30 दिसंबर को जब हावड़ा रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के शुभारंभ का कार्यक्रम हो रहा था, तब समारोह के मंच पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं। लेकिन तभी हावड़ा के लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाना शुरू कर दिया। इससे ममता बनर्जी नाराज हो गई और मंच को छोड़ कर अतिथियों के साथ बैठ गईं। ममता को यह लगा कि जय श्रीराम के नारे रेल मंत्री वैष्णव की शह पर लगाए जा रहे हैं। हालांकि वैष्णव ने स्वयं ममता से मंच पर चलने का आग्रह किया, लेकिन ममता नहीं मानी। ममता ने यह नाराजगी का रवैया तब दिखाया, जब इस समारोह से वीडियो कॉन्फ्रेंस तकनीक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जुड़े हुए थे। ममता बनर्जी प्रधानमंत्री और रेल मंत्री का सम्मान नहीं करें, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ममता बनर्जी को जय श्रीराम के नारे से इतनी चिढ़ क्यों हैं? क्या जय श्री राम का नाम देश विरोधी और ममता विरोधी है? या फिर यह नारा ममता की टीएमसी के खिलाफ है? बंगाल के अधिकांश लोगों के मन में भी भगवान राम के प्रति श्रद्धा है। ममता बनर्जी माने या नहीं लेकिन जय श्रीराम का नारा लगाने से शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा प्राप्त होती है। हावड़ा पश्चिम बंगाल का ही जिला है और यदि पश्चिम बंगाल में लोग जय श्रीराम का नारा लगा रहे हैं तो ममता बनर्जी को राजनीतिक दृष्टि से विचार करना चाहिए। सब जानते हैं कि पूर्व में भी जय श्री राम का नारा लगाने वाले लोगों को जेल भिजवा दिया था। विपक्षी दलों के नेता आए दिन देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की परंपरा को खतरा बताते है। ऐसे में लोगों का मानना है कि भारत के धर्मनिरपेक्षता के स्वरूप को नष्ट किया जा रहा है। लेकिन ऐसे नेता जब कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या होती है तो चुप रहते हैं। जब आतंकी प्रवृत्ति के कुछ कश्मीरी युवक टारगेट कर हिन्दुओं की हत्या करते हैं, तब ऐसे नेताओं को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को खतरा नजर नहीं आता है। भारत में धर्मनिरपेक्षता होने की इससे बड़ी बात और क्या होगी कि जय श्रीराम के नारे से इतनी चिढ़ होने के बाद भी ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है। मुख्यमंत्री भी लगातार तीसरी बार बनी है। भारत के लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की यही खूबसूरती है कि जय श्रीराम के नारे से चिढऩे वाली ममता बनर्जी लगातार चुनाव जीत रही है। ममता को भले ही जय श्रीराम का नारा अच्छा न लगे, लेकिन उन्हें सरकारी समारोह की गरिमा का तो ख्याल रखना ही चाहिए। हावड़ा रेलवे स्टेशन पर समारोह में भले ही केंद्र सरकार का हो, लेकिन हावड़ा के लोग तो पश्चिम बंगाल के हैं। नई ट्रेनों के चलने, स्टेशनों का सौंदर्यीकरण होने, गंगा नदी के साफ होने आदि कार्यों का लाभ पश्चिम बंगाल के लोगों को ही मिलेगा। ऐसे महत्वपूर्ण समारोह में ममता की नाराजगी उचित नहीं है। ममता को पश्चिम बंगाल के विकास के मुद्दे पर राजनीति करने से बचना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (31-12-2022)
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