Monday 18 December 2023

विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष सीपी जोशी ने टूटे और फटे मुढ्ढे पर बैठाया नामित अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को।यह है दो सादगी पसंद राजनेताओं की मुलाकात।आखिर अशोक गहलोत की जादूगरी क्यों सीखना चाहते हैं गजेंद्र सिंह शेखावत।

17 दिसंबर की सुबह जयपुर में राजस्थान विधानसभा के निवर्तमान अध्यक्ष और भाजपा की ओर से नामित अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के बीच शिष्टाचार मुलाकात हुई। इस मुलाकात के लिए देवनानी स्वयं सीपी जोशी के सरकार आवास पर गए। इस मुलाकात के फोटो देवनानी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। इन फोटोओं में जोशी और देवनानी सरकारी आवास के बरामदे में बैठे हैं। देवनानी मुढ्ढे पर तथा जोशी प्लास्टिक की कुर्सी पर हैं। शायद कमर दर्द की वजह से जोशी ने कुर्सी पर गद्दी लगा रखी है, लेकिन देवनानी का मुढ्ढा टूटा और फटा नजर आ रहा है। देवनानी जिस पुराने मुढ्ढे पर बैठे हैं उसके साथ ही एक खाली मुढ्ढा भी रखा हुआ है। टायर वाले मुढ्ढे पर जो रेगजीन चढ़ी है वह भी फटी है। इन फोटो से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विधानसभा अध्यक्ष के पद पर रहते हुए सीपी जोशी सादगी के साथ सरकारी आवास में रहे हैं। टूटे और फटे मुढ्ढे व प्लास्टिक की कुर्सियां बताती है कि जोशी ने पुराने फर्नीचर से ही काम चलाया है। जोशी चाहते तो बरामदे में भी नया फर्नीचर रखवा सकते थे। आमतौर पर सर्दी के दिनों में सुबह की मुलकात सरकार आवास के आलीशान बगीचे में होती है, लेकिन जोशी ने देवनानी के साथ मुलाकात बरामदे में की। नामित अध्यक्ष देवनानी को सुबह अपने घर से स्नान कर निकले, लेकिन सीपी जोशी के परिधान बताते हैं कि उन्होंने बेहद साधारण तरीके से देवनानी से मुलाकात की। जहां तक देवनानी का सवाल है तो वह स्वयं ही सादगी पसंद हैं। उनके अजमेर स्थित निजी आवास पर भी साधारण फर्नीचर लगा हुआ है। जिस एक कमरे में देवनानी पिछले 20 साल से मेहमानों से मुलाकात कर रहे हैं, उसी कमरे में आज भी मुलाकात करते हैं। कहा जा सकता है कि 17 दिसंबर की मुलाकात दो सादगी पसंद नेताओं के बीच हुई है। सब जानते हैं कि सीपी जोशी ने विधानसभा के अध्यक्ष का काम काज अपने शर्तों पर किया। विधानसभा में भी हंगामा करने वाले विधायकों के प्रति जोशी का सख्त रवैया रहा। एक बार तो सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के मंत्रियों से नाराज होकर जोशी ने सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हस्तक्षेप नहीं करते तो राजस्थान के विधानसभा के इतिहास में बड़ी घटना हो जाती। जोशी ने प्रयास किया कि विधानसभा नियम और कायदों के तहत ही चले। प्राप्त जानकारी के अनुसार जोशी और देवनानी के बीच विधानसभा चलाने को लेकर भी विमर्श हुआ। जोशी ने स्पष्ट तरीके से अपनी बात को रखा। जोशी ने कहा कि नियमों के तहत भले ही वे आज भी अध्यक्ष हैं, लेकिन अब वे किसी भी विषय पर अपना निर्णय नहीं देेंगे। जोशी ने देवनानी से कहा कि अब सभी मुद्दों पर आपको ही निर्णय लेना हैं। क्योंकि भाजपा के पास पूर्ण बहुमत हैं, इसलिए आपका (देवनानी) अध्यक्ष बनना तय है। जोशी ने अपनी जोर से देवनानी को शुभकामनाएं भी दी।
 
क्यों सीखना चाहते हैं जादूगरी:
जोधपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर उनकी राजनीतिक जादूगरी सीखना चाहते हैं। शेखावत ने यह बात तब कही है जब उन्होंने गहलोत के विरुद्ध दिल्ली की अदालत में मानहानि का मुकदमा कर रखा है। गहलोत जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे, तब शेखावत के साथ उनकी व्यक्तिगत दुश्मनी रही। लेकिन अब जब गहलोत मुख्यमंत्री नहीं रहे, तब शेखावत चाहते हैं कि गहलोत से उनकी राजनीतिक जादूगरी सीखी जाए। सवाल उठता है कि शेखावत गहलोत की जादूगरी क्यों सीखना चाहते हैं? सब जानते हैं कि गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर मुख्यमंत्री का पद अपने पास बनाए रखा। गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि मुख्यमंत्री का पद उन्हें नहीं छोड़ रहा है। गहलोत के मुख्यमंत्री रहते सबसे ज्यादा आलोचना शेखावत ने की थी। यह सही है कि राजस्थान में शेखावत भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना कर गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे वरिष्ठ भाजपा नेताओं को चौंका दिया। क्या शेखावत अब मुख्यमंत्री बनने की जादूगरी अशोक गहलोत से सीखना चाहते हैं? शेखावत को यह समझना चाहिए कि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास है । मोदी और शाह की नजर सभी केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं पर है। जो शेखावत 25 नवंबर से पहले तक अशोक गहलोत को अपना दुश्मन मानते थे, आज वही शेखावत गहलोत से जादूगरी क्यों सीखना चाहते हैं? इस सवाल का जवाब भाजपा के नेता भी चाहते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER ( 18-12-2023)
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