बहस हुई। इस बहस में मेरे अलावा अजमेर में पुलिस अधीक्षक रहे जगदीश चंद्र शर्मा, सोशल एक्टिविस्ट निशा सिधू व वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया थे। प्रोग्राम की एंकरिंग शुभेंद्र सिंह बघेल ने की। प्रोग्राम में बताया गया कि कांग्रेस के शासन में वर्ष 2023 में 3 लाख 17 हजार एफआईआर दर्ज हुई, जबकि भाजपा के शासन में वर्ष 2024 में 2 लाख 97 हजार मुकदमे दर्ज किए गए। यानी वर्ष 23 के मुकाबले में 24 में 20 हजार एफआईआर कम दर्ज हुई। मेरा काना रहा कि कांग्रेस के शासन में पुलिस का राजनीतिकरण हो गया था, इसलिए अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो सका। अब जब अपराधियों के जुलूस सरेआम निकाले जा रहे है और अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चल रहे हैं तो अपराधियों में भय व्याप्त हुआ है। इसलिए अपराध की घटनाओं में कुछ कमी हुई है, लेकिन अपराधियों के खिलाफ अभी और सख्त कार्यवाही की जाने की जरूरत है। पूर्व आईपीएस जगदीश चंद्र शर्मा ने यह तो नहीं माना कि कांग्रेस के शासन में पुलिस का राजनीतिकरण हो गया था, लेकिन उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया मौजूदा शासन व्यवस्था में पुलिस को अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करने की खुली छूट है। उन्होंने कहा कि जब पुलिस के अधिकारी अपने विवेक से अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं तो इसके परिणाम भी अच्छे आते है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चौटिया ने कहा कि कांग्रेस के शासन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार को बचाने के लिए विधायकों को खुली छूट दे दी थी। सरकार को समर्थन देने वाला हर विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्वयं को मुख्यमंत्री समझता था। विधायकों की सिफारिशों पर ही इंस्पेक्टर, डीएसपी और एसपी तक की नियुक्ति होती थी। विमर्श में सोशल एक्टिविस्ट निशा सिद्धू ने कहा कि कांग्रेस के शासन में फ्री रजिस्ट्रेशन पर जोर दिया गया, इसलिए वर्ष 2023 में ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से पहले किसी अपराधी के हाथ पैर तोड़ने और फिर सरेआम जुलूस निकालना उचित नहीं है। देश की न्याय व्यवस्था में जब अपराधी को सजा देने का प्रावधान है, तब पुलिस को मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। निशा सिद्धू के जवाब पर मेरा कहना था कि अपराधियों के साथ सहानुभूति जताने की जरूरत नहीं है। समाज में जब अपराधियों के मन में कानून का भय होना, सभी अपराधों में कमी आएगी। S.P.MITTAL BLOGGER (29-01-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

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