Monday 7 October 2024

छोटे से देश इजरायल पर सात स्थानों से हमला, लेकिन फिर भी सीना ठोक कर खड़ा है, क्योंकि देश में एक भी नागरिक गद्दार नहीं है।एक साल पहले हमास ने 1200 इजराइलियों को मारा। इजरायल ने गाजा और लेबनान में अब 42 हजार को मार डाला। चार लाख लेबनानी शरणार्थी बने।कराची में आतंकी हमले में दो चीनी नागरिक मरे। चीन को अब भारत के साथ मिल कर आतंकियों का सफाया करना चाहिए।

गत 7 अक्टूबर 2023 को चरमपंथी संगठन हमास के लड़ाके इजरायल में घुसे और ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए 1200 इजराइलियों को मौत के घाट उतार दिया। इन हत्याओं का बदला न लिया जा सके, इसके लिए हमास ने दो सौ इजरायलियों को गाजा पट्टी में बंधक बना लिया। हमास ने जो लड़ाई शुरू की उसे इजरायल ने 7 अक्टूबर 2024 तक जारी रखा है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि जब तक हमास, हिजबुल्ला जैसे आतंकी संगठनों का खात्मा नहीं हो जाता तब तक लड़ाई जारी रहेगी। पिछले एक वर्ष में इजरायल ने गाजा पट्टी और लेबनान में हमला कर 42 हजार से भी ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। इजरायल ने अपने बंधकों की परवाह किए बगैर जो जवाबी कार्यवाही की उसे ईरान जैसा शक्तिशाली देश भी इजरायल के खिलाफ हो गया है। यही वजह है कि अब इजरायल पर ईरान के साथ साथ लेबनान, गाजा, सीरिया, बेस्ट बैंक, इराक, यमन आदि के सात स्थानों से हमले हो रहे है। लेकिन इसके बावजूद भी भारत के हरियाणा राज्य से भी छोटा देश इजरायल सीना ठोक कर खड़ा है। इजरायल ऐसा इसलिए कर पा रहा है कि इजरायल में एक भी नागरिक गद्दार (देशद्रोही) नहीं है। इजरायल के सभी नागरिक अपने प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ खड़े है। नेतन्याहू को अपने देश के नागरिकों से जो हिम्मत मिल रही है, उसी का परिणाम है कि आज पूरी दुनिया में इजरायल की दिलेरी की प्रशंसा हो रही है। 5 अक्टूबर को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने कहा कि फ्रांस अब इजरायल को हथियार नहीं देगा। लेकिन दो दिन बाद ही मैंक्रो को झुकना पड़ा और कहना पड़ा कि फ्रांस इजरायल के साथ खड़ा है। असल में पीएम नेतन्याहू ने कह दिया था कि यह जंग इजरायल ने अपने दम पर शुरू की है। नेतन्याहू जब चारों से घिरे है, तब इजरायल का मैक्रों को जवाब बताता है कि इजराइल कितना ताकतवर है। हमास ने गत वर्ष को हमला किया उसके बाद हमास के समर्थन में हिजबुल्लाह और हूती जैसे चरमपंथी संगठन भी एकजुट हो गए है। लेकिन लेबनान में हिजबुल्ला के चीफ हसन नसरल्लाह को मौत के घाट उतार कर इजरायल ने स्पष्ट कर दिया कि जो भी हमास की मदद करेगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा। अब ईरान भी हिजबुल्ला के समर्थन में आ गया है तो इजरायल ने ईरान पर भी हमले शुरू कर दिए है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब चार मुस्लिम देशों के 7 स्थानों से इजरायल पर हमले हो रहे है, तब इजरायली नागरिकों की स्थिति कैसी होगी। गाजा के बाद लेबनान पर इजरायल ने जो हमले किए है, उनकी वजह से चार लाख लेबनानी शरणार्थी बनकर सीरिया की सीमा पर खड़े है। देखा जाए तो इजराइल किसी देश से युद्ध नहीं कर रहा बल्कि उन चरमपंथी संगठनों से लड़ रहा है, जिनका फिलिस्तीन, लेबनान, यमन जैसे देशों पर कब्जा है। अब अब इजरायल और हमास के बीच युद्ध को एक वर्ष पूरा हो गया है, तब देखना होगा कि आखिर इजरायल कब तक चरमपंथी संगठनों से लड़ता है। भले ही इजरायल के पीछे अमेरिका खड़ा हो, लेकिन युद्ध के मैदान में मुकाबला तो इजरायलियों को ही करना पड़ रहा है।
 
चीन साथ आए:
6 अक्टूबर की देर रात पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट के निकट एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें दो चीनी नागरिक भी मारे गए। इस हमले की जिम्मेदार बलोच लिबरेशन आर्मी ने ली है। यह हमला चीनी नागरिकों को ही टारगेट कर किया गया। इस हमले के बाद चीन, पाकिस्तान से खफा है, क्योंकि पाकिस्तान की सरकार चीनी नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर पा रही है। असल में चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मदद करता है। चीन कभी लद्दाख में तो कभी अरुणाचल प्रदेश में भारत की सीमा में दखल देता है। चीन को अब यह समझना चाहिए कि एशिया में यदि आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है तो फिर उसकी कीमत चीन को भी चुकानी पड़ेगी। अच्छा हो कि चीन भारत के साथ मिलकर आतंक का सफाया करे। पाकिस्तान में ऐसे कई आतंकी संगठन है जो चीन को चुनौती दे रहे है। चीन को यदि पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से मुकाबला करना है तो उसे भारत के साथ दोस्ती करनी होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (07-10-2024)
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