Tuesday 12 January 2021

कोरोना वैक्सीन का दिल्ली पहुंचना देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। 16 जनवरी से देशभर में स्वास्थ्य कर्मियों को लगेंगे टीके।तीन करोड़ टीके 600 करोड़ रुपए में खरीदे हैं केन्द्र की मोदी सरकार ने।

12 जनवरी को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट से कोरोना वैक्सीन निकल कर दिल्ली पहुंच गई है। अब 16 जनवरी से देशभर में स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाएं जाएंगे। भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, जिसने कोरोना की वैक्सीन तैयार की है। जो देश वैक्सीन तैयार नहीं कर सके, वो अब भारत की ओर देख रहे हैं। वैक्सीन तैयार करने में हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत रही है। लेकिन इसके पीछे सरकार की भी भूमिका होती है। वैज्ञानिकों को संसाधन उपलब्ध करवाने में सरकार की ही भूमिका होती है। पूरा देश जानता है कि वैज्ञानिकों की हौंसला अफजाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। राजनीतिक स्वार्थों की वजह से कोई चाहे जितनी भी निंदा करें, लेकिन पीएम मोदी ने कोरोना काल में देशवासियों को सुरक्षित रखने में रात और दिन मेहनत की। भारत ने जो उपाय किए, उसकी प्रशंसा दुनिया भर में हुई है और वैक्सीन भी तैयार कर भारत ने दुनिया को बता दिया है, हम अमरीका, इंग्लैंड, जापान जैसे विकसित देशों से पीछे नहीं है। चूंकि पहले चरण में तीन करोड़ हैल्थ वकर्स को वैक्सीन लगनी है, इसलिए सरकार ने 600 करोड़ रुपए का भुगतान कर तीन करोड़ डोज खरीदे हैं। एक डोज की कीमत 200 रुपए है। इस पर 10 प्रतिशत जीएसटी भी देय है। प्रदेशों में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से हेल्थवकर्स को कोरोना का टीका फ्री में लगाया जाएगा। इसमें निजी क्षेत्र के चिकित्साकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि देश में कोरोना वायरस का असर अब बहुत कम हो गया है, लेकिन वायरस को जड़ से समाप्त करने के लिए वैक्सीन की जरुरत है, इसलिए चिकित्सकों की राय है कि देश के हर नागरिक को वैक्सीन का टीका लगवाना चाहिए। कोरोना काल में जो व्यक्ति संक्रमित नहीं हुए हैं उन्हें भी टीका लगवाना जरूरी है। चिकित्सकों का मानना है कि यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति टीका नहीं लगवाता है उसे संक्रमित होने का डर बना रहेगा। हालांकि बाजार में अभी कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन यदि बाजार में भी एक डोज की कीमत 200 रुपए रहती है जो करोड़ों लोग अपने खर्चे से टीका लगवा सकते हैं। इससे सरकार को भी राहत मिलेगी। आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों के सदस्यों को नि:शुल्क टीका लगवाने में सरकार को ही भूमिका निभानी चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, इसलिए राज्यों को अपने लोगों को टीका लगाने का दायित्व निभाना चाहिए। कोरोना काल में राज्यों ने कोरोना टेस्ट का खर्चा स्वयं उठाया है। टेस्ट के किट खरीदने हों या फिर टेस्टिंग का खर्च सभी खर्च राज्यों ने वहन किए हैं। टीका कारण में भी राज्यों की ऐसी ही भूमिका सामने आनी चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (12-01-2021)
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