गुजरात और हिमाचल में चुनाव परिणाम क्या रहेंगे, यह तो 8 दिसंबर को पता चलेगा, लेकिन 7 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव के जो परिणाम घोषित हुए हैं, उनमें सबसे दयनीय स्थिति कांग्रेस पार्टी को देखने को मिली है। मात्र 10 वर्ष पहले बनी आम आदमी पार्टी को निगम चुनाव में 250 में करीब 130 वार्डों में सफलता मिली, जबकि सवा सौ वर्ष पुरानी कांग्रेस पार्टी मात्र 12 वार्डों में जीत सकी है। यह सही है कि आप ने भाजपा से निगम को छीन लिया है, लेकिन फिर भी भाजपा ने 100 से भी ज्यादा वार्डों में जीत हासिल की है, लेकिन कांग्रेस को 12 वार्डों में सफलता से जाहिर है कि कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कांग्रेस को मजबूती देने के लिए राहुल गांधी इन दिनों कन्या कुमारी से कश्मीर तक की यात्रा कर रहे हैं। राहुल गांधी ऐसी यात्रा कब करें, यह उन पर निर्भर करता है, लेकिन अभी भारत जोड़ों यात्रा तब हो रही है, जब दो महत्वपूर्ण प्रदेशों के चुनाव हुए। गुजरात में राहुल ने सिर्फ एक दिन प्रचार किया, जबकि हिमाचल और दिल्ली तो राहुल गांधी गए ही नहीं। सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी किस उद्देश्य से यात्रा कर रहे हैं? लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव परिणाम बहुत मायने रखते हैं। यदि कोई पार्टी लगातार चुनाव हारती जाए और फिर कहा जाए कि हम देश को जोड़ने के लिए यात्रा कर रहे हैं तो यह कथन कोई मायने नहीं रखता है। राहुल गांधी माने या नहीं, लेकिन देश जोड़ने के लिए चुनाव जीतना भी जरूरी है। दिल्ली के परिणाम बताते हैं कि कांग्रेस अब नगर निगम का चुनाव भी जीतने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि आखिर लगातार हार क्यों हो रही है? कांग्रेस का शासन अब सिर्फ दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही रह गया है। इन दोनों राज्यों में भी 11 माह बाद चुनाव होने हैं। इन दोनों राज्यों में प्रदेश स्तरीय नेताओं के बीच जो झगड़े हो रहे हैं, उसेदेखते हुए काग्रेस सरकार का रिपीट होना मुश्किल है। कांग्रेस ने भले ही मल्लिार्जुन खडग़े को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया हो, लेकिन अभी भी गांधी परिवार का ही महत्व है। राहुल गांधी का पार्टी में कितना महत्व है, यह बात उनकी यात्रा से समझी जा सकती है। किसी पद पर भी नहीं होते हुए राहुल गांधी की यात्रा को पार्टी में सबसे बड़ा इवेंट माना जा रहा है। राहुल की यात्रा इन दिनों राजस्थान में है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरी सरकार के साथ राहुल की मिजाजपुर्सी में लगे हुए हैं। राहुल की यात्रा में भीड़ जुटाने के लिए सरकारी स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। अच्छा होता कि राहुल गांधी गुजरात, हिमाचल और दिल्ली में मेहनत कर कांग्रेस को जीत दिलवाते।
भाजपा के लिए सबक:
7 दिसंबर को घोषित दिल्ली नगर निगम के परिणाम भाजपा के लिए भी सबक है। पिछले 15 साल से नगर निगम पर भाजपा का ही कब्जा था। इस बार भी चुनाव जीतने के लिए भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज उतारी गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी भाजपा को निगम चुनाव में बहुमत नहीं मिला है। एक ओर यह कहा जाता है कि दिल्ली के विकास के लिए मोदी सरकार ने बहुत कुछ किया, तब सवाल उठता है कि दिल्ली की जनता ने भाजपा को वोट क्यों नहीं दिए? इसके लिए भाजपा को मंथन करने की जरूरत है। दिल्ली के मतदाताओं ने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल पर भरोसा जताया है।
भाजपा के लिए सबक:
7 दिसंबर को घोषित दिल्ली नगर निगम के परिणाम भाजपा के लिए भी सबक है। पिछले 15 साल से नगर निगम पर भाजपा का ही कब्जा था। इस बार भी चुनाव जीतने के लिए भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज उतारी गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी भाजपा को निगम चुनाव में बहुमत नहीं मिला है। एक ओर यह कहा जाता है कि दिल्ली के विकास के लिए मोदी सरकार ने बहुत कुछ किया, तब सवाल उठता है कि दिल्ली की जनता ने भाजपा को वोट क्यों नहीं दिए? इसके लिए भाजपा को मंथन करने की जरूरत है। दिल्ली के मतदाताओं ने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल पर भरोसा जताया है।
S.P.MITTAL BLOGGER (07-12-2022)
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