Wednesday 13 October 2021

काश! सेना के पांच जवानों की शहादत पर भी अरदास हो।लखीमपुर में चार युवाओं की मौत पर कोई आँसू नहीं बहा रहा।प्रियंका गांधी को सिक्खों के नरसंहार के पोस्टर दिखाए गए।

12 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में अरदास का एक बड़ा आयोजन हुआ। दावा किया जारहा है कि इसमें एक लाख किसानों और ग्रामीणों ने भाग लिया। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि विगत दिनों चार किसानों की मौत पर सिर्फ परंपरा के अनुरूप अरदास का प्रोग्राम रखा गया है। इस प्रोग्राम में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं ने भी भाग लिया। किसी भी व्यक्ति के निधन पर प्रार्थना सभा या अरदास का आयोजन करने में कोई बुराई नहीं है। ऐसे आयोजन मृतक की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं। भारतीय किसान यूनियन ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए अरदास का बड़ा आयोजन कर एक अच्छी पहल की है। उम्मीद है कि किसान यूनियन इस पहल को जारी रखेगी। 11 अक्टूबर को ही आतंकियों ने कश्मीर में हमारी सेना के पांच जवानों को शहीद कर दिया। आतंकियों ने पहले धोखे से जवानों को बुलाया और फिर गोली मार दी। शहीद होने वाले जवानों के नाम जसविंदर सिंह, सरज सिंह, गज्जन सिंह, मनदीप सिंह और विशेख एच है, पांच में से चार जवान सिक्ख समुदाय से जुड़े हैं, इनमें से तीन पंजाब के रहने वाले हैं। इन जवानों शहीद तब किया गया, जब वे देश की रक्षा कर रहे थे। हमारे जवान देश की रक्षा इसलिए करते हैं, भारत के नागरिक सुरक्षित रहे। जवानों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कुछ लोग देश की मुख्य सड़कों पर बैठ कर रास्ता जाम करते हैं। जवानों का मकसद तो अपने सभी देशवासियों को महफूज रखना होता है। नागरिकों को कोई नुकसान न हो, इसलिए वे सीमा पर सीना तानकर खड़े रहते हैं। कश्मीर घाटी में आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में भी हमारे जवान पीछे नहीं रहते। 11 अक्टूबर को जो पांच जवान शहीद हुए उन सभी की उम्र 25 वर्ष के करीब है। यानी सेना में नई नई नियुक्ति हुई थी। किसी का विवाह हाल ही में हुआ, तो किसी जवान का विवाह होने ही वाला था। उन माता-पिता का आंसू नहीं रुक रहे हैं, जिसका बेटा शहीद हुआ है। जवानों की शहादत वेदना से भरी है। जवानों के लिए भी अरदास की जाती है, तो उनकी आत्मा को शांति मिलेगी ही, साथ ही उन आतंकियों को भी जवाब दिया जा सकेगा, जिन्होंने कायराना अंदाज में गोली मारी है। देखना है कि आतंकियों को जवाब देने में राकेश टिकैत, प्रियंका गांधी और अन्य विपक्षी नेता किस तरह की पहल करते हैं।
चार युवओं की मौत पर मौन:
चार किसानों की मौत पर 12 अक्टूबर को अरदास का कार्यक्रम तो हुआ, लेकिन उन चार युवाओं की किसी ने भी सुध नहीं ली, जिनकी मौत भी लखीमपुर खीरी में ही हुई थी। सरकार ने मृतक किसानों के परिजन को 45-45 लाख रुपए का मुआवजा दे दिया है तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी। पुलिस ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित चार लोगों को अब तक गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन जिन चार युवाओं की मौत इसी प्रकरण में हुई उनके परिजन को अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। न ही किसी नेता ने पीड़ित परिवारों के घर जाकर परिजनों के आँसू पोंछे हैं। इस प्रकरण से जुड़े जो वीडियो जारी हुए हैं उन्हें युवाओं को पीटने वाले साफ नजर आ रहे हैं, लेकिन अभी तक भी किसी भी आरोपी की गिरफ्तार नहीं हुई है। मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी के लिए तो मीडिया ने रात दिन एक कर दिया, लेकिन चार युवाओं की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्यवाही को लेकर कोई खबर किसी चैनल अथवा अखबार में नहीं आ रही है।
प्रियंका को पोस्टर:
12 अक्टूबर को लखीमपुर में अरदास के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए जब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी तब अनेक सिक्खों ने प्रियंका गांधी को 1984 के सिक्ख नरसंहार के पोस्टर दिखाए। पोस्टर दिखाने वाले सिक्ख समुदाय के लोगों का कहना था कि राजीव गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिक्खों का जो नरसंहार हुआ, उसकी त्रासदी सिक्ख परिवार आज तक भुगत रहे हैं। समुदाय के लोगों ने कहा कि प्रियंका गांधी को दिल्ली में इन परिवारों को न्याय दिलवाने में सहयोग करना चाहिए। कई नाराज किसानों ने प्रियंका गांधी को काले झंडे भी दिखाए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (12-10-2021)
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