अजमेर नगर निगम के 80 वार्डों के चुनाव आगामी 28 जनवरी को होने हैं। इसके लिए उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि 15 जनवरी थी। लेकिन 16 जनवरी को भी कांग्रेस का कोई भी नेता उम्मीदवारों की अधिकृत सूची देने में असमर्थ रहा। निवर्तमान शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन का तो कहना रहा कि उनके पास उम्मीदवारों की अधिकृत सूची नहीं है। अब नामांकन पत्रों की जांच के बाद ही निर्वाचन कार्यालय बताएगा कि अजमेर में किस वार्ड से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन है। असल में चुनाव प्रभारियों ने उम्मीदवारों के सिंबल सीधे निर्वाचन अधिकारी को दे दिए। भाजपा का आरोप है कि 15 जनवरी को देर रात तक कांग्रेस के सिंबलों में हेरफेर होता रहा। हालांकि सिंबल जमा कराने का समय भी 15 जनवरी को दोपहर 3 बजे तक का ही था, लेकिन कांग्रेस ने अभी भी उम्मीदवारों के सिंबल को लेकर गफलत बनी रही। हालांकि शहर कांग्रेस कमेटी अभी भंग है, लेकिन निवर्तमान कमेटी पर सचिन पायलट के समर्थकों का ही कब्जा है। शहर अध्यक्ष विजय जैन भी पायलट के समर्थक हैं। इसी प्रकार गत विधानसभा चुनावों में उत्तर और दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवारों में महेन्द्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी भी पायलट के समर्थक हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जो पर्यवेक्षक नियुक्त किए उन्होंने पायलट समर्थक नेताओं से भी उम्मीदवारों की सूची मांगी थी, लेकिन उम्मीदवारों का चयन चुनाव प्रभारियों ने अपने नजरिए से किया। इसलिए अजमेर के किसी भी नेता को यह पता नहीं चला कि अधिकृत उम्मीदवार कौन है। अब जब निर्वाचन विभाग ने सूची जारी की है, तभी पता चल रहा है कि अधिकृत उम्मीदवार कौन है। जिस तरह उम्मीदवारों का चयन हुआ है, उससे महेन्द्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी भी संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के नेताओं को प्रदेश में अपनी सरकार होने का फायदा मिल रहा है। गड़बड़ी को देखते हुए ही भाजपा के नेताओं को देर रात को निर्वाचन कार्यालय जाना पड़ा। कांग्रेस की खींचतान का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि मुस्लिम बहुल्य वार्ड संख्या 11, 12 और 13 में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार ही खड़े नहीं किए हैं। कांग्रेस ने इन तीनों वार्डों को खुला छोड़ा है। इससे इन क्षेत्रों में सक्रिय कांग्रेस के नेताओं में नाराज़गी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि उम्मीदवार नहीं उतारने से संगठन को नुकसान होगा। वहीं कांग्रेस के रणनीति कारों का कहना है कि मुस्लिम बहुल्य वार्डों से कई दावेदार थे, इसलिए संगठन ने कोई जोखिम नहीं उठाया। जो भी उम्मीदवार पार्षद बनेगा वह कांग्रेस में ही आएगा।
भाजपा में भी बगावत:
कांग्रेस में जहां नेताओं के बीच जबर्दस्त खींचतान है, वहीं भाजपा में भी बगावत है। अनेक वार्डों में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। अब भाजपा नेताओं का प्रयास है कि बागी उम्मीदवारों से नामांकन वापस करवाया जाए। यही वजह है कि बड़े नेता बागी उम्मीदवारों के घर जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 19 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।
भाजपा में भी बगावत:
कांग्रेस में जहां नेताओं के बीच जबर्दस्त खींचतान है, वहीं भाजपा में भी बगावत है। अनेक वार्डों में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। अब भाजपा नेताओं का प्रयास है कि बागी उम्मीदवारों से नामांकन वापस करवाया जाए। यही वजह है कि बड़े नेता बागी उम्मीदवारों के घर जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 19 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-01-2021)
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