Tuesday 26 December 2023

राजस्थान में पहली बार के भाजपा विधायक उत्साहित क्योंकि मध्यप्रदेश में 28 में से 17 मंत्री पहली बार के विधायक हैं।सांसद से विधायक बनने वाले नेता भी खुश। 27 दिसंबर को मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी।वासुदेव देवनानी भाग्यशाली रहे, जो पहले चरण में ही विधानसभा अध्यक्ष बन गए।

3 दिसंबर को चुनाव नतीजे आने के बाद मध्यप्रदेश में 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री सहित दो डिप्टी सीएम ने शपथ ली और फिर 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। पहले विस्तार में जिन 28 विधायकों को मंत्री बनाया गया उनमें से 17 पहली बार चुने गए हैं। यही वजह है कि राजस्थान में भी पहली बार भाजपा विधायक बने नेता उत्साही है। अब तक यह परंपरा रही है कि तीन-चार या इससे भी अधिक बार चुने गए विधायकों को मंत्री बनाया जाता है। पूर्व में जो विधायक मंत्री रह चुके हैं उनके फिर से मंत्री बनने की गारंटी होती रही, लेकिन भाजपा में बदल रही राजनीति में अब नेताओं और विधायकों की वरिष्ठता के खास मायने नहीं है। उल्टे जो विधायक पूर्व में मंत्री रहे हैं उनके लिए यही माइनस पॉइंट है। मध्यप्रदेश में 28 में से 17 पहली बार के विधायकों के मंत्री बनने से जाहिर है कि नए चेहरों को आगे लाया जा रहा है। राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में भी सांसदों को विधायक का चुनाव लड़ाया गया। नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल जैसे सांसद तो केंद्र में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी थे। जिन सांसदों को विधायक बनाया गया उनमें से अधिकांश को अब मध्यप्रदेश में मंत्री बना दिया गया है। नरेंद्र सिंह तोमर को पहले ही विधानसभा अध्यक्ष घोषित किया गया और अब 25 दिसंबर को प्रहलाद पटेल को भी कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया। यही वजह है कि राजस्थान में सांसद से विधायक बने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और बाबा बालक नाथ के मंत्री बनने की उम्मीद है। मध्यप्रदेश का मंत्रिमंडल बताता है कि पूर्व में जिन मंत्रियों और विधायकों की छवि साफ सुथरी रही, उन्हें फिर से मंत्री बनाया गया है। इस चयन में किसी प्रभावशाली नेता का दबाव नहीं देखा गया। राजस्थान में भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से लेकर भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष सीपी जोशी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी यह दावा नहीं कर सकते कि उनकी सिफारिश पर कोई विधायक मंत्री बन रहा है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की रणनीति ही कहा जाएगा कि मंत्रियों के नाम भी लीक नहीं हो रहे हैं। मीडिया ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जो कयास लगाए वे सब गलत साबित हुए। संभवत: खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को यह पता नहीं कि कौन से विधायक मंत्री बनने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विस्तार को देखते हुए ही माना जा रहा है कि राजस्थान में 27 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। यदि विस्तार प्रातः: 11 बजे होगा तो 26 दिसंबर की रात को मंत्री बनने वाले विधायकों को सूचना पहुंच जाएगी, लेकिन यदि 27 दिसंबर को सायं चार बजे विस्तार होता है तो फिर 27 दिसंबर की सुबह ही विधायकों को सूचना मिलेगी। भाजपा के सभी विधायक सूचना का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए किसी को भी तीन-चार घंटे में जयपुर पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होगी। जैसलमेर, बाड़मेर आदि जिलों के भाजपा विधायक तो जयपुर में ही टिके हुए हैं। शेष स्थानों के विधायक तीन चार घंटे में जयपुर पहुंच जाएंगे। मंत्रिमंडल के विस्तार के विलंब को लेकर कांग्रेस के नेता अब सवाल उठा रहे हैं, लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार भी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। मंत्रियों के चयन को लेकर जो मापदंड निर्धारित किए उनके पीछे लोकसभा चुनाव जीतना है।
 
देवनानी भाग्यशाली:
सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमार और प्रेमचंद बैरवा की तरह भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी भी भाग्यशाली है। जिन्हें पहले चरण में ही विधानसभा अध्यक्ष का पद मिल गया। देवनानी अजमेर उत्तर से विधायक है। इस बार अजमेर जिले की आठ में से सात सीटों पर भाजपा की जीत हुई है। मसूदा से चुने गए वीरेंद्र सिंह कानावत एकमात्र विधायक है जो पहली बार के हैं। जबकि शेष विधायक दूसरी बार से लेकर पांचवीं बार तक के हैं। ऐसे में कानावत को भी मंत्री बनने की उम्मीद है। अजमेर दक्षिण से पांचवीं बार विधायक बनी श्रीमती अनिता भदेल को भी मंत्री बनाए जाने की उम्मीद है। चूंकि देवनानी विधानसभा अध्यक्ष बन गए हैं, इसलिए मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर उत्सुकता नहीं है। अब कोई विधायक मंत्री बने या नहीं इससे देवनानी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER ( 26-12-2023)

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