Sunday 3 October 2021

तो अब राजस्थान में अशोक गहलोत ही कांग्रेस हैं।भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की उपस्थिति।

अब तक तो कांग्रेस में यही माना जाता था कि हाईकमान ही कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री तय करता है। ताजा उदाहरण पंजाब का है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर हाईकमान को नया मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार दिया गया। राजस्थान में दिसंबर 2018 में हाईकमान की इच्छा से ही अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। लेकिन 2 अक्टूबर को एक समारोह में अशोक गहलोत ने घोषणा कर दी कि वे अगली बार भी सीएम बनेंगे और शांति धारीवाल को ही नगरीय विकास मंत्री बनाएंगे। 26 अगस्त को हुई एंजियोप्लास्टी के संदर्भ में गहलोत ने कहा कि अब अगले 20 वर्ष उन्हें कुछ होने वाला नहीं है। गहलोत 20 क्या 40 वर्ष जीएं, इस बात पर किसी को कोई एतराज नहीं है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या राजस्थान में जब अशोक गहलोत ही कांग्रेस हैं? गहलोत इतने ताकतवर हैं कि अगली बार भी मुख्यमंत्री बनने की घोषणा कर दी है। सवाल उठता है कि इस घोषणा के बाद कांग्रेस के निर्वाचित विधायकों और हाईकमान का क्या होगा? गहलोत ने कहा कि उन्हें एंटी इंकम्बेंसी प्रदेशभर में नजर नहीं आ रही है, इसलिए उन्हीं की सरकार रिपीट होगी। सब जानते हैं कि राजस्थान में दो वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। पिछले 20 वर्षों से यह परंपरा रही है कि एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतती है। इस परंपरा के लिहाज से अगली बार भाजपा की बारी है, लेकिन गहलोत को लगता है कि वे इस परंपरा को तोड़ देंगे। गहलोत अपने प्रयासों में कितने सफल होते हैं यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन रिकॉर्ड बताता है कि पांच वर्ष शासन करने के बाद कांग्रेस को 2003 में 56 तथा 2013 के चुनाव में मात्र 21 सीटें मिली थी। कांग्रेस शासन में दोनों बार अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री थे। गहलोत 2018 में तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। सब जानते हैं कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस में खींचतान चल रही है। लेकिन अब गहलोत ने खींचतान की खबरों पर भी विराम लगा दिया है। गहलोत ने जब स्वयं को अगली बार का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है, तब कांग्रेस हाईकमान पायलट को लेकर गहलोत के साथ क्या समझौता करवाएगा? गहलोत कह चुके हैं कि पंजाब के बाद राजस्थान की बारी है, ऐसी खबरें गोदी मीडिया वाले ही छपाते हैं। गहलोत ने मीडिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। गहलोत की घोषणाओं का अर्थ निकाला जाए तो अब सचिन पायलट और उनके समर्थकों को सरकार और संगठन में एडजस्ट करने का चैप्टर क्लोज हो गया है। अब कांग्रेस में असंतुष्ट गतिविधियां कोई मायने नहीं रखती है, क्योंकि अशोक गहलोत ही कांग्रेस है। हो सकता है कि गहलोत के प्रतिद्वंदी अब उनके 2 अक्टूबर वाले बयान की सीडी बनाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को सुनाए। लेकिन इसका भी कोई असर नहीं होगा, क्योंकि अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद पंजाब में कांग्रेस बिखराव की ओर है। कांग्रेस हाईकमान भी अब राजस्थान में गहलोत पर ही निर्भर है। गहलोत के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है। चाहे दो वर्ष बाद परिणाम कुछ भी आए।
बैठक में शामिल हुई राजे:
राजस्थान भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे असंतुष्ट हैं, इसको लेकर लगातार खबरें आती रहती है, लेकिन 2 अक्टूबर को राजे ने भी ऐसी खबरों पर विराम लगाने की कोशिश की। राजे भाजपा की उस कोर कमेटी की बैठक में शामिल हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने की। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह भी उपस्थित रहे। गत 30 सितंबर को भी प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजे भी वर्चुअल तकनीक से शामिल हुई। यानी राजे भी प्रदेश भाजपा में लगातार अपनी सक्रियता बढ़ा रही है। राजे की सक्रियता से भाजपा में एकजुटता नजर आती है। 2 अक्टूबर को प्रदेशाध्यक्ष पूनिया भी राजे के निवास पर पहुंचे और उनकी पुत्रवधू श्रीमती निहारिका के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। 
S.P.MITTAL BLOGGER (03-10-2021)
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