एक कहावत है कि उड़ता तीर झेलना यानी बेवजह किसी समस्या को आमंत्रित करना। 19 दिसंबर को संसद भवन परिसर में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उड़ता तीर झेलने वाली कहावत का चरितार्थ किया है। लोकसभा और राज्यसभा से सांसदों के निलंबन के विरोध में जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री (मजाक) कर रहे थे, तब राहुल गांधी मुस्कुराते हुए बनर्जी का वीडियो बना रहे थे। राहुल गांधी के वीडियो बनाने पर सभापति धनखड़ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। धनखड़ का कहना है कि मैं किसान और जाट समुदाय से आता हंू इसलिए कांग्रेस भी मेरे मजाक उड़ाने की घटना में शामिल हैं। यह राजनीति की गिरावट की हद है। राहुल गांधी तो वरिष्ठ नेता है, लेकिन इसके बाद भी सभापति के मजाक उड़ाने के काम में शामिल हैं। राज्यसभा में धनखड़ ने जिस मार्मिक अंजाम में अपनी पीड़ा को रखा उससे अब राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक के जाट समुदाय में रोष है। कल्याण बनर्जी की इस हरकत से टीएमसी को तो कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हिंदी भाषी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा आदि में जाट समुदाय की बहुलता है। यदि कोई राजनीतिक दल जाट समुदाय के किसी नेता का मजाक उड़ाता है तो उसे नुकसान होगा ही। सवाल उठता है कि राहुल गांधी ने आखिर मिमिक्री का वीडियो क्यों बनाया? टीएमसी की नाराजगी समझ में आती है क्योंकि महुआ मोइत्रा की तो लोकसभा की सदस्यता ही रद्द कर दी गई। सदस्यता रद्द होना निलंबन से बड़ी सजा है। खफा होकर ही कल्याण बनर्जी ने धनखड़ की मिमिक्री की। इससे राहुल गांधी का कोई सरोकार नहीं था। लेकिन फिर भी राहुल ने वीडियो बनाकर कांग्रेस पार्टी को मुसीबत में डाल दिया है। अब चाहे कांग्रेस कितनी भी सफाई दे लेकिन टीएमसी का उड़ता तीर राहुल गांधी की जेब में आ ही गई है। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ों यात्रा निकाल कर राहुल गांधी स्वयं को देश का सबसे बड़ा और समझदार नेता बताते हैं। लेकिन जब राहुल गांधी किसी सर्कस के कलाकार का वीडियो बनाते नजर आते है तो उनकी समझदारी पर सवालिया निशान लगता है। इसमें कोई दो राय नहीं जगदीप धनखड़ का लंबा राजनीतिक और संवैधानिक सफर रहा है। धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर लोकप्रियता हासिल की। इसी प्रकार धनखड़ केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। धनखड़ ने पहले ही कहा है कि वे स्वभाव से विनम्र है, इसलिए जब वे किसी से मुलाकात करते हैं तो उनकी विनम्रता झलकती है। राज्यसभा में भी वे विनम्रता का प्रदर्शन करते हैं।
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