Monday 4 December 2023

अजमेर उत्तर, दक्षिण, पुष्कर, नसीराबाद और ब्यावर में भाजपाइयों ने भाजपा उम्मीदवार को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन मसूदा में भाजपा एकजुट रही।जाट बाहुल्य किशनगढ़ में निर्दलीय उम्मीदवार सुरेश टाक को 80 हजार वोट मिलना बहुत मायने रखता है।विकास चौधरी ने कांग्रेस की लाज बचाई। केकड़ी में कांग्रेस नहीं, रघु शर्मा का घमंड हारा।

चुनाव हारना पड़ा।
 
सुरेश टाक का दम:
किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक सुरेश टाक भले ही चुनाव हार गए हो, लेकिन 80 हजार 25 वोट प्राप्त करना यह दर्शाता है कि सुरेश टाक की किशनगढ़ में खासी लोकप्रियता है। 2018 में जब टाक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा तो यह कहा गया कि जाट समुदाय में वोटों का विभाजन हो जाने से टाक को जीत मिली है। लेकिन इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार विकास चौधरी के पक्ष में जाट समुदाय एकजुट रहा। लेकिन फिर भी टाक ने 80 हजार वोट प्राप्त किए। टाक ने पांच वर्ष में किशनगढ़ में जो विकास कार्य करवाए उसी का परिणाम है कि मतदाताओं ने पार्टी से हट कर टाक को वोट दिया। किशनगढ़ में भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को तगड़ा झटका लगा है। वर्ष 2018 में चौधरी का टिकट काट कर विकास चौधरी को टिकट दिया गया था, लेकिन तब विकास चौधरी चुनाव हार गए। लेकिन छह माह बाद हुए लोकसभा के चुनाव में भागीरथ को अजमेर जिले से उम्मीदवार बनाया गया और उन्होंने चार लाख मतों से जीत हासिल की। तब चौधरी ने किशनगढ़ से सर्वाधिक मतों से बढ़त हासिल की थी, लेकिन अब सांसद रहते हुए भागीरथ ने मात्र 39 हजार 534 वोट ही प्राप्त किए। यदि भागीरथ के वोटों की संख्या थोड़ी बढ़ जाती तो सुरेश टाक दूसरी बार चुनाव जीत जाते। किशनगढ़ में जीत का अंतर मात्र 3 हजार 620 वोटों का रहा है। विकास चौधरी भले ही मामूली मतों से विजयी हुए हो, लेकिन उन्हें जिले में कांग्रेस की लाज बचाई है। अब विकास चौधरी ही कांग्रेस के एकमात्र विधायक हैं।  विकास चौधरी ने जहां 2018 की हार का बदला सुरेश टाक से लिया है वहीं भाजपा में टिकट कटवाने का बदला भी विकास चौधरी से ले लिया है। मौजूदा हालातों में विकास चौधरी अजमेर में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता बन गए हैं।
 
रघु का घमंड हारा:
केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भले ही भाजपा के उम्मीदवार शत्रुघ्न गौतम विजयी हुए हो, लेकिन केकड़ी में असली हार कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा के घमंड की हुई है। 2018 में चुनाव जीतने के बाद रघु शर्मा जब प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री बने तो उनका घमंड सातवें आसमान पर पहुंच गया। मंत्री पद के रौब में रघु शर्मा और उनके पुत्र ने केकड़ी में जो ज्यादतियां की उसी का परिणाम अब चुनाव में सामने आया है। रघु शर्मा को जब गुजरात का प्रभारी बनाया गया तो अनेक समर्थक रघु शर्मा को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देखने लगे। लेकिन अब जब विधानसभा चुनाव में रघु की हार हो गई है तब सारा घमंड चूर चूर हो गया है। रघु शर्मा 7 हजार 542 मतों से चुनाव हारे हैं। अब कांग्रेस की राजनीति में रघु शर्मा का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (04-12-2023)
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