Monday 18 December 2023

तो क्या भाजपा के शासन में भी झूठ बोलते रहेंगे अजमेर प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारी।जिस सेवन वंडर की इमारतों को तोड़ने के आदेश एनजीटी ने दे रखे हैं उन्हें ही अजमेर की शान बताया जा रहा है।

16 दिसंबर को कोयंबटूर में स्मार्ट सिटीज को लेकर एक राष्ट्रीय कार्यशाला हुई। इस कार्यशाला में अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों को भाग लेने का अवसर मिला। कार्यशाला के बाद स्मार्ट सिटी की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि देश भर की स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने अजमेर के आनासागर और चारों तरफ बने पाथवे के साथ साथ सेवन वंडर इमारतों की भी प्रशंसा की। यह बताया कि जिस आनासागर में पहले नालों का गंदा पानी आता था, उसे रोक कर आनासागर झील को अब पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना दिया गया है। आनासागर की तुलना उदयपुर की झीलों और कोटा के रिवर फ्रंट से की गई। यह सही है कि कांग्रेस के पिछले पांच वर्षों के शासन में स्मार्ट सिटी के कार्यों की वजह से अजमेर के हालात बिगड़े हैं। जिस आनासागर झील की दुहाई दी जा रही है, उस झील के भराव क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने न केवल अतिक्रमण करवा दिए बल्कि अतिक्रमणों टूटने से बचाने के लिए पाथवे का निर्माण भी कर दिया। पांच साल तक आनासागर को लेकर अजमेर प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारी झूठ बोलते रहे। इस झूठ का भाजपा नेताओं ने विरोध भी किया। उम्मीद थी कि भाजपा का शासन आने पर संबंधित अधिकारी झूठ बोलना बंद कर देंगे। लेकिन 16 दिसंबर को हुई कार्यशाला से पता चलता है कि जिला प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारी भाजपा शासन में भी झूठ बोल रहे हैं। यह झूठ तब बोला जा रहा है, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सेवन वंडर की इमारतों और पाथवे को तोड़ने के आदेश दे रखे हैं। एनजीटी ने माना है कि स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने झील संरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया है। यहां उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर के सीईओ का पद जिला कलेक्टर और एसीईओ का पद नगर निगम आयुक्त के पास है। प्रशासन और प्रोजेक्ट के अधिकारियों की कारगुजारियों के बारे में भाजपा के नेताओं को अच्छी तरह पता है। अब देखना है कि राज में आने के बाद भाजपा के नेता और जनप्रतिनिधि इन अधिकारियों के झूठ से कैसे मुकाबला करते हैं। अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी तो विधानसभा के अध्यक्ष भी नामित हो गए हैं। ऐसे में देवनानी के पास असिमित अधिकार है।
 
आनासागर में जलकुंभी का साम्राज्य:
स्मार्ट सिटी के अधिकारी जिस आनासागर झील को पर्यटन का केंद्र बता रहे हैं, वह झील इन दिनों जलकुंभी की चपेट में है। एक ओर गंदे नालों का पानी आनासागर में समा रहा है तो दूसरी ओर जलकुंभी फैली हुई है। न केवल आनासागर में बल्कि आनासागर के जुड़े नालों में भी जलकुंभी का साम्राज्य है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों की आंखों पर ऐसा चश्मा चढ़ा हुआ है जिससे हकीकत नजर नहीं आती। यदि अधिकारियों को नहीं बदला गया तो कांग्रेस की तरह भाजपा की भी बदनामी होगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि आनासागर से जलकुंभी हटाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपए की लागत की मशीन भी मंगाई थी, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि इस मशीन को नगर निगम को दूसरे शहरों में भेज रखा है ताकि किराये के तौर पर मोटी कमाई की जा सके। यानी जो मशीन आनासागर के लिए खरीदी गई उससे अब नगर निगम कमाई कर रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER ( 18-12-2023)
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