Thursday 21 December 2023

आखिर गांधी परिवार से कौनसी दुश्मनी निकाल रही हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।पीएम मोदी ने दिया है विपक्ष को एकजुट करने का सुनहरा मौका।

सब जानते हैं कि कांग्रेस में बगावत कर ही ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में टीएमसी को खड़ा किया और अब लगातार तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री है। लगातार जीत के कारण ही विपक्षी गठबंधन में ममता का दबदबा है। कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा सांसद ममता की टीएमसी के ही है। 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडि एलायंस की जो बैठक हुई उसमें ममता ने प्रधानमंत्री के पद के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का नाम प्रस्तावित किया। इसी प्रकार लोकसभा चुनाव में बनारस से पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनाने का सुझाव रखा। इन दोनों प्रस्तावों के बाद ही सवाल उठता है कि आखिर ममता बनर्जी कांग्रेस से कौनसी दुश्मनी निकाल रही हैं? ममता बनर्जी माने या नहीं लेकिन इंडि एलायंस को बनाने में राहुल गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एलायंस को मजबूत करने के लिए ही राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल जैसे नेता को भी महत्व दिया। एलायंस को बनाने के पीछे राहुल गांधी और कांग्रेस की मंशा साफ है। कांग्रेस स्वयं को इंडि एलायंस में सबसे बड़ा विपक्षी दल मानता है। कांग्रेस के नेताओं ने कई बार कहा कि संयुक्त विपक्ष की सरकार में राहुल गांधी स्वभाविक प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। अब यदि ममता बनर्जी खडग़े को पीएम पद का दावेदार बता रही हैं तो फिर राहुल गांधी का क्या होगा? इसी प्रकार पीएम मोदी के सामने प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी भी जोखिम भरी है। प्रियंका ने अभी तक भी कोई चुनाव नहीं लड़ा है, अब यदि बनारस से प्रियंका चुनाव हार जाती है तो इसका असर उनकी राजनीति पर पड़ेगा। अच्छा हो कि प्रियंका गांधी को 2024 में किसी सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जाए। 2019 में राहुल गांधी को आभास था कि इस बार वे अमेठी, से चुनाव हार जाएंगे इसलिए राहुल गांधी ने अमेठी के साथ साथ केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ा। राहुल अमेठी से हारे, लेकिन मुस्लिम बाहुल्य वायनाड से चुनाव जीत गए। प्रियंका गांधी को भी वायनाड जैसे सुरक्षित क्षेत्र से ही चुनाव लड़ना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि ममता बनर्जी गांधी परिवार को नुकसान पहुंचाने वाले प्रस्ताव रख रही हैं।
 
विपक्ष के लिए सुनहरा अवसर:
देश की मौजूदा राजनीति में संपूर्ण विपक्ष और भाजपा में पीएम मोदी के बीच सीधा मुकाबला है। यह मुकाबला 2014 से शुरू हुआ और 2019 में दोबारा से मुहर लग गई। अब 2024 के आम चुनावों में भी मोदी और विपक्षी गठबंधन के बीच मुकाबला है। विपक्ष को एकजुट करने का पीएम मोदी ही अवसर दे रहे हैं। विपक्ष के अधिकांश नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों के द्वारा कार्यवाही की जा री है। राजनेताओं को लगता था कि वे जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उसकी सजा उन्हें कभी नहीं मिलेगी। केंद्र की सत्ता में कोई भी दल रहे, लेकिन उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हो सकती। राजनेताओं के इस मिथक को तोड़ते हुए मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ममता बनर्जी से लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक के खिलाफ कार्यवाही की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो ईडी के नोटिस, से बचने के लिए दस दिवसीय विपश्यना शिविर में चले गए हैं। बिहार के लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लगातार जांच एजेंसियों के सामने उपस्थित होना पड़ रहा है। इंडि एलायंस के अधिकांश दलों के नेताओं के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों को लगातार निलंबित किया जा रहा है। अब तक करीब 150 सांसद निलंबित हो चुके हैं। जब इतने बड़े पैमाने पर विपक्षी दलों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है तो फिर इन दलों को एकजुट होने का सुनहरा अवसर है। यह अवसर खुद पीएम मोदी ही दे रहे हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER ( 21-12-2023)

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