Wednesday 16 October 2024

1 नवंबर को दीपावली मनाने वाला तर्क बेतुका है।31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से अमावस्या शुरू होगी, इसलिए दीपावली इसी दिन मनेगी-ज्योतिषाचार्य भंवरलाल जी

इस वर्ष दीपावली पर्व मनाने को लेकर धर्म गुरुओं और ज्योतिष विशेषज्ञों की बीच जो विवाद हो रहा है, उसमें पुष्कर स्थित जोगणिया धाम के उपासक और देश के जाने माने ज्योतिषाचार्य भंवरलाल जी ने स्पष्ट किया है कि दीपावली पर्व को 31 अक्टूबर को ही मनाना चाहिए। भारत की सनातन संस्कृति से जुड़ा दीपावली पर्व पंचांग के अनुरूप अमावस्या से संबंधित है। अमावस्या होने पर ही दीपावली का पर्व मनाया जाता है। रोशनी करने के पीछे भी अमावस का दिन होता है। इस बार 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से अमावस्या शुरू होगी। ऐसे में घरों में अंधेरा होने पर शाम के समय पूजा अर्चना की जाएगी। इसी प्रकार रात के समय सिंह लग्न में व्यापारी वर्ग पूजा कर सकता है। यह शास्त्र सम्मत है। इसलिए विवाद का कोई मुद्दा नहीं है। भंवरलाल जी ने बताया कि एक नवंबर को शाम 6 बजकर 17 मिनट तक ही अमावस्या रहेगी। इस दिन 5 बजकर 52 मिनट पर सूर्यास्त हो जाएगा। यानी 25 मिनट की अमावस्या है। ऐसे में दीपावली का पर्व एक नवंबर को नहीं मनाया जा सकता। व्यापारी वर्ग भी सिंह लग्न में रात के समय पूजा नहीं कर सकता है। धर्मगुरुओं और ज्योतिषाचार्य को यह समझना चाहिए कि दीपावली का पर्व अमावस्या में ही मनाया जाता है। जबकि एक नवंबर को अमावस है ही नहीं तो दीपावली का पर्व कैसे मनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में भगवान राम के जीवन का बहुत महत्व है। जब हम भगवान राम के अयोध्या आने की खुशियां मना रहे हैं तो कोई विवाद नहीं होना चाहिए। अमावस के दिन दीपावली पर्व की रोशनी हो या सदियों से चला आ रहा है। इस विषय पर और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9412429453 पर ज्योतिषाचार्य भंवरलाल से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (16-10-2024)
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